फर्जी B.Ed की डिग्री लगाकर नौकरी पाने वाले 32 अध्यापकों के खिलाफ दर्ज हुई FIR

वृंदावन के खंड शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि एसआईटी की ओर से तैयार की गई प्रमाण पत्रों के अंकों में छेड़छाड़ की सूची में 1084 अभ्यर्थियों के नाम शामिल थे....

Update: 2021-06-26 14:37 GMT

जनज्वार डेस्क। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का मामला सामने आया है। मथुरा में साल 2004-05 में बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी पाने वाले दर्जनों अध्यापकों के खिलाफ अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्जकराई गई है। एसआईटी ने जांच में दस्तावेजों को फर्जी पाया है। वहीं इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।

खबरों के मुताबिक वर्ष 2004-05 में बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी पाने वाले 32 शिक्षकों के विरुद्ध जिले के कई थानों में मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। फर्जी बीएड डिग्री लगाकर नौकरी पाने वालों की जांच कर रही एसआईटी ने पाया कि कागजों से छेड़छाड़ के बाद प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की तैनाती कर दी गई।

वृंदावन के खंड शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार ने प्राथमिक विद्यालय माघेरा की सहायक अध्यापिका प्रीति राठौर के खिलाफ भी थाना वृंदावन मुकदमा दर्ज कराया है। प्रमोद कुमार ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रशासन ने शैक्षिक सत्र वर्ष 2004-05 के 1021 अभ्यार्थियों के प्रमाण पत्रों के अंकों में छेड़छाड़ को पाया। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को आगरा विश्वविद्यालय में हुई कार्य परिषद की बैठक में जांच समिति की रिपोर्ट रखी गई। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय का यह निर्णय हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रमोद कुमार ने बताया कि एसआईटी की ओर से तैयार की गई प्रमाण पत्रों के अंकों में छेड़छाड़ की सूची में 1084 अभ्यर्थियों के नाम शामिल थे। उन्होंने कहा कि अपील की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 26 फरवरी 2021 को मामले की जांच के आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिए। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया।

विगत दिनों हुई विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में समिति की जांच रिपोर्ट को रखा गया। विश्वविद्यालय की समिति ने जांच में पाया कि एसआईटी की ओर से तैयार टेम्पर्ड प्रमाण पत्र की 1084 अभ्यर्थियों की सूची में एक ही अभ्यर्थी का नाम 61 बार है। एक नाम छोड़कर 60 जगह से नाम हटा दिए गए। शेष बचे 1024 में से तीन अभ्यर्थियों के साक्ष्य सही पाए गए। इनके नामों को टेम्पर्ड प्रमाण पत्रों की सूची से हटा दिया गया है।

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