बिहार : खाली बोरे बेचने को क्यों मजबूर हुआ सरकारी स्कूल का यह शिक्षक?

बिहार के शिक्षा विभाग की ओर से साल 2014-15 और 2015-16 में विद्यालयों को उपलब्ध कराए गए मिड डे मील में चावल के खाली बोरे की बिक्री करने और पैसे जमा करने का आदेश जारी किया गया....

Update: 2021-08-08 11:27 GMT

(बोरे बेचते वक्त कदवा प्रखंड के एक स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद तमीजुद्दीन ने लोगों से अपना दुख बयां किया और बोरे खरीदने की अपील की।)

जनज्वार। बिहार के कटिहार से एक शिक्षक की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आयी है। दरअसल सरकार के आदेश के बाद अब शिक्षक पढ़ाने की जगह सड़क पर बोरे बेचते हुए नजर आ रहे हैं। शिक्षक का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।

दरअसल बिहार सरकार के मिड डे मील योजना के निदेशक की ओर से विद्यालयों के खाली बोरे की बिक्री करने का आदेश दिया गया है। इससे मिलने वाले पैसे को मिड डे मील के खाते में जमा कराने को कहा गया है। इसी आदेश के खिलाफ शिक्ष मोहम्मद तमीजुद्दीन ने यह प्रदर्शन किया है।

वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे स्कूल के ये शिक्षक चिल्ला-चिल्लाकर दस रुपये में बोरे बेच रहे हैं। वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

खबरों के मुताबिक, बिहार के शिक्षा विभाग की ओर से साल 2014-15 और 2015-16 में विद्यालयों को उपलब्ध कराए गए मिड डे मील में चावल के खाली बोरे की बिक्री करने और पैसे जमा करने का आदेश जारी किया गया। सरकार ने खाली बोरों के लिए दस रुपये भी तय किया है। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई करने की बात की गई है।

विद्यालयों में जो चावल के बोरे हैं वो अधिकांश कटे-फटे हुए हैं। इसलिए ग्राहक भी इसे खरीदने से पहले सवाल पूछ रहे हैं। 

शिक्षक इस आदेश का लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। इस बीच शिक्षक मोहम्मद तमीजुद्दीन ने सरकार के इस आदेश का नए तरीके से विरोध किया और बोरे बेचने बाजार में निकल पड़े। बोरे बेचते वक्त कदवा प्रखंड के एक स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद तमीजुद्दीन ने लोगों से अपना दुख बयां किया और बोरे खरीदने की अपील की। साथ सरकारी आदेश को लेकर कई तंज भी कसे।

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