NGT ने पर्यावरण नियमों को लेकर की वन मंत्रालय की खिंचाई, कहा निगरानी तंत्र पर्याप्त नहीं

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा निगरानी खराब है और शर्तें बनाने और उन्हें अमल में लाने के बीच काफी अंतर है, पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय से इसके लिए तंत्र की समीक्षा करने और इसे मजबूत करने को कहा....

Update: 2020-08-01 15:51 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने परियोजनाओं को मिली पर्यावरण मंजूरी के नियमों के अनुपालन पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (MOEF) की खिंचाई की और कहा कि पर्यावरण के नियमों की निगरानी का तंत्र पर्याप्त नहीं है।

एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के अनुपालन की निगरानी समय-समय पर की जानी चाहिए, एक तिमाही में कम से कम एक बार ऐसा किया जाना चाहिए।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा निगरानी खराब है और शर्तें बनाने और उन्हें अमल में लाने के बीच काफी अंतर है। पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय से इसके लिए तंत्र की समीक्षा करने और इसे मजबूत करने को कहा।

इस बीच अधिकरण ने मंत्रालय की ओर से दायर उस हलफनामे पर भी गौर किया जिसमें कहा गया था कि निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए कई प्रस्ताव हैं।

पीठ ने कहा, 'जमीन पर प्रभावी ढंग से लागू किए बगैर, इस प्रकार के प्रस्ताव भर दिखाने वाली याचिकाओं को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। एमओईएफ के वकील कहते हैं कि हलफनामा दाखिल करने के बाद से कई सार्थक कदम उठाए गए हैं लेकिन इन्हें दर्ज नहीं किया गया।'

पीठ ने कहा, 'हम इस मामले पर एमओईएफ के इस रवैये को स्वीकार नहीं कर सकते।' मामले पर अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।

यह निर्देश तब आया जब अधिकरण याचिकाकर्ता संदीप मित्तल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें परियोजनाओं के लिए दी गई पर्यावरणीय मंजूरी में उल्लेखित शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कठोर तंत्र की मांग की गई थी।

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