UNICEF Report : पानी की किल्लत से जूझ रहा दुनिया का हर तीसरा बच्चा, भारत में 9 करोड़ बच्चों को पानी भी नसीब नहीं

UNICEF Report : विश्व के 1.42 बिलियन लोग (1 अरब 42 करोड़), जिसमें 450 मिलियन (45 करोड़) बच्चे अधिक या अत्यधिक सूखे वाले क्षेत्र में रह रहे हैं।

Update: 2021-11-01 13:06 GMT

(पानी की किल्लत को लेकर संयुक्त राष्ट्र के निकायों ने देशों को लिखा पत्र। प्रतीकात्मक तस्वीर)

UNICEF Report। दुनियाभर के 80 से ज्यादा देश इस वक्त पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। हर तीसरा बच्चा पानी की कमी का सामना कर रहा है। ग्लासगो (Glasgow) में यूएन फ्रेमवर्क कन्वेशन ऑन क्लाइमेंट चेंज (UNFCCC) का जलवायु शिखर सम्मलेन (CoP -26 )  31 अक्टूबर को शुरु हुआ है। इससे दो दिन पहले संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों ने देशों से जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में पानी को अभिन्न हिस्सा (Integral Part) बनाने की अपील जारी की है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), खाद्य एवं कृषि संगठन (IFO), आईएफएडी, यूनेस्को, यूनिसेफ, यूएनईपी, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, यूएनईसीई और (GWUP) जैसी संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने देशों के प्रमुखों को सम्बोधित पत्र में कहा - 'जलवायु परिवर्तन के जल संबंधी परिणामों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है क्योंकि इससे लोग और धरती प्रभावित हो रही है। 

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने यूनिसेफ की उस रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें बताया गया था कि पानी की कमी की वजह से दुनिया के एक तिहाई से अधिक बच्चों की आबादी प्रभावित हो रही है। एजेंसियों ने आगे कहा, संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2020 इस बात पर जोर देती है कि पानी एक ऐसा 'क्लाइमेट कनेक्टर' है जो जलवायु परिवर्तन (पेरिस समझौता), सतत विकास (2030 एजेंडा और इसके सतत विकास लक्ष्य) और आपदा जोखिम में कमी (सेंडाई फ्रेमवर्क) के अधिकांश लक्ष्यों में अधिक सहयोग और समन्वय की अनुमति देता है।

45 करोड़ बच्चों के पास पर्याप्त पानी नसीब नहीं

विश्व के 1.42 बिलियन लोग (1 अरब 42 करोड़),  जिसमें 450 मिलियन (45 करोड़) बच्चे अधिक या अत्यधिक सूखे वाले क्षेत्र में रह रहे हैं। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए हर 5 में से 1 बच्चे के पास पर्याप्त पानी नहीं है, ये मार्च का आंकड़ा है। वहीं आज हर 3 बच्चों में से एक बच्चा पानी की कमी से जूझ रहा है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक 80 से अधिक देशों के बच्चे अधिक या अत्याधिक सूखा ग्रस्त क्षेत्र में रह रहे हैं। पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका के ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों का अनुपात अधिक है, जहां आधे से अधिक बच्चों को (58%) हर दिन पर्याप्त पानी मिलने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इसी के अनुरूप पश्चिम और मध्य अफ्रीका में (31%), दक्षिण एशिया (25 %) और मध्य पूर्व में (23 %) सूखाग्रस्त इलाकों में बच्चे रह रहे हैं। दक्षिण एशिया बच्चों का सबसे बड़ा घर है। यहां 155 मिलियन (15.5 करोड़) बच्चे अधिक या अत्याधिक सूखा ग्रस्त वाले क्षेत्र में रह रहे हैं।

दुनिया के 37 'हॉट-स्पॉट' जहां पानी की भारी किल्ल्त

यूनिसेफ (UNICEF) की रिपोर्ट में विश्व के ऐसे 37 'हॉट-स्पॉट' देशों की पहचान की गई है जहां बच्चों को विशेष रूप से विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यहां वैश्विक संसाधन, समर्थन और तत्काल एक्शन की जरूरत है। इस सूची में अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, इथियोपिया, हैती, केन्या, नाइजर, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पापुआ न्यू गिनी, सूडान, तंजानिया और यमन शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य-6 का उद्देश्य 'सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन' सुनिश्चित करना है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जल क्षेत्र में इस विशेष सतत विकास लक्ष्य को प्रभावित करने वाला है।

भारत सरकार का 'हर घर नल योजना' हवा हवाई

भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां लाखों बच्चों के पास पीने का पानी नसीब नहीं हैं।  हालांकि मोदी सरकार ने पानी के लिए अलग से जल शक्ति मंत्रालय बना दिया है जिसने हर घर नल-जल योजना शुरु की है लेकिन अभी भी लाखों बच्चों को सरकारी टोंटी से पानी नसीब नहीं है। विश्व में 450 मिलियन बच्चों में से 90 मिलियन (9 करोड़) भारतीय बच्चों को पीने के पानी के लिए तमाम कठिनाइयों सामना करना पड़ता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अधिकांश राज्यों में पानी की व्यवस्था काफी खराब स्थिति में है। राजस्थान, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में मार्च के महीने से ही पानी की समस्या शुरू हो गई थी। 

यूनिसेफ ने पिछली रिपोर्ट में क्या कहा था

यूनिसेफ ने अपनी पिछली रिपोर्ट में कहा था कि पानी की मांग में नाटकीय रूप से वृद्धि जारी है जबकि संसाधन घट रहे हैं। तेजी से जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, पानी का दुरुपयोग और कुप्रबन्धन के अलावा, जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाएं सुरक्षित पानी की उपलब्ध मात्रा को कम करती हैं, जिससे पानी का संकट बढ़ जाता है।

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