'ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीजों की मौत किसी नरसंहार से कम नहीं' : इलाहाबाद हाईकोर्ट
जनज्वार ने 23 अप्रैल के अपने लाइव कार्यक्रम में सबसे पहले 'कोरोना नरसंहार' के मुद्दे को उठाया था, और अब हाईकोर्ट द्वारा इस बात को कहना जनज्वार की बात पर मुहर लगाता है....
जनज्वार। कोरोना की भयावहता के बीच ऑक्सीजन और इलाज के अभाव में होने वाली मौतें सर्वाधिक हैं, मगर हमारी सरकारें बजाय इलाज के संसाधन और ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के आंकड़े छुपाने में व्यस्त हैं। ऑक्सीजन के बिना होती मौतों पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक सरकार से विनती जैसी हालत कर रही हैं कि लोगों का जीवन बचाइये, मगर कुछ होता दिखायी नहीं दे रहा।
जहां कल 4 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन और इलाज के अभाव में होती मौतों पर केंद्र की मोदी सरकार अंधी हो सकती है, मगर हम आंखें बंद नहीं कर सकते, किसी भी हालत में दिल्ली को पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध करवायी जाये, जिससे मौतों का यह आंकड़ा कम हो सके।
वहीं उत्तर प्रदेश में भयावह होती हालत के बाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कल 4 मई को कहा कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीजों की मौत किसी नरसंहार से कम नहीं है।
कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी को लेकर देशभर की अदालतें सरकारों खासकर केंद्र की मोदी सरकार से बेहद नाराज हैं। इसी सिलसिले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार सख्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होने से कोरोना मरीजों की जान जाना अपराध है, यह किसी नरसंहार से कम नहीं है।
जनज्वार ने अजय प्रकाश के साथ 23 अप्रैल के अपने लाइव कार्यक्रम में सबसे पहले 'कोरोना नरसंहार' के मुद्दे को उठाया था, और अब हाईकोर्ट द्वारा इस बात को कहना जनज्वार की बात पर मुहर लगाता है।
गौरतलब है कि कल 4 मई को जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों और क्वारेंटाइन सेंटर्स की स्थिति को लेकर दायर पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी। लखनऊ और मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की और दोनों जिलों के DM को ऐसी खबरों की 48 घंटे में जांच कर अगली सुनवाई पर ऑनलाइन पेश होकर रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, 'कोरोना मरीजों को मरते देख हम दुखी हैं। यह उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं, जिन पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी है। हम अपने लोगों को इस तरह कैसे मरने दे सकते हैं, जबकि विज्ञान इतना एडवांस है कि आज हार्ट ट्रांसप्लांटेशन और ब्रेन सर्जरी भी हो रही हैं।'
हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, आमतौर पर हम राज्य सरकार और जिला प्रशासन को सोशल मीडिया पर वायरल खबरों की जांच करने के लिए नहीं कहते, लेकिन इस मामले से जुड़े वकील भी इस तरह की खबरों का जिक्र कर रहे हैं। वकीलों का कहना है कि राज्य के बाकी जिलों में भी ऐसे ही हालात है। ऑक्सीजन के बिना लोग तड़प-तड़कर जान दे रहे हैं, इसलिए योगी सरकार तुरंत इस दिशा में काम करे।
वहीं, दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार 4 मई को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठे रह सकते हैं हम नहीं। इसके बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करने के आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों न आपके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए।