अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाने पर विवाद, SC ने तलब की फाइल तो विपक्ष ने केंद्र पर लगाया EC को कमजोर करने का आरोप

अरुण गोयल की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र में कोई भी सत्तारूढ़ दल सत्ता में बने रहना पसंद करता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत वह अपने हित में पद पर एक 'यस मैन' नियुक्त कर सकता है।

Update: 2022-11-24 02:32 GMT

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नई दिल्ली। पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को आनन-फानन में निर्वाचन आयुक्त ( Controversy on appointment of Election Commissioner ) बनाने पर अब विवाद बढ़ गया है। इसका असर आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC ) की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान भी दिखा है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की संविधान पीठ ने बुधवार को इस मसले पर गंभीर टिप्पणियां की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रक्रिया में देश के प्रधान न्यायाधीश ( CJI ) को शामिल करने से निर्वाचन आयोग ( Election commission )  की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने यह भी कहा कि केंद्र में कोई भी सत्तारूढ़ दल सत्ता में बने रहना पसंद करता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत पद पर एक 'यस मैन' नियुक्त कर सकता है।

इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि निर्वाचन आयोग अधिनियम 1991 के तहत निर्वाचन आयुक्तों को वेतन और कार्यकाल में स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है, जो किसी संस्थान की स्वतंत्रता के लिए आंतरिक विशेषताएं हैं। इस पर जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि मान लीजिए सरकार हां में हां मिलाने वाले एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करती है जो उसकी विचारधारा का है। कानून उसे कार्यकाल और वेतन में सभी छूट प्रदान करता है, लेकिन संस्था में कोई तथाकथित स्वतंत्रता नहीं होगी। इतना ही नहीं जोसेफ ने कहा कि यह एक निर्वाचन आयोग है, जहां शुरुआती बिंदु पर स्वतंत्रता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

एजी वेंकटरमणि ने कहा कि स्वतंत्रता के विभिन्न पहलू हैं और निश्चित कार्यकाल उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई बिंदु नहीं है जो अदालत के हस्तक्षेप को वांछित करता हो। वर्तमान में अपनाई गई व्यवस्था में सबसे वरिष्ठ निर्वाचन आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने एजी की दलील पर आपत्ति जताते हुए केंद्र को निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ( Arun goyal ) की नियुक्ति से जुड़ी फाइल पेश करने को कहा। बता दें कि गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। संवैधानिक पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि निर्वाचन आयुक्त के रूप में गोयल की नियुक्ति में कहीं कुछ अनुचित तो नहीं किया गया। उन्होंने हाल में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी।

एजी ने पीठ के रुख पर जताई अपत्ति

पीठ के इस रुख पर एजी वेंकटरमणि ने कहा मैं इस पर गंभीर आपत्ति जताता हूं। संविधान पीठ की सुनवाई के बीच न्यायालय के फाइल देखने पर मुझे आपत्ति है। पीठ ने कहा कि उसने पिछले बृहस्पतिवार को सुनवाई शुरू की थी और गोयल की नियुक्ति 19 नवंबर को प्रभावी हुई, इसलिए अदालत यह जानना चाहती है कि यह कदम उठाने के लिए किस चीज ने प्रेरित किया।

दाल में कुछ काला है, या दाल ही काली है

वहीं विपक्षी दलों (Opposition Parties ) ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की टिप्पणियों के बाद केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर निर्वाचन आयोग को कमजोर करने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा कि क्या दाल में कुछ काला है या फिर दाल ही काली है? जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हैं। निर्वाचन आयोग को इससे सबक लेना चाहिए। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने हमेशा मांग की है कि चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया भी सीबीआई और लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया की तरह होनी चाहिए। टीएमसी के सांसद डेरेक ओब्रायन ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने निर्वाचन आयोग ( Election commission ) को कमजोर किया है। आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणियां की हैं वे इसका स्पष्ट संकेत है कि हम जो कहते आ रहे हैं वह सही है।

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