डिप्टी सीएम सिसोदिया ने SC में किया चौंकाने वाला खुलासा - दिल्ली के नौकरशाह न तो कॉल उठाते हैं, न ही बैठकों में होते हैं शामिल
LG vs CM : दिल्ली के वरिष्ठ नौकरशाह बैठकों को छोड़ने के साथ मंत्रियों के टेलीफोन कॉल भी रिसिव नहीं करते हैं। कार्यालयों में मिलने के मंत्रियों के मौखिक अनुरोधों का जवाब नहीं देते।
LG vs CM : दिल्ली की सत्ता पर किसका नियंत्रण को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ( CM Arvind Kejriwal ) और एलजी विनय सक्सेना ( LG Vinay Saxena ) के बीच जंग अब चरम पर पहुंच गया है। इस बीच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ( Deputy CM Manish sisodia ) ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में एक हलफनामा दायकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके हलफनामे से साफ है कि दिल्ली सरकार ( Delhi Government ) में कार्यरत नौकरशाह ( Delhi top bureaucrates ) केजरीवाल के मंत्रियों की न तो फोन उठाते हैं, न ही अहम परियोजनाओं को लेकर बुलाई गई बैठकों में शामिल होते हैं।
सहयोग के बदले असहयोग को दिया जा रहा है बढ़ावा
दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया ( Deputy CM Manish sisodia ) के हलफनामे के मुताबिक वीके सक्सेना का एलजी नियुक्त होने के बाद से यह समस्या पहले से ज्यादा विकट हो गई है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अदालत में दायर याचिका के जरिये बताया है कि नौकरशाहों ने बैठकें छोड़ दी हैं, कॉल भी नहीं उठाते, मंत्रियों के आदेशों की अवहेलना करते हैं और चुनी हुई सरकार के साथ रवैया भी सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों और चुनी हुई सरकार के बीच सहयोग के बदले असंतोष को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में दायर याचिका के मुताबिक अग्रिम नोटिस के बावजूद दिल्ली के वरिष्ठ नौकरशाह और विभागाध्यक्ष नियमित रूप से निर्वाचित सरकार के मंत्रियों के साथ बैठकों में भाग नहीं लेते। बैठकों में अनुपस्थिति रहने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता और न ही मंत्री को इसकी सूचनाएं दी जाती हैं। बैठकों के वरिष्ठ नौकरशाह खुद शामिल होने के बजाय प्रोटोकॉल के विपरीत कनिष्ठ अधिकारियों को शामिल होने के लिए भेजते हैं।
अधर में लटकी अहम परियोजनाएं
अधिकारियों के इस रवैये की वजह से विभागीय मंत्री अहम परियोजनाओं और उनके कार्यान्वयन पर चर्चा तक नहीं कर पा रहे हैं। लंबित कार्रवाई पर एक्शन नहीं हो रहा है। मंत्रियों और अधिकारियों के बीच संवादहीनता की वजह से सरकारी अमले में जारी भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों की समीक्षा व अन्य कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हैं। इसका सीधा नुकसान दिल्ली की जनता को उठाना पड़ रहा है। अपने हलफनामा में मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल एक इंजीनियर हैं। उनके पास दिल्ली को कचरामुक्त बनाने का खाका है। हलफनामे के साथ सिसोदिया ने उन अधिकारियों की सूची भी अटैच की है जो बैठकों में शामिल नहीं होते।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में डिप्टी सीएम सिसोदिया ( Deputy CM Manish sisodia ) की ओर से दायर हलफनामे के मुताबिक मई और अक्टूबर के बीच पर्यावरण, वन और वन्यजीव मंत्री द्वारा बुलाई गई 20 बैठकों में से केवल एक में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रधान सचिव ने भाग लिया। 2022 की प्रदूषण कार्य योजना, मोबाइल एंटी स्मॉग गन की खरीद और पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने की तैयारियों को लेकर प्रस्तावित बैठकों में अधिकारी शामिल नहीं हुए। विकास मंत्री द्वारा दिल्ली के गांवों का विकास और पूसा बायोडीकंपोजर समाधान के लेकर बैठकें जुलाई और सितंबर के बीच बुलाई गई थी, जिसमें सिर्फ विकास आयुक्त ने भाग लिया। अक्टूबर माह में बुलाई गई चार बैठकों में से केवल एक में लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने भाग लिया। हलफनामे में कहा गया है कि सड़कों के रखरखाव, सड़कों को मजबूत करने, पीडब्ल्यूडी भवन व रखरखाव ढांचे आदि पर भी बैठकें बुलाई गई थीं लेकिन उसमें भी अधिकारी शामिल नहीं हुए। हलफनामे में स्वास्थ्य, योजना, शहरी विकास और वित्त सचिवों की बैठकों में भाग न लेने की घटनाओं की ओर भी इशारा किया गया है।
सिसोदिया ( Deputy CM Manish sisodia ) ने आरोप लगाया है कि बैठकों को छोड़ने के अलावा वरिष्ठ सिविल सेवक नियमित रूप से मंत्रियों के टेलीफोन कॉल नहीं लेते हैं, या आधिकारिक मामलों पर चर्चा करने के लिए उनके कार्यालयों में मिलने के उनके मौखिक अनुरोधों का जवाब नहीं देते हैं।
12 जुलाई को अदालत ने जताई थी इस बात पर सहमति
दिल्ली सरकार और दिल्ली सरकार के बीच जारी खींचतान को लेकर 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर सुनवाई के लिए पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ गगठित करने पर सहमति जाहिर की थी।
LG vs CM : बता दें कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता का यह संघर्ष नया नहीं है। जब से अरंविंद केजरीवाल सीएम बने तभी से यह खींचतान जारी है। सबसे पहले उनका नजीब जंग कामकाज और अधिकार क्षेत्र को लेकर मनमुटाव हुआ, उसके बाद पूर्व एलजी अनिल बैजल से उनका रिश्ता सामान्य होने के बाद बिगड़ गया। बैजल और केजरीवाल के बीच संबंधों में तनाव को देखते हुए विनय कुमार सक्सेना को एलजी नियुक्त किया गया, लेकिन दिल्ली के सत्ता के दो केंद्रों के बीच तनाव कम होने के बजाय पहले ज्यादा तनातनी में बदल गया है। वर्तमान में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब एलजी और सीएम एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा न दिखाई देते हों।