Free Schemes In India : अगर ऐसे ही चलती रहीं मुफ्त की योजनाएं तो श्रीलंका जैसा होगा भारत का हाल, शीर्ष अधिकारियों ने PM से कहा

Free Schemes In India : अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है और वे उन्हें श्रीलंका के रास्ते ले जा सकती हैं....

Update: 2022-04-04 09:50 GMT

Free Schemes In India : अगर ऐसे ही चलती रहीं मुफ्त की योजनाएं तो श्रीलंका जैसा होगा भारत का हाल, शीर्ष अधिकारियों ने PM से कहा

Free Schemes In India : भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka Crisis) इस वक्त आर्थिक और उर्जा संकट के भयावह दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में संकट इतना गहरा गया है कि 12 घंटों से ज्यादा वक्त तक प्रतिदिन बिजली काटी जा रही है, देश की मुद्रा डॉलर के ऐतिहासिक कम स्तर पर है। लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर केंद्र की मोदी सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री (Narendra Modi) से कहा है कि अगर इसी तरह मुफ्त की योजनाएं चलती रहीं तो भारत का हाल श्रीलंका जैसा हो सकता है।

खबरों के मुताबिक दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 3 अप्रैल को वरिष्ठ नौकरशाहों और कुछ अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। घंटों चली इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval), प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा कई शीर्ष नौकरशाह भी शामिल थे। इसी दौरान इन नौकरशाहों और अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है और वे उन्हें श्रीलंका के रास्ते ले जा सकती हैं। यह बात सूत्रों के हवाले से कही जा रही है। 

सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान मोदी ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कहा कि वे कमियों के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के प्रबंधन की नई चुनौती का सामना करें। मोदी ने प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के बहाने के तौर पर गरीबी का हवाला देने की पुरानी कहानी को छोड़ने और उनसे एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से एक टीम की तरह काम किया उसका उल्लेख किया और कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने सचिवों से फीडबैक देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से जुड़े हैं।   

सूत्रों के मुताबिक 24 से ज्यादा सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा, उन्होंने सबको ध्यान से सुना। 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ नौवीं बैठक थी। 

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