Governments maligning judges : सरकार जजों को कर रही बदनाम, यह ट्रेंड सही नहीं- मुख्य न्यायाधीश

Governments maligning judges : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने 8 अप्रैल को सरकारों द्वारा न्यायपालिका को बदनाम करने सोच पर गंभीर चिंता जताई है।

Update: 2022-04-09 03:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना पीआईएल को बताया 'Personal Interest Litigation', क्यों?

Governments maligning judges : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court News ) के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ( Chief Justice NV Ramana ) ने जजों को लेकर सरकारों के रवैये पर गंभीर चिंता जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक नया ट्रेंड चलन में आ गया है। इस ट्रेंड के तहत सरकार जजों को बदनाम ( Governments defaming Judges ) करने की मुहिम में जुटी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ( Unfortunate Situation ) है। इसे सही नहीं कहा जा सकता। पहले केवल निजी पार्टियों द्वारा जजों को बदनाम किया जाता था, लेकिन सरकारी स्तर पर ऐसा होना गंभीर मसला है। इस ट्रेंड को हम अदालत ( Court ) में देख भी रहे हैं और अनुभव भी कर रहे हैं। 

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana  ) ने शुक्रवार को सरकारों द्वारा न्यायपालिका को बदनाम करने की इस प्रवृत्ति की निंदा की। उन्होंने कहा कि जजों पर आरोप लगाने का प्रयास पहले केवल निजी पार्टियों द्वारा किया जाता था। अब सरकार भी इसमें शामिल हो गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक नया चलन है। ऐसा हर रोज देख रहे हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि आपकी जो भी लड़ाई है वो अपनी जगह है लेकिन अदालत को बदनाम न करें।

केवल संभावना के आधार पर मुकदमा दर्ज नहीं कर सकते

सरकार द्वारा जजों को बदनाम करने को लेकर यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश रमना की पीठ ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक पूर्व प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर को निरस्त कर दिया था। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था कि एफआईआर संभाव्यता के आधार पर दायर की गई है, जिसके आधार पर किसी को अभियोजित नहीं किया जा सकता।

25 फरवरी 2020 को दर्ज हुई थी FIR

छत्तीगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 25 फरवरी, 2020 को पूर्व प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। एक "सामाजिक और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता" उचित शर्मा ने मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत के आधार पर दंपति की आय से अधिक संपत्तियां की जांच की मांग ने थी।

10 जनवरी 2022 को एफआईआर रद्द

इस मामले में 28 फरवरी, 2020 को जारी एक अंतरिम आदेश में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि दोनों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए जाएं। वहीं हाईकोर्ट ने 10 जनवरी, 2022 को आदेश जारी कर दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया था। हाइईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप प्रथम दृष्टया संभावनाओं पर आधारित बताते हुए कहा​ कि किसी भी व्यक्ति पर संभाव्यता के आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शर्मा की शिकायत का स्वयं सीएम द्वारा समर्थन किया गया था और इसका उल्लेख सीएस और ईओडब्ल्यू से कराए जांच में भी किया गया था।

दोनों पक्ष ने की थी सुप्रीम कोर्ट में अपील

Governments maligning judges : 11 नवंबर, 2019 को सिंह के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी। शर्मा और राज्य सरकार दोनों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अपील की। CJI अपीलों की समीक्षा करते समय स्पष्ट रूप से परेशान थे और उन्होंने टिप्पणी की। यह स्पष्ट नहीं था कि अदालत को किस बात से चिढ़ हुई थी।

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