ग्राउंड रिपोर्ट : UP में क़िस्त के इंतजार में शरणार्थी बने पीएम आवास योजना के लाभार्थी, अपना घर तुड़वाकर रह रहे किराये पर

सहाना बीवी अपने अधूरे आशियाने की बात कैमरे के सामने करने से मना करते हुए डरती हैं कि कहीं अधिकारी उनसे नाराज होकर आवास निरस्त न कर दें, हाथ जोड़कर विनती करने लगती हैं कि बस रहने दीजिए, बड़ी मुश्किलों से कागज पास हुए हैं...

Update: 2020-11-19 04:30 GMT

पीएम आवास योजना की अगली किस्त का इंतजार करते लाभार्थी, कब बनेगा सपनों का घर यही पूछ रहीं इनकी आंखें (photo : janjwar) 

संतोष देव गिरि की रिपोर्ट

जनज्वार, वाराणसी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत "सबका हो अपना आवास" की धज्जियां उन्ही के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उड़ रही हैं। कहने को तो लाखों लाभार्थियों को ढाई लाख रुपये देने और आवास बनाने की बात की जा रही है, लेकिन वास्तविकता तो यह है कि कई माह बीत जाने के बाद भी अब तक हजारों लोगों को इस योजना का अभी तक दूसरी-तीसरी क़िस्त नहीं मिल पाई है।

यही कारण है की लोग अपने टूटे, फूटे आशियाने को भी उजाड़कर दूसरे के घरों में या तो किराएदार हो गए या फिर शरणार्थियों कि तरह जीवन यापन करने को मजबूर हैं। कुछ ऐसे भी मजबूर हैं जो इस ठंड में प्लास्टिक, टीन की छत बनाकर उसके नीचे जीवन बसर कर रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चिन्हित लाभार्थियों को पहली किस्त में 50 हजार रुपये, दूसरी क़िस्त में डेढ़ लाख रुपए और अंतिम तीसरे क़िस्त में 50 हजार रुपये देने का प्रावधान है। जिन लोगों को काफ़ी संघर्ष, जद्दोजहद के बाद लाभार्थी की सूची में डाला गया उन्हें पहली किस्त का झुनझुना पकड़ा दिया गया। कुछ लोगों की थोड़ी और किस्मत ने साथ दिया तो उन्हें दूसरी क़िस्त का भी लॉलीपॉप थमा दिया गया।

फिलहाल बहुत से ऐसे लोग अभी भी संघर्ष कर रहे है जिन्हें दूसरी और तीसरी क़िस्त अभी तक नहीं मिल पायी है। यही कारण है कि लोग जो पैसा मिला उससे अपूर्ण बने मकान में रह रहे हैं। ठंड ने भी दस्तक दे दी है। ऐसे में उनका बुरा हाल होने वाला है, जिनका पूरा मकान बनाने का सपना अभी भी अधूरा ही है।

पहली किस्त मिलने के बाद लाभार्थियों ने अपना मकान तोड़वाकर या कच्चा मकान जमींदोज कराकर बनवाना शुरू किया, जो दूसरी क़िस्त मिलने के बाद कुछ हद तक बनकर तैयार भी हो गया। बहुत से ऐसे भी लाभार्थियों की सूची है, जिन्हें पूरी क़िस्त नही मिलने से मकान का काम बीच मे ही रोकना पड़ा। अधिकांश लाभार्थियों को दूसरी और तीसरी क़िस्त अभी तक नहीं मिलने से उनकी परेशानी काफी बढ़ी हुई है, मकान बनने का काम अधूरा पड़ा हुआ है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के एक लाभार्थी महेश कहते हैं, मकान का ढांचा तो खड़ा हो गया है, लेकिन खिड़की दरवाज़े नही लग पाए हैं। दूसरी और तीसरी क़िस्त कब तक मिलेगी, जब यह बात हम विभाग में पूछ रहे हैं तो कहा जा रहा है सारी कागजी कार्रवाई पूरी करके बजट के लिए भेज दिया गया है।

वहीं विभाग से जब इस संंबंध में जनज्वार ने संपर्क किया और लाभार्थियों को किस्तें क्यों नहीं मिल रहा पूछा तो जवाब मिला कि केंद्र सरकार से बजट नही मिल पा रहा है। हमारे पास पैसा नहीं है जो लाभार्थियों को दें।

पीएम आवास योजना की लाभार्थी अंजू प्रजापति का काफी समय पहले बजट पास हो जाने के बावजूद अब तक किस्त नहीं मिल पाने से नहीं बन पाया मकान (photo : janjwar) 

लाभार्थियों को क़िस्त कब तक मिल जाएगी, यह बजट मिलने पर ही निर्भर करता है और बजट कब तक मिलेगा इसकी आधिकारिक पुष्टि परियोजना अधिकारी जया सिंह भी नहीं करती हैं।

परियोजना अधिकारी जया सिंह का कहना है कि 'हम भी बजट का ही इंतजार कर रहे हैं, प्रयास जारी है, कब तक मिलेगा हमें खुद नही पता। प्रयास जोर शोर से किया जा रहा है, जैसे ही हमें बजट स्वीकृत होता है, अविलम्ब लाभार्थियों को भुगतान कर दिया जाएगा।'

ऐसे में दिलचस्प यह है कि ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सपने को "सबका हो पक्का मकान" को अंजाम, मुकाम तक आखिर कब तक पहुंचाया जा सकेगा। बजट नहीं होने के कारण जिन लाभार्थियों को दूसरी, तीसरी क़िस्त नहीं मिल पाई है वह खुद का घर होते हुए भी बेघर की जिंदगी गुजार रहे हैं। ऐसे में यदि उन लाभार्थी या उनके परिवार के किसी सदस्य के साथ कोई दर्दनाक हादसा, अनहोनी हुई तो आखिर इसका जिम्मेदार किसे ठहराया जाएगा?

पीएम आवास योजना के लाभार्थी सूची में शामिल आदमपुर थाना क्षेत्र की सहाना बीवी, कैंट थाना क्षेत्र के अशोक विहार कॉलोनी निवासी मुन्ना विश्वकर्मा, सदर बाजार निवासी अनीता सिंह, सरसौली क्षेत्र निवासी तारा देवी, नारायणपुर शिवपुर निवासी अंजू प्रजापति ऐसे नाम हैं, जिन्हें दीपावली से पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के शेष पड़े किस्त के आने की प्रबल संभावना थी, जिसके जरिए उन्होंने काफी उम्मीदें भी लगा रखी थी। मसलन अपना घर होने के बाद भव्य ढंग से दीपावली मनाने, भवन को चारों तरफ से दीपक से सजाने की लालसा रही है, जो सपना ही रह गया।

शिवपुर थाना क्षेत्र के नारायणपुर निवासी अंजू प्रजापति उखड़कर कहती हैं, "एक किस्त मिलने के बाद अन्य किस्ते रुक गई हैं, यह कब मिलेगा भगवान ही मालिक है। हमें डूडा कार्यालय पर जाने पर बस एक ही जवाब मिल रहा है आते ही बजट आपके खाते में पैसा भेज दिया जाएगा, लेकिन यह बजट कब आएगा इसका जवाब देने में डूडा के अधिकारी से लगाए कर्मचारी भी निरुत्तर हो जा रहे हैं।"

सहाना बीवी अपने अधूरे आशियाने की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, "यह कब पूरा होगा अल्लाह ही जाने।" आवास योजना की पात्रता सूची में शामिल होने के लिए जिन जिन कठिनाइयों का सामना उन्हें करना पड़ा है उसकी भी पीड़ा उनके चेहरे पर साफ झलकती है, लेकिन वह कैमरे के सामने आने से मना करते हुए इस बात का भय प्रकट करती हैं कि कहीं अधिकारी उनसे नाराज होकर उनका आवास निरस्त न कर दें।

जनज्वार संवाददाता ने जब उन्हें बताया जाता है कि ऐसा नहीं हो सकता, बावजूद इसके वह भय खाती हैं और हाथ जोड़कर विनती करने लगती हैं कि बस रहने दीजिए। ऐसे में इन महिलाओं की वेदना को समझा जा सकता है कि आवास योजना के लाभार्थी सूची में शामिल होने के लिए उन्हें किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ा है। यही वजह है वह ना तो मीडिया के सामने आना चाहती हैं और ना ही कोई भी ऐसा कार्य करना चाहती हैं जो डूडा के अधिकारियों को नागवार गुजरे।

कहना गलत भी नहीं होगा कि पीएम आवास योजना के लिए पात्र होने के बाद भी पात्रों को तमाम कठिनाइयों के साथ ही साथ दलालों से लगाए विभागीय कर्मियों तक को भी कुछ पुचकारना पड़ा है, तब कहीं जाकर वह पात्रता सूची में योग्य साबित हुए हैं। ऐसे में लाभार्थी कोई भी जोखिम उठाना नहीं चाहते, ताकि विभागीय अधिकारी उनके लटके पड़े आवास की किस्त में अड़ंगा डाल कर उन्हें परेशान कर सके।

पीएम आवास योजना के अधूरे बने आशियानों का यह है हाल (photo : janjwar)

बात सहाना बीवी, मुन्ना, अनीता, तारा, अंजू पर ही समाप्त नहीं होती है। ऐसे अनगिनत नाम है जो प्रथम और दूसरी किस्त के बाद अन्य किस्त के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हुए हैं, ताकि उनका भी अपना छत और मकान होने का अरमान पूरा हो सके। दीपावली पर्व पर रुके हुए किस्त "सौगात" के तौर पर मिलने की प्रबल संभावना थी, लेकिन यह प्रबल संभावना पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के लिए आस हुई निराश में तब्दील हुई है।

विभागीय सूत्रों की मानें तो लाभार्थियों को मात्र मौखिक आश्वासन दिया जा रहा है कि हो सकता है कि दीपावली त्योहार के पूर्व उन्हें दूसरी औऱ अंतिम क़िस्त का भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन परियोजना अधिकारी (डूडा) जया सिंह के लाख प्रयास के बावजूद लाभार्थियों को उनकी समस्याओं का हल होता फिलहाल नहीं दिखाई दे रहा है।

जिन लाभार्थियों को पहली और दूसरी क़िस्त मिली है, उनके आवास अभी भी अधूरे पड़े हैं। यदि समय से उन्हें तीसरी क़िस्त मिल गई होती तो उनके मकान पूरे बन गए होते और वह भी अपने नवनिर्मित घर में दीपावली के दीप जगमगाते। देखना यह है कि आखिर उन लाभार्थियों को कब तक क़िस्त मिल पाएगा और उनका अपना पक्का घर भी है कहने का सपना पूरा हो सकता है।

खास बात यह है कि विभाग में बजट नहीं होने के बाद भी लाभार्थियों को तत्काल क़िस्त दिलाने के लिये तथाकथित दलाल भी सक्रिय बने हुए हैं। आये दिन लाभार्थियों के घर पहुंचकर डूडा अधिकारियों, कर्मचारियों का खुद को खासमखास बताकर उनसे सुविधा शुल्क की मांग कर रहे हैं। कुछ इलाकों में जनप्रतिनिधियों, डूडा कर्मचारियों, अधिकारियों के नाम पर भी दलालों द्वारा लाभार्थियों से मोटी रकम मांगने, अवैध वसूली करने के आडियो, वीडियो भी सामने आ चुके हैं।

जो आडियो-वीडियो सामने आये हैं उनमें बाकायदा बताया गया है कि जब तक अधिकारी, कर्मचारियों की जेब गर्म नहीं होगी तब तक लाभार्थियों को किसी भी हाल में क़िस्त का भुगतान नहीं किया जाएगा। जो दलाल चिन्हित हुए हैं, उनमें से कुछ तो बाकायदा विभाग का परिचय पत्र भी लेकर चलते हैं। कई बार उन्हें विभाग में भी देखा जाता है। वास्तव में यह भी जांच का विषय है, किंतु जांच होती कहां है।

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