मोदी में जरा भी बची है नैतिकता तो राम मंदिर ट्रस्ट की भ्रष्ट कार्यकारिणी को तत्काल करें भंग : स्वामी शिवानंद सरस्वती

मातृ सदन के संत स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा अगर पीएम मोदी कोई कारवाई नहीं करते हैं तो माना जाएगा कि जिस तरह गंगा के नाम पर अधर्म हुआ, उसी तरह भगवान राम के नाम पर भी अधर्म होगा...

Update: 2021-06-14 09:50 GMT

मातृसदन के प्रमुख संत स्वामी शिवानंद राम का राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने किया है अपमान, पीएम मोदी लें कड़ा एक्शन

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। लंबे समय से गंगा की अविरलता के लिए संघर्षरत मातृ सदन हरिद्वार के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में गड़बड़ी साफ नजर आ रही है। इस पूरी अनियमितता के लिए ट्रस्ट की पूरी कार्यकारिणी जिम्मेदार है।

उन्होंने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नैतिकता को समझते हों तो राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें। एक दिन पूर्व इस प्रकरण को लेकर यह बात चर्चा में आई कि दो करोड़ रुपए में बैनामा कराई गई जमीन को 10 मिनट के अंदर 18.50 करोड़ रुपए में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया गया। इसको लेकर विपक्षी दलों ने मंदिर निर्माण के नाम पर भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।

इसी प्रकरण पर जनज्वार से बात करते हुए मातृसदन हरिद्वार के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि भगवान राम जैसे व्यक्तित्व व प्रभु के रूप में उनके लिए गए अवतार का ट्रस्ट ने अपमान किया है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ट्रस्ट बिना बैठक में जमीन खरीद संबंधित प्रस्ताव पास कराए बिना कोई निर्णय नहीं ले सकती है। आखिर दस मिनट में कोई ट्रस्ट की बैठक कैसे बुलाया सकती है। इसी समय में जमीन खरीद संबंधित कोई प्रस्ताव कैसे पास किया जा सकता है। प्रधानमंत्री जी अगर नैतिकता को समझते हों व राम को भगवान समझते हों तो ट्रस्ट की कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को तत्काल हटाकर इनके खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही भगवान राम व धर्म के प्रति समर्पित व्यक्तियों को इसमें शामिल करें। समाज में ईमानदार लोगों की कमी नहीं है। मंदिर आस्था के साथ सत्य का आह्वान करने वाला स्थान होता है। यहां असत्य व लोभी व्यक्ति के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

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अगर प्रधानमंत्री कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि जिस तरह गंगा के नाम पर अधर्म हुआ, उसी तरह भगवान राम के नाम पर भी अधर्म होगा।

गौरतलब है कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए मातृ सदन बीस वर्षों से संघर्षरत है। हरिद्वार की पवित्र भूमि पर गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन के दो संत स्वामी निगमानंद और प्रख्यात वैज्ञानिक स्वामी ज्ञानस्परूप सानंद उर्फ प्रो. जीडी अग्रवाल अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। उनके आंदोलन को मातृसदन हरिद्वार के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती लगातार आगे बढ़ा रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत के हवाले से इस प्रकरण में सफाई देते हुए कहा गया है 9 नवंबर, 2019 को श्री राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने के लिए देश के कई लोग आने लगे। खुद उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के विकास के लिए बड़ी मात्रा में जमीन खरीद रही है, इस कारण अयोध्या में जमीनों के दाम बढ़ गए, जिस भूखंड पर चर्चा की जा रही है वह रेलवे स्टेशन के पास बहुत प्रमुख जगह है।

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शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने इस मामले में जनज्वार से बात करते हुए कहा, 'जमीन खरीद में अनियमितता का प्रकरण गंभीर विषय है। इस सवाल पर प्रधानमंत्री की चुप्पी ठीक नहीं है। उन्हें संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि उन्ही के मार्गदर्शन में ट्रस्ट का गठन हुआ है। ट्रस्ट पर लग रहे आरोप की सत्यता की जांच कर कारवाई की जानी चाहिए। ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जो सफाई दी गई है, वह तो इससे और आरोपों में घिर गए हैं। हालांकि अभी हमें उस विज्ञप्ति की सत्यता पर भी संदेह है। उस पर चंपत राय का स्वयं का हस्ताक्षर व दिनांक तक का उल्लेख नहीं है। सोशल मीडिया पर आ रही जमीन खरीद संबंधित खबरें व चंपत राय द्वारा दी गई सफाई का मैं अध्ययन कर रहा हूं। इसके बाद ही मैं कोई ठोस बयान दूंगा। इसे बिना जांचें—परखे अभी मैं कुछ और नहीं बोलना चाहता।'

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी भूमि खरीदी है, खुले बाजार की कीमत से बहुत कम दामों पर खरीदा है। जिस जमीन की खरीद को लेकर आरोप लगाए हैं उस जमीन को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेताओं ने सालों पहले जिन दामों पर रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया था, उस जमीन को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया। इसके बाद ही ट्रस्ट के साथ एग्रीमेंट किया।

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कल 13 जून को इस प्रकरण को उजागर करते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय पवन ने कहा था कि दो करोड़ रुपए में बैनामा कराई गई जमीन को 10 मिनट के अंदर 18.50 करोड़ रुपए में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया गया। पवन ने पूरे मामले में दस्तावेज पेश करते हुए इसकी जांच CBI से कराने की मांग की है।

पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने बताया कि यह भूमि सदर तहसील क्षेत्र के बाग बिजैसी में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 12 हजार 80 वर्ग मीटर है। यह भूमि रवि मोहन तिवारी नाम के एक साधु व सुल्तान अंसारी के नाम बैनामा हुई थी। ठीक 10 मिनट बाद इसी भूमि का ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के नाम 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया जाता है। बैनामा व रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 18 मार्च, 2021 को किया गया।

आरोप है कि बैनामा व रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र और नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह हैं। उन्होंने आरटीजीएस की गई 17 करोड़ रुपए धनराशि की जांच कराने की मांग की है। कहा है कि यह धनराशि कहां-कहां गई, इसका पता लगाया जाए और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, आज जो आरोप विश्व हिंदू परिषद पर लग रहे हैं उसमें 2 करोड़ की जमीन 5 मिनट में 18 करोड़ की हो जा रही है। क्या राम के नाम पर धन की लूट का काम तो नहीं हो रहा है। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। सरकार इसकी उच्चस्तरीय जांच कराए अगर ये लूट हुई है तो उन लोगों को साधारण लोगो से ज्यादा कई गुना ज्यादा सजा मिलनी चाहिए।

वहीं आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य व उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की है।

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