ILO Report : मोदी राज में नहीं सुधरे हालात, सबसे ज्यादा युवा बेरोजगार, पीएम नहीं करते इस मुद्दे पर बात, क्यों?
ILO Report : कोरोना काल में रोजगार के मामले में सबसे ज्यादा बुरा हाल 15 से 20 साल के युवाओं का रहा। करीब 85 फीसदी बच्चे स्कुली शिक्षा की मुख्यधारा से कटे रहे।
ILO Report : मोदी सरकार ( Modi government ) ने अपना आठ साल का कामकाज पूरा कर लिया। इस दौरान पीएम मोदी ( PM Narendra Modi ) ने सबसे ज्यादा जोर युवाओं को मजबूत करने पर दिया। युवा भारत का सपना तो वो दिन में भी देखते रहते हैं, पर क्या आपको पता है, मेक इन इंडिया, डिजिटल भारत और उभरते भारत के दौर में सबसे ज्यादा खराब हालात किसके हैं, नहीं पता है न, मैं आपको बताता हूं। देश में सबसे बुरे दौर से हमारे युवा ( Indian Youth ) गुजर रहे हैं। खासकर वे युवा ( Youth unemployment ) जो 15 से 20 साल के हैं। इसके बाद रोजगार ( employment ) के नजरिए से महिलाओं की स्थिति खराब है। इस मामले में युवाओं के बाद उन्हीं का नंबर आता है।
पीएम को है युवाओं पर गर्व, उन्हीं की हालत सबसे ज्यादा खराब
चौंकिए नहीं, मोदी के समर्थक है तो भी मुझ पर नाराज होने की जरूरत नहीं है। पता है क्यों, क्योंकि ये मैं नहीं कह रहा, न ही किसी भारतीय एजेंसी की ये रिपोर्ट है। ये तो इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट है भाई साहब। समझ गए न, इसे संक्षिप्त में आईएलओ रिपोर्ट के नाम से जाता है। इस रिपोर्ट की वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान है। आईएलो ने ग्लोबल एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड फार यूथ रिपोर्ट 2022 ( ILO Global Employment Trends for Youth 2022 report 2022) एक दिन पहले जारी कर दी है। आईएलो की रिपोर्ट ( ILO Report ) में भारत को लेकर बताया गया है कि वहां पर सबसे बुरे दौर से वहां के युवा गुजर रहे हैं। खास बात तो यह है कि इन्हीं युवाओं को दम पर मोदी ( PM Narendra Modi ) साहब देश को महाशक्ति और विश्व गुरु बनाना चाहते हैं।
2022 में 73 मिलियन युवा होंगे बेरोजगार
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ( ILO ) द्वारा गुरुवार को जारी ग्लोबल एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड्स फॉर यूथ 2022 रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 2020 और 2021 में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों में गिरावट का सामना किया है। 2020 की तुलना में 2021 में भारतीय युवाओं के रोजगार में गिरावट आई। कोविड-19 महामारी ने इस संकट को विकराल बना दिया है। इसने किसी भी अन्य आयु वर्ग की तुलना में युवाओं को अधिक नुकसान पहुंचाया है। महामारी की वजह से वैश्विक स्तरपर 15 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं की स्थिति श्रम बाजार में नाजुक बनी हुई है। आएलओ रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में बेरोजगार युवाओं की कुल वैश्विक संख्या 73 मिलियन तक पहुंचने की संभावना हैं। 2021 यह 75 मिलियन था। स्थिति में आंशिक सुधार है, लेकिन 2019 की तुलना में 6 मिलियन ज्यादा है।
भारत को लेकर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि 2020 की तुलना में 2021 के पहले नौ महीनों में रोजगार के अवसरों में 0.9 प्रतिशत अंक की गिरावट आई। कम उम्र के युवा कटेगरी में यह 2 प्रतिशत अंकों में है। खासकर 15 से 20 साल के युवाओं के लिए तो यह स्थिति गंभीर चिंता की है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र में युवाओं की बेरोजगारी दर 2022 में 14.9 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो वैश्विक औसत के करीब है।
85% बच्चे रहे शिक्षा से वंचित
पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान डिजिटलाइजेशन पर सबसे ज्यादा जोर दिया। इसके बावजूद कोरोना महामारी के दौरान 24 करोड़ स्कूल जाने वाले बच्चों में से ग्रामीण क्षेत्रों के केवल 8 फीसदी और शहरी क्षेत्रों के 23 प्रतिशत बच्चों ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े थे। औसतन 85 प्रतिशत बच्चे कोरोना महामारी की पूरी अवधि के दौरान स्कूली शिक्षा से कटे रहे। इस दौरान भारत में औसतन 92 फीसदी बच्चों ने भाषा क्षमता तो 82 फीसदी बच्चों ने गणितीय क्षमता खो दी।
ILO Report : भारत में युवा महिला श्रम बाजार की भागीदारी बहुत कम है और भारतीय युवा महिलाओं ने 2021 और 2022 में युवा पुरुषों की तुलना में उन्हें ज्याना नुकसान उठाना पड़ा है। वैश्विक श्रम बाजार में युवा भारतीय पुरुषों की संख्या 16 फीसदी है जबकि युवा भारतीय महिलाओं के लिए यह हिस्सेदारी सिर्फ 5 फीसदी है।