BJP प्रदेश कार्यसमिति बैठक में CM योगी के सामने ही विधायक ने खोल दी सरकार की कलई

पूर्व विधायक ने कहा सभी लोगों से मालूम कर लीजिए की थाने और तहसील भृष्टाचार का अड्डा बन गए हैं, यह सभी पूरी तरह से नौकरशाही के हवाले कर दिए गए हैं, जहां अब पूरी तरह से रिश्वत का बोलबाला है...

Update: 2021-03-17 05:50 GMT

जनज्वार, लखनऊ। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में लोग उस समय बगले झांकने लगे जब पार्टी के पूर्व विधायक व कार्यसमिति के सदस्य राम ​इकबाल सिंह ने बोलना शुरू किया। मंच पर आते ही इकबाल ने किसानों की बात से कहना शुरू किया। कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है।


राम इकबाल ने कहा कि सूबे के थाने तहसील भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए हैं। उनका इतना कहते ही पूरा हाल तालियों से गूँज गया। किसी बड़े नेता द्वारा इस तरह हकीकत बताने पर कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दिखी, वहीं मंच पर बैठे दूसरे नेताओं का पसीना छूट गया।




कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल ने कहा कि यह पार्टी का भीतरी मंच है, अगर यहां अपने मन की बात नहीं कह पाएंगे तो कहां कहेंगे। वहीं जब सभा में बैठे कार्यकर्ताओं को लगा कि यह उनके मन की बात है तो जमकर तालियां बजीं। उन्होंने कहा किसानों के साथ सही नहीं हुआ। यूरिया का रेट घटाया तो गया, लेकिन बोरी का वजन पचास से 45 किलो कर दिया गया। डीजल के बढ़े दामों पर उन्होंने कहा कि धान की बुआई अब तक जो 500 रूपये बीघा होती थी, अब 800 रूपये प्रति बीघा हो रही है। डीजल के दाम से किसान को नब्बे रुपये प्रति कुंतल का नुकसान हो रहा है।

पूर्व विधायक ने कहा कि सभी लोगों से मालूम कर लीजिए की थाने और तहसील भृष्टाचार का अड्डा बन गए हैं। यह सभी पूरी तरह से नौकरशाही के हवाले कर दिए गए हैं, जहां अब पूरी तरह से रिश्वत का बोलबाला है। कुछ माननीयों का भले ही काम हो जाता हो पर कार्यकर्ता थाने जाने में डरता है। यहां तक की मंडल कार्यकर्ता भी थाने जाने में डरता है।

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Posted by Ram Iqbal Singh on Monday, March 15, 2021

पुलिस पिटने वाले से भी पैसे ले रही है और पीटने वाले से भी। राम इकबाल के यह कहते ही खूब तालियां बजीं। यह सब देखकर सीएम के साथ बैठे प्रदेश प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह भी भौंचक थे। उन्हें शायद ही अंदाजा रहा हो कि इतने बड़े कद का नेता सीएम के सामने ऐसे बोल देगा।

स्वतंत्र देव सिंह ने कार्यकर्ताओं को धमकाने के लहजे से कहा कि ऐसी बातों पर आप लोग तालियां बजा रहे हैं। उनके इतना कहते ही कार्यकर्ता भले ही शांत हो गए, पर एक दूसरे से यह जरूर कहते नजर आए कि आज राम इकबाल ने उनके मन की बात कह दी। बाद में एक कैबिनेट मंत्री ने राम इकबाल से कहा कि इतना नहीं बोलना चाहिए जिस पर राम इकबाल ने जवाब दिया कि थाने में बिना रिश्वत काम नहीं हो रहा तो कैसे चुप रहूँ।  

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