धर्मांतरण कर ईसाई-मुस्लिम बने हिंदू दलितों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति जानने के लिए मोदी सरकार करने जा रही एक पैनल का गठन

Dalit Conversion : मोदी सरकार उन हिंदू दलितों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करना चाहती है, जो हिंदू बौद्ध और सिख धर्म छोड़कर ईसाई या इस्लाम धर्म अपना चुके हैं...

Update: 2022-09-19 05:08 GMT

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Dalit Conversion : धर्मांतरण का मुद्दा जब तब हमारे देश में राजनीतिक गलियारों में छाया रहता है। केंद्र में सत्तासीन भाजपा लगातार इस मुद्दे को भुनाती भी आयी है। अब एक बार फिर से यह मुद्दा चर्चा में है, और इसका कारण है मोदी सरकार द्वारा धर्मांतरण करके ईसाई और मुस्लिम बने दलित हिंदुओं की स्थिति जानने के लिए एक पैनल गठित करने की घोषणा। मगर सरकार द्वारा उनकी स्थिति जानने के लिए पैनल का गठन किया जाना हास्यास्पद लगता है, क्योंकि दलित पहले ही अपने धर्म में सुखी और सम्मानजनक जीवन जी रहे होते तो उन्हें धर्मांतरण की जरूरत ही क्यों पड़ती।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक ईसाई और इस्लाम धर्म में धर्मान्तरण करने वाली अनुसूचित जातियों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए सरकार एक पैनल गठित करने जा रही है। मोदी सरकार अनुसूचित जातियों या दलितों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करना चाहती है, जो हिंदू बौद्ध और सिख धर्म छोड़कर ईसाई या इस्लाम धर्म अपना चुके हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य धर्मों को अपना चुके दलितों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति जानने के लिए एक आयोग के गठन के प्रस्ताव पर मोदी सरकार जल्द से जल्द मुहर लगाना चाहती है।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के हवाले से आयी खबर के मुताकबिक इस कदम के लिए मंजूरी दे दी गयी है और इस प्रस्ताव पर गृह, कानून, सामाजिक न्याय और अधिकारिता और वित्त मंत्रालयों के बीच विमर्श किया जा रहा है।

जिस तरह की खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक जो आयोग दलितों की स्थिति जानने के लिए मोदी सरकार गठित करेगी, उसमें तीन से चार सदस्य होंगे। दलील दी जा रही है कि इस तरह के आयोग गठित करने से ऐसे दलितों को लाभ मिलेगा, जिनकी सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकायें पेंडिं हैं। ये ऐसे दलितों की याचिकायें हैं जो ईसाई या इस्लाम अपनाने के बाद दलितों को दिये जाने वाले आरक्षण का लाभ लेना चाहते हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित आयोग में तीन से चार सदस्य होने की संभावना है और उसका अध्यक्ष किसी कैबिनेट मंत्री को बनाया जा सकता है। 

गौरतलब है कि संविधान (अनुसूचित जाति) के आदेश 1950 के अनुच्छेद 341 के मुताबिक हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म को मानने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाता है। सबसे पहले संविधान में जो आदेश था, उसके अनुसार सिर्फ हिंदुओं को ही अनुसूचित जाति में वर्गीकृत किया गया था। वर्ष 1956 में सिखों और 1990 में संशोधन करके बुद्ध धर्म के अनुयायियों को इस सूची में शामिल किया गया था।

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