Indian Railway : रेलवे के निजीकरण को विपक्ष क्यों मानती है आम आदमी के लिए घाटे का सौदा, किसका होगा फायदा?

Indian Railway : रेलवे में कैटरिंग सेवा तो पहले से ही आईआरसीटीसी के हाथ में है। क्या केटरिंग से लोग संतुष्ट हैं?

Update: 2022-03-16 08:11 GMT

Indian Railway : बजट सत्र 2022 के दूसरे चरण में रेल बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने भारतीय रेल ( Indian Railway ) को पिछले दरवाजे से निजी कंपनियों को सौंपने का आरोप मोदी सरकार ( Modi Government ) पर लगाया है। विपक्ष ( Opposition Parties )  ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि मोदी केंद्र एयर इंडिया के बाद अब भारतीय रेलवे के निजीकरण ( Privatization ) की ओर तेजी से बढ़ रही है। निजी कंपनियों ( Private Companies ) को कौड़ियों की भाव सरकारी संपत्तियों को बेचने का काम जारी है। अगर निजीकरण को रोका नही गया तो इससे आम आदमी ( Aam Aadmi ) का सबसे ज्यादा नुकसान होगा। साथ सरकारी संपत्तियों के स्वामी निजी आपरेटर हो जाएंगे।

लोकसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कांग्रेस केके सुरेश ने कहा कि भारतीय रेलवे ( Indian Railway ) के आधुनिकीकरण का काम आजादी के बाद के बाद से प्रथम रेल मंत्री जान मथाई ने शुरू किया था। ऐसा नहीं है कि रेलवे के आधुनिकीकरण का काम सिर्फ मोदी सरकार के समय शुरू हुआ है।

कहां से आएंगे 97 हजार करोड़

उन्होंने कहा कि इस बार रेलवे का पूंजीगत व्यय दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए रखा गया है। सकल बजटीय सहायता के रूप में केवल एक लाख 33 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। बाकी रकम कहां से आएगा? सरकार ने इसका खुलासा नहीं किया है। पूर्व रेल मंत्री पीयूष गोयल एवं वर्तमान में अश्विनी वैष्णव ने कई बार कह चुके हैं रेलवे भारत के नागरिकों की संपत्ति है। इसका निजीकरण किसी भी दशा में नहीं किया जाएगा। इसके उलट हकीकत यह है कि सारी योजनाएं एवं कार्यक्रम रेलवे की सुविधाओं एवं सेवाओं को निजी हाथों में सौंपने वाली है।

जनता को गुमराह कर रही है सरकार

सरकार इस मसले पर जनता को गुमराह कर रही है। परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के नाम पर विभिन्न सेवाएं एवं सुविधाएं एक एक कर टुकड़ो में निजी हाथों में दी जा रहीं हैं। राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया को टाटा समूह को बेचा जा चुका है और अब भारतीय रेलवे ( Indian Railway ) की बारी है। एक दिन भारतीय रेलवे भी किसी कारोबारी के हाथों बेच दी जाएगी।

रेलवे में भर्तियां क्यों हुईं बंद?

केंद्र सरकार ( Central Government ) ने निजीकरण की वजह से ही रेलवे ने भर्तियां बंद कर दीं। अनुसूचित जाति जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों में बेरोजगारी बढ़ रही है। सरकारी क्षेत्र में ही आरक्षण मिलता है। रेलवे सरकारी नौकरियों का सबसे बड़ा स्रोत है।

2020 से जारी है निजीकरण की प्रक्रिया

भारतीय रेलवे ने 109 रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों से रिक्वेस्ट फ़ॉर क्वालिुिकेशन यानी आरएफक्यू 2022 में आमंत्रित किया था। योजना के मुताबिक अप्रैल 2023 में निजी रेल सेवाएं शुरू हो जाएंगी।रेलवे नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्र के निवेश का पहला प्रयास है। रेलवे का कहना है कि इससे 30 हजार करोड़ निवेश होंगे। सवाल रेलवे का आम लोगों के हित होने और सरकारी स्वामित्व का है, इस सवाल का जवाब सरकार नहीं दे रही है।

आम यात्रियों की जेब पर बढ़ेगा भार

आईआरसीटीसी की कर्मचारी यूनियन के नेताओं का कहना है कि रेलवे के निजीकरण से सिर्फ रेलवे कर्मचारियों ही नहीं बल्कि यात्रियों की जेब पर भी वार है। ट्रेन के किराए का 43 फीसदी सब्सिडी यात्रियों को मिलती है। निजी कंपनियां तो ये रियायत यात्रियों को नहीं देंगी। ऐसे में ग़रीब और मध्यम वर्ग के यात्रियों की जेब पर भार बढ़ेगा। इस मामले में सरकार के आश्वासनों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि रेलवे में कैटरिंग सेवा तो पहले से ही आईआरसीटीसी ( IRCTC ) के हाथ में है। क्या केटरिंग से लोग संतुष्ट हैं? इसका एक ही मकसद है कॉर्पोरेट जगत को लाभ पहुंचाना। इससे कर्मचारियों के शोषण की व्यवस्था और मज़बूत होगी।

कर्मचारी संगठन भी निजीकरण के खिलाफ

श्रम संगठनों ने सरकार के रेलवे के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दी है। श्रम संगठनों के संघ सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ पहले ही चेतावनी जारी कर चुकी है।

दूसरी तरफ भाजपा सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का कहना है कि भारतीय रेलवे ने कोविड महामारी के काल में साढ़े 13 करोड़ मजदूरों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया गया। 36 हजार टन तरल ऑक्सीजन देश भर में पहुंचा कर अपना दायित्व निभाया। रेलवे ने आधुनिकीकरण के तमाम कार्य करने के बावजूद उसका बोझ आम यात्रियों पर नहीं डाला बल्कि उनकी सुविधाओं में वृद्धि की है। भारतीय रेलवे अब कवच नाम से विश्वस्तरीय सिगनलिंग प्रणाली लागू करने जा रही है। टेंडर फीस ढाई लाख रुपए से घटा कर 15 हजार रुपए कर दिया गया है। 2023 में 75 वंदे भारत एक्सप्रेस चलने लगेंगी। रेलवे से आम आदमी का भला ही होगा।

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