झूठा निकला Yogi Adityanath का भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, PWD और स्वास्थ्य विभाग के तबादलों की जांच हुई रफा-दफा
तेज तर्रार उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग में तबादले में लापरवाही का मामला नोटिस के लेनदेन में ही रफा-दफा कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों ने कुछ चिकित्सकों का गुपचुप तरीके से समायोजन कर लिया। ऐसे में मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। यही हाल PWD का भी हुआ...
Yogi Adiytyanath News : पीडब्ल्यूडी विभाग के तबादलों में हुई गड़बड़ियों में तत्कालीन स्टाफ ऑफिसर शैलेंद्र यादव और अधीक्षण अभियंता अश्विनी मिश्रा को आंशिक तौर पर दोषी ठहराया गया है। जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी है। जबकि, इस मामले में निलंबित HOD मनोज गुप्ता और प्रमुख अभियंता राकेश सक्सेना के संबंध में रिपोर्ट पहले ही सौंपी जा चुकी है। इनमें राकेश सक्सेना और अश्विनी मिश्रा अब रिटायर हो चुके हैं। उधर, स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरण में लापरवाही का मामला ठंडे बस्ते में जा चुका है और शिक्षा विभाग में भी तबादलों में हुई गड़बड़ियों में अभी तक जरूरी सुधार नहीं हो सके हैं।
PWD में एक्सइएऩ, एई और जेई के तबादले नीति से परे जाकर किए गए थे। इनमें 59 तबादलों में नियमों के तहत सक्षम स्तर से अनुमति नहीं ली गई थी। APC की कमेटी की रिपोर्ट के बाद HOD मनोज कुमार गुप्ता और प्रमुख अभियंता राकेश सक्सेना समेत पांच कार्मिकों को निलंबित कर दिया गया था। जांच यूपी पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के एमडी पी. गुरुप्रसाद को सौंपी गई थी। उन्होंने इन चारों अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करके अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी है।
मनोज गुप्ता और राकेश सक्सेना की जांच रिपोर्ट तो पिछले महीने ही दे दी थी। इसमें राकेश सक्सेना को क्लीन चिट दी गई है, जबकि मनोज गुप्ता को सीधे जिम्मेदार न ठहराते हुए पर्यवेक्षणीय दायित्व के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। हाल ही में सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि शैलेंद्र यादव ने मुख्यालय स्तर से हुए तबादलों से संबंधित प्रस्तावों को गंभीरता से चेक नहीं किया। मृतक अभियंता तक का तबादला कर दिया। एक ही अभियंता का 2-2 जगह तबादला कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में अश्विनी मिश्रा पर भी लगाए गए आरोपों को आंशिक रूप से सिद्ध बताया गया है।
शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, मनोज गुप्ता और राकेश सक्सेना ने जांच रिपोर्ट पर अपना पक्ष (अभ्यावेदन) शासन को दे दिया है। इनकी फाइल भी अंतिम निर्णय के लिए आगे बढ़ा दी गई है। वहीं, शैलेंद्र यादव और अश्विनी मिश्रा का पक्ष लेने का बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
किस तरह रफा-दफा कर दिया गया मामला?
तेज तर्रार उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग में तबादले में लापरवाही का मामला नोटिस के लेनदेन में ही रफा-दफा कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों ने कुछ चिकित्सकों का गुपचुप तरीके से समायोजन कर लिया। ऐसे में मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। ये तब है जब, स्वास्थ्य विभाग में तबादले में हुई लापरवाही का मामला खुद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उठाया था। मुख्यमंत्री ने हाई पॉवर कमेटी बनाई। विभाग की ओर से भी अलग-अलग कमेटियां बनाई गईं। जांच में यह खुलासा हुआ कि तबादले में बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी की गई है। विभागीय जांच के बाद शासन की ओर से पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेदब्रत सिंह सहित आधा दर्जन से ज्यादा सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है। इसी तरह 44 मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को नोटिस जारी किए गए।
इन चिकित्साधिकारियों ने गलती स्वीकार करते हुए इसके लिए तबादला सूची बनाने वाले कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया। ऐसे में महानिदेशालय ने प्रकरण में आदेश जारी करने वालों को जिम्मेदार ठहराते हुए दोबारा सीएमओ व सीएमएस से जवाब तलब किया। करीब दो माह तक नोटिस और जवाब का खेल चलता रहा। स्थानांतरण में हुई लापरवाही के लिए किसी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय मामले को रफा-दफा कर दिया गया। अभी तक किसी भी चिकित्साधिकारी अथवा कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। महानिदेशक डॉ. लिली सिंह का कहना है कि हर स्थिति से शासन को अवगत कराया गया है। कुछ मामलों में अभी जांच चल रही है।
सुधार के लिए अनुमोदन का इंतजार
माध्यमिक व बेसिक शिक्षा विभाग में समूह 'ग' के गड़बड़ मिले तबादलों के दोषियों पर प्रारंभिक कार्रवाई तो हो गई, लेकिन तबादले अभी तक दुरुस्त नहीं हुए। खुद विभाग द्वारा चिह्नित 30 से अधिक तबादलों की सूची एक महीने से शासन के अनुमोदन का इंतजार कर रही है। वहीं गलत तबादलों के शिकार कर्मचारी भटक रहे हैं। वेतन भी ऐसे कर्मचारियों का फंसा हुआ है। इस पर फिर से जांच के बाद 30 से अधिक तबादले संशोधन के लिए विभाग ने सितंबर माह के पहले हफ्ते में प्रस्तावित किए।
इन संशोधन पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेना था, इसलिए सूची शासन भेजी गई है। अपर शिक्षा निदेशक बेसिक अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के विभाग से तबादले की बात 10 अक्तूबर के शासनादेश में भी नहीं है।