UP : लव-जिहाद अध्यादेश को मंजूरी, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 आज से लागू

लव-जिहाद को लेकर ऐसा कानून बनाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। इसमें दो अलग धर्मों के लोगों के बीच होने वाले विवाह को रखा गया है। कानून बनने के बाद इसके नफे और नुकसान के बारे में आने वाले समय में परिणाम देखने को मिल सकते हैं...

Update: 2020-11-28 06:31 GMT

लखनऊ, जनज्वार। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट से पास होने के बाद 'लव जिहाद' अध्यादेश को राज्यपाल ने भी आज 28 नवंबर को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल से मंजूरी के साथ ही इस अध्यादेश ने कानून की शक्ल ले ली है। ऐसे में अब लव जिहाद मामलों में कठोर सजा मिलने का प्रावधान तय हो चुका है।

कुछ दिनों पहले ही योगी कैबिनेट से पास होने के बाद अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।

लव-जिहाद को लेकर ऐसा कानून बनाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। इसमें दो अलग धर्मों के लोगों के बीच होने वाले विवाह को रखा गया है। कानून बनने के बाद इसके नफे और नुकसान के बारे में आने वाले समय में परिणाम देखने को मिल सकते हैं। मसलन धर्म परिवर्तन और मजहब छुपाकर शादी करने वालों को इस कानून के तहत 1 से 10 वर्ष तक सजा हो सकती है।

अपराध साबित होने पर 10 से 50 हज़ार रुपये तक का जुर्माना और जेल दोनों हो सकता है। वहीं, अगर महिला सामान्य वर्ग से है तो अपराधी को 1 से 5 वर्ष की सजा होगी। साथ ही अगर लड़की नाबालिग है या फिर अनुसूचित जाति और जनजाति से है, तो सजा बढ़कर 3 से 10 वर्ष की हो सकती है।

सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर भी 1 से 10 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है। सहमति से धर्म परिवर्तन कराने के लिए जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी। बिना मंजूरी के धर्म परिवर्तन कराने पर 6 महीने से 3 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है। खास बात है कि सभी मामलों में गैर ज़मानती धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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