मोदी ने भाजपाई बन खुद खोयी PM पद की गरिमा, ममता ने बैठक में शामिल न होकर बता दी औकात

PM मोदी ने जैसी राजनीतिक संस्कृति पिछले सात सालों में देश में फलाई है, उसी का नतीजा है प्रधानमंत्री की छीछालेदर

Update: 2021-05-29 05:38 GMT

पीएम मोदी के साथ हुई मीटिंग में 30 मिनट में देर से पहुंची ममता बनर्जी ने थमाये कागज, और भी हैं मीटिंग्स कहकर चली गयीं

दिनकर कुमार की​ टिप्पणी

जनज्वार ब्यूरो। एक कहावत है कि बबूल का पेड़ बोकर आम हासिल नहीं किए जा सकते। दूसरों के साथ टुच्चा व्यवहार कर बदले में सम्मानजनक व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती। पीएम नरेंद्र मोदी और उनका संघी गिरोह विपक्ष के नेताओं का चरित्र हनन करने के लिए किसी भी हद को लांघने में विश्वास करते हैं। ऐसा करते हुए वे न्यूनतम मर्यादा का भी ध्यान नहीं रखते। लेकिन जब कोई विपक्षी नेता उन पर पलटकर वार करता है तो पूरा संघी गिरोह मर्यादा और नैतिकता का शोर मचाने लगता है। पश्चिम बंगाल के चुनावी प्रचार में मोदी ने ममता बनर्जी को 'दीदी ओ दीदी' कहकर तंज़ कसा था और अशोभनीय तरीके से निजी हमले किए थे। ममता ने अपने अपमान को याद रखा है और मौका मिलते ही उन्होंने मोदी को उनकी औकात बता दी है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 28 मई को चक्रवात यास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुईं, जिसकी भाजपा के शीर्ष नेता आलोचना कर रहे हैं। हालांकि बनर्जी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और अपने राज्य में चक्रवात से हुए नुकसान पर रिपोर्ट सौंपी। मोदी के साथ 15 मिनट की बातचीत में उन्होंने सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के लिए 20,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की भी मांग की।

बौखलाहट के चलते मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी (मुख्य सचिव) अलपन बंदोपाध्याय का दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है। कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन ने चीफ सेक्रेटरी को 31 मई को नई दिल्ली में उसके ऑफिस में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार से उन्हें जल्द से जल्द रिलीव करने का भी अनुरोध किया है।

चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली बुलाए जाने का यह घटनक्राम उसके बाद देखने को मिला है जब शुक्रवार को चक्रवाती तूफान यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में अधिकारियों और मुख्यमंत्री के साथ बैठक की थी। ममता बनर्जी इस मीटिंग में आधे घंटे देरी से पहुंची थीं। उनके साथ-साथ अलपन बंदोपाध्याय भी थे।

अलपन बंदोपाध्याय का बतौर मुख्य सचिव उनका कार्यकाल इसी महीने के आखिरी में खत्म हो रहा था लेकिन कुछ दिन पहले ही ममता सरकार ने अगले तीन महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था। अलपन बंदोपाध्याय को ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। वहीं, बंगाल से राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने चीफ सेक्रेटरी के ट्रांसफर को लेकर कहा कि क्या आजादी के बाद से ऐसा कभी हुआ है? किसी राज्य के मुख्य सचिव की जबरन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति? कितना नीचे गिरेगी मोदी-शाह की बीजेपी? सब इसलिए क्योंकि बंगाल के लोगों ने दोनों को अपमानित किया और भारी जनादेश के साथ ममता बनर्जी को चुना।

इससे पहले दिन में मोदी ने चक्रवात के बाद की स्थिति की समीक्षा करने के लिए ओडिशा और बंगाल का दौरा किया। उन्होंने चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और दोनों राज्यों में समीक्षा बैठकें कीं। जहां ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक मोदी के साथ बैठक में शामिल हुए, वहीं बनर्जी अपने राज्य में समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुईं।

इसके तुरंत बाद भाजपा की बौखलाहट सामने आने लगी। ममता की आलोचना करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बनर्जी ने जन कल्याण से ऊपर अहंकार को रखा है। शाह ने कहा--दीदी का आचरण आज दुर्भाग्यपूर्ण रूप से निम्न स्तर का रहा है। चक्रवात यास ने कई आम नागरिकों को प्रभावित किया है और प्रभावित लोगों की सहायता करना समय की मांग है। दुख की बात है कि दीदी ने अहंकार को जनकल्याण से ऊपर रखा है और आज उनका क्षुद्र व्यवहार यही दर्शाता है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन पर संवैधानिक लोकाचार और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या का आरोप लगाया। नड्डा ने कहा--पीएम मोदी सहकारी संघवाद के सिद्धांत को बहुत पवित्र मानते हैं और सभी मुख्यमंत्रियों के साथ लोगों की भलाई के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, भले ही उनकी पार्टी से संबद्धता कुछ भी हो। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बनर्जी क्षुद्र राजनीति में लिप्त हैं जो बंगाल के लोगों के कल्याण के खिलाफ है।

"जब पीएम नरेंद्र मोदी चक्रवात यास के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के नागरिकों के साथ मजबूती से खड़े होते हैं, तो ममता जी को भी लोगों के कल्याण के लिए अपना अहंकार अलग रखना चाहिए। पीएम की बैठक से उनकी अनुपस्थिति संवैधानिक लोकाचार और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या है," उन्होंने ट्वीट किया।

बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच संबंध सुचारू नहीं रहे हैं क्योंकि सीएम बनर्जी अक्सर अपनी सरकार को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग करने का आरोप लगाती हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने इस आरोप का खंडन किया है और अक्सर दावा किया है कि ममता ने भाजपा के सदस्यों को निशाना बनाने के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल किया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बनर्जी के व्यवहार को राजनीतिक मतभेदों को सार्वजनिक सेवा के संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर रखने का दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण करार दिया।

सिंह ने कहा, पश्चिम बंगाल में आज का घटनाक्रम चौंकाने वाला है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं बल्कि संस्थाएं हैं। दोनों जन सेवा और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर जिम्मेदारी लेते हैं। प्रधानमंत्री के साथ इस प्रकार का व्यवहार, जो आपदा के समय बंगाल के लोगों की मदद करने के इरादे से आए हैं, तकलीफ़देह है। यह राजनीतिक मतभेदों को लोक सेवा के संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर रखने का एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है, जो भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावनाओं को भी आहत करता है।

बनर्जी के बैठक में शामिल नहीं होने के फैसले से नाराज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा--प्रधानमंत्री के साथ बैठक में मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों की गैर-भागीदारी संवैधानिकता या कानून के शासन के अनुरूप नहीं है।

इस बीच बनर्जी ने दावा किया कि उनके राज्य को चक्रवात यास के कारण 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दीघा के पर्यटन शहर में आयोजित एक प्रशासनिक बैठक के बाद पीटीआई ने उनके हवाले से कहा, "हमने दीघा और सुंदरबन के पुनर्विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है। यह भी हो सकता है कि हमें केंद्र से कुछ न मिले।"

उन्होंने मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के साथ उत्तर 24 परगना जिले में चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और हिंगलगंज, हसनाबाद, संदेशखली, पिनाखा और जिले के अन्य क्षेत्रों में चक्रवात के बाद की स्थिति का जायजा लिया।

"मैंने देखा है कि अधिकांश क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। घरों और कृषि क्षेत्रों के बड़े हिस्से पानी के नीचे हैं। एक क्षेत्र सर्वेक्षण भी किया जाएगा, "बनर्जी ने कहा। उन्होंने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और प्रखंड विकास अधिकारियों के साथ प्रशासनिक बैठक की भी अध्यक्षता की।

26 मई को चक्रवात 'यास' भारत के पूर्वी तट के कुछ हिस्सों में टकराया, जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 21 लाख से अधिक लोगों को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में सुरक्षित आश्रयों में ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि पीएम मोदी ने तत्काल राहत गतिविधियों के लिए 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है। "ओडिशा को तुरंत 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए और 500 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है, जो नुकसान के आधार पर जारी किया जाएगा। केंद्र सरकार नुकसान की सीमा का आकलन करने के लिए राज्यों का दौरा करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम तैनात करेगी, जिसके आधार पर आगे की सहायता दी जाएगी।"

विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधान मंत्री ने मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और चक्रवात में गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि की भी घोषणा की है।

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