कोरोनाकाल में स्विस बैंकों में 20 हजार करोड़ से अधिक हुआ भारतीय पूंजीपतियों का कालाधन, 2020 में 286 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
साल 2019 के अंत तक भारतीयों की जमा रकम का आंकड़ा 899 मिलियन स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था, 2019 का आंकड़ा दो साल की गिरावट के ट्रेंड के उलट था और पिछले 13 साल में बैंक में भारतीयों की जमा का सर्वोच्च स्तर था...
दिनकर कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की तरफ से 17 जून को जारी सालाना डेटा के मुताबिक, साल 2020 के दौरान स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों और संस्थानों व कंपनियों का जमा धन बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (करीब 20,700 करोड़ रुपये) से अधिक हो गया। 2019 में स्विस बैंकों में जमा धन 6628 करोड़ रुपए थे। हालांकि स्विस बैंकों में भारतीयों जिनमें पूंजीपति शामिल हैं, उनका धन साल 2020 यानी कोरोनोकाल में 20 हजार करोड़ से अधिक हो जाने की रिपोर्ट का मोदी सरकार ने खंडन किया है।
यानी साल 2020 में स्विस बैंकोंमें कुल जमा राशि साल 2019 की तुलना में बढ़कर 286 प्रतिशत हो गई। कुल जमा राशि 13 साल में सबसे ज्यादा है, जो साल 2007 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है।
भारत सरकार ने शनिवार 19 जून को उन खबरों का खंडन किया, जिनमें भारतीयों के स्विट्जरलैंड में कथित तौर पर काला धन रखने का आरोप है और कहा कि उसने स्विस अधिकारियों से जमा पैसों के बारे में जानकारी सत्यापित करने के लिए उसने संपर्क साधा है और सूचना की मांग की है।
कांग्रेस ने स्विस बैंकों में जमा भारतीय नागरिकों का व्यक्तिगत पैसा और कंपनियों का पैसा 2020 में बढ़कर 20,700 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने को लेकर 18 जून को केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि सरकार श्वेत पत्र लाकर देशवासियों को बताए कि यह पैसा किनका है और विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने से पहले भाजपा ने कालाधन लाने और लोगों के खातों में 15-15 लाख रुपये जमा करने का वादा किया था, लेकिन सात साल बीत जाने के बावजूद उसने अपने इस वादे को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया।
रिपोर्टों के अनुसार, इन आंकड़ों में वह धन शामिल नहीं है जो भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या अन्य लोगों के पास स्विट्जरलैंड के बैंकों में तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर हो सकता है।
रिपोर्ट पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और स्विटजरलैंड ने कर मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता (एमएएसी) पर बहुपक्षीय सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों ने बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते (एमसीए) पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2018 के लिए सालाना वित्तीय खाते की जानकारी साझा करने के लिए दोनों देशों के बीच सूचना का स्वत: आदान-प्रदान हो रहा है।
मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत और स्विटजरलैंड ने दोनों देशों के निवासियों के संबंध में वित्तीय खाते की जानकारी का आदान-प्रदान साल 2019 और 2020 में भी किया है। वित्तीय खातों की जानकारी के आदान-प्रदान के लिए मौजूदा कानूनी व्यवस्था को देखने पर (जिसका विदेशों में अघोषित संपत्ति के जरिए कर चोरी पर महत्वपूर्ण निवारक प्रभाव है) स्विस बैंकों में जमा में वृद्धि की कोई महत्वपूर्ण संभावना नहीं दिखती है।'
गौरतलब है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का व्यक्तिगत पैसा और कंपनियों का पैसा 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपये से अधिक) हो गया। यह वृद्धि नकद जमा के तौर पर नहीं बल्कि प्रतिभूतियों, बांड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिये रखी गई होल्डिंग से हुई है। हालांकि, इस दौरान ग्राहकों की जमा राशि कम हुई है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा 17 जून को जारी सालाना आंकड़े से यह जानकारी मिली।
स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के डाटा के मुताबिक, साल 2019 के अंत तक भारतीयों की जमा रकम का आंकड़ा 899 मिलियन स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था। 2019 का आंकड़ा दो साल की गिरावट के ट्रेंड के उलट था और पिछले 13 साल में बैंक में भारतीयों की जमा का सर्वोच्च स्तर था।
बैंक के मुताबिक, इससे पहले साल 2006 में लगभग 6.5 बिलियन स्विस फ्रैंक के साथ भारतीयों की जमा रकम ने रिकॉर्ड उच्च स्तर छुआ था, लेकिन इसके बाद 2011, 2013 और 2017 को छोड़कर स्विस बैंक में पैसा जमा कराने में भारतीयों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी। लेकिन 2020 ने जमा रकम के सारे आंकड़े पीछे छोड़ दिए। साल 2020 में भारतीय जमा राशि में जहां निजी कस्टमर खातों की हिस्सेदारी करीब 4000 करोड़ रुपये थी, वहीं 3100 करोड़ रुपये अन्य बैंकों के जरिये जमा कराए गए थे।
करीब 16.5 करोड़ रुपये ट्रस्ट आदि के थे और सबसे ज्यादा 13,500 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी भारतीयों को स्विस बैंकों की तरफ से बांड, सिक्योरिटीज व अन्य वित्तीय तरीकों के बदले मिलने वाली रकम की थी। वहीं 38.3 करोड़ स्विस फ्रैंक (3,100 करोड़ रुपये से अधिक) अन्य बैंकों के जरिये रखे गये हैं। न्यास के जरिये 20 लाख स्विस फ्रैंक (16.5 करोड़ रुपये) जबकि सर्वाधिक 166.48 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 13,500 करोड़ रुपये) बांड, प्रतिभूति और अन्य वित्तीय उत्पादों के रूप में रखे गये हैं।
एसएनबी ने कहा कि ग्राहक खाता जमा के रूप में वर्गीकृत कोष वास्तव में 2019 की तुलना में कम हुआ है। वर्ष 2019 के अंत में यह 55 करोड़ स्विस फ्रैंक था। ट्रस्ट यानी न्यास के जरिये रखा गया धन भी 2019 में 74 लाख स्विस फ्रैंक के मुकाबले पिछले साल आधे से भी कम हो गया है। हालांकि, दूसरे बैंकों के माध्यम से रखा गया कोष 2019 के 8.8 करोड़ स्विस फ्रैंक के मुकाबले तेजी से बढ़ा है।
वर्ष 2019 में चारों मामलों में कोष में कमी आयी थी। ये आंकड़े बैंकों ने एसएनबी को दिये हैं और यह भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे जाने वाले काले धन के बारे में कोई संकेत नहीं देता है। इन आंकड़ों में वह राशि भी शामिल नहीं है जो भारतीय, प्रवासी भारतीय या अन्य तीसरे देशों की इकाइयों के जरिये स्विस बैंकों में रख सकते हैं।
एसएनबी के अनुसार, उसका आंकड़ा भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विस बैंकों की 'कुल देनदारी' को बताता है। इसके लिये स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों के सभी प्रकार के कोषों को ध्यान में रखा गया है। इसमें व्यक्तिगत रूप से, बैंकों और कंपनियों से प्राप्त जमा शामिल हैं। इसमें भारत में स्विस बैंकों की शाखाओं से प्राप्त आंकड़े 'गैर-जमा देनदारी' के रूप में शामिल हैं।
कुल मिलाकर स्विस बैंकों में विभिन्न देशों के ग्राहकों की जमा राशि 2020 में बढ़कर करीब 2,000 अरब स्विस फ्रैंक पहुंच गयी। इसमें से 600 अरब स्विस फ्रैंक विदेशी ग्राहकों की जमा राशि है। सूची में ब्रिटेन अव्वल है। उसके नागरिकों के स्विस बैंकों में 377 अरब स्विस फ्रैंक जमा हैं। उसके बाद अमेरिका के (152 अरब स्विस फ्रैंक) का स्थान है।
शीर्ष 10 में अन्य वेस्ट इंडीज, फ्रांस, हांगकांग, जर्मनी, सिंगापुर, लक्जमबर्ग, केमैन आईलैंड और बहामास हैं। भारत इस सूची में 51वें स्थान पर है और न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क, हंगरी, मॉरीशस, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका जैसे देशों से आगे है। ब्रिक्स देशों में भारत, चीन और रूस से नीचे लेकिन दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से आगे है।
आंकड़े के अनुसार स्विस बैंकों में ब्रिटेन, अमेरिका के ग्राहकों का धन कम हुआ। बांग्लादेश के भी ग्राहकों का धन घटा लेकिन पाकिस्तानी ग्राहकों का कोष दोगुना होकर 64.20 करोड़ सीएचएफ (स्विस फ्रैंक) हो गया। इस बीच, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के आंकड़े के अनुसार 2020 में इस प्रकार का कोष करीब 39 प्रतिशत बढ़कर 12.59 करोड़ डॉलर (932 करोड़ रुपये) पहुंच गया। एक समय भारतीय और स्विस अधिकारी भारतीय के स्विस बैंकों में जमा के बारे में बीआईएस के आंकड़े को ज्यादा भरोसेमंद मानते थे।