योगी का UP सुशासित राज्यों में अंतिम पायदान पर, बिहार का भी बुरा हाल : PAC की रिपोर्ट में खुलासा
PAC ने स्थायी विकास के संदर्भ में एक समग्र सूचकांक के आधार पर शासन के प्रदर्शन के आधार पर रिपोर्ट बनाई है, जिसमें सार्वजनिक मामलों के सूचकांक-2020 रैंक वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट जारी की गई है...
जनज्वार। बेंगलुरु से संचालित गैर लाभकारी संगठन ने पब्लिक अफेयर सेंटर (PAC) को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार अंतिम पायदान पर विराजमान हैं।
पीएसी की रिपोर्ट में केरल देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य यानी सुशासन वाला राज्य है तो वहीं उत्तर प्रदेश को इस सूची में सबसे निचले पायदान में रखा है। यानी यहां सुशासन का नामोनिशान नहीं है।
गौरतलब है कि इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन द्वारा संचालित पीएसी ने स्थायी विकास के संदर्भ में एक समग्र सूचकांक के आधार पर शासन के प्रदर्शन के आधार पर रिपोर्ट बनाई है, जिसमें सार्वजनिक मामलों के सूचकांक-2020 रैंक वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट जारी की गई है।
पीएसी रिपोर्ट के मुताबिक सुशासन के संदर्भ में बड़े राज्यों की श्रेणी में शीर्ष चार रैंकों पर दक्षिणी राज्य- केरल (1.388 पीएआई सूचकांक अंक), तमिलनाडु (0.912), आंध्र प्रदेश (0.531) और कर्नाटक (0.468)- विराजमान हैं। वहीं उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार आखिरी पायदान पर हैं। इन राज्यों की पीएआई अंक नकारात्मक हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश को नेगेटिव 1.461, ओडिशा को नेगेटिव 1.201 और बिहार को 1.158 नेगेटिव पीएआई मिला है। यानी उत्तर प्रदेश, बिहार व उड़ीसा माइनस रेटिंग में हैं, जिसमें यूपी टॉप पर है, तो बिहार दूसरे और उड़ीसा तीसरे नम्बर पर।
इसके बाद छोटे राज्यों में मेघालय (0.797) और हिमाचल प्रदेश (0.725) के बाद गोवा 1.745 अंकों के साथ छोटे राज्यों में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में सबसे कम रैंक वाले राज्यों में मणिपुर (-0.363), दिल्ली (-0.289) और उत्तराखंड (-0.277) को शुमार किया गया है।
केंद्र शासित प्रदेशों में, चंडीगढ़ 1.05 PAI अंकों के साथ UTs की श्रेणी में सबसे अच्छा सुशासित केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। इसके बाद पुदुचेरी (0.52) और लक्षद्वीप (0.003) हैं। दादर और नगर हवेली (-0.69), अंडमान, जम्मू और कश्मीर (-0.50) और निकोबार (-0.30) सबसे निचले पायदान पर विराजमान हैं।
पीएसी का कहना है कि सुशासन का आकलन स्थायी विकास के संदर्भ में तीन आधारों यानी समानता, विकास और निरंतरता के आधार पर किया गया है और यह रिपोर्ट भी इसी आधार पर तैयार की गयी है।
बकौल कस्तूरीरंगन, 'पीएआई- 2020 से जो साक्ष्य और अंतरदृष्टि मिलती है वह हमें भारत के भीतर चल रहे आर्थिक और सामाजिक बदलाव पर विचार करने के लिए विवश करती है।'