Population Control : बैकफुट पर मोदी सरकार, जानें जनसंख्या नियंत्रण कानून पर भाजपा सांसद को क्यों लेना पड़ा निजी बिल वापस
Population Control : मनसुख मांडविया के मुताबिक बेहतर जीवन स्तर के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है, लेकिन ऐसे प्रयास करना चाहिए जिससे लोग स्वयं परिवार नियोजन को अपनाएं। इसके लिए कानून जरूरी नहीं है।
नई दिल्ली। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ( BJP ) के रुख से लग रहा है कि उसे सरकार में बने रहने के आनंद का अहसास होने लगा है। संभवत: यही वजह है कि मोदी सरकार ( Modi Government ) भाजपा के एजेंडे में शामिल कई अहम मुद्दों पर कानून बनाने को लेकर गंभीर नहीं है। ऐसा इसलिए कि अभी तक भाजपा जनसंख्या नियंत्रण ( Population Control ) कानून को जोर शोर से उठाती रही है, लेकिन अब इससे पीछे हट गई है। अगर ऐसा नहीं होता तो राज्यसभा में भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ( BJP MP Rakesh Sinha ) को जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पेश निजी बिल वापस लेने के लिए मजबूर क्यों होना पउ़ा?
भाजपा सांसद ने 3 साल बाद निजी बिल लिया वापस
हकीकत यह है कि जनसंख्या नियंत्रण पर भारतीय जनता पार्टी सांसद राकेश सिन्हा ( बीजेपी) की ओर से पेश निजी बिल पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ( Mansukh Mandaviya ) ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया है। मांडविया के दखल देने के बाद शुक्रवार यानि एक अप्रैल, 2022 को राकेश सिन्हा को अपने विधेयक को वापस लेना पड़ा। सिन्हा ने जुलाई 2019 में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था। इस विधेयक में दो-बच्चों वाले नियम ( Two-Child Rule ) लागू करने की मांग की गई थी, जबकि इसके उल्लंघन पर दंडात्मक प्रावधानों के लिए भी कहा गया था।
राकेश सिन्हा के निजी बिल पर हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि देश में आज बेहतर इलाज सेवाएं दी जा रही हैं। देश बदल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नया इंडिया बन रहा है। मांडविया ने बिल पर चर्चा के जवाब में बताया कि सही है कि बढ़ती जनसंख्या कई समस्याओं का कारण होती है। पर उन्हें पूरा विश्वास है कि शिक्षा और जागरुकता के प्रसार से जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
उन्होंने राज्यसभा में कहा कि देश में प्रजनन दर 2 प्रतिशत तक पहुंच गई है। साल 2025 तक इसे और कम करने की ओर देश आगे बढ़ रहा है। देश में जनसंख्या वृद्धि की दर में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। 1971 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.20 प्रतिशत थी, जो 2011 में यह घटकर 1.64 प्रतिशत हो गई है। यह एक अच्छी सफलता है। जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उससे स्पष्ट है कि उसमें काफी गिरावट आई है।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून जरूरी नहीं
केंद्रीय स्वासथ्य मंत्री बोले ने कहा कि देश में जनसंख्या नीति 1952 से है। अब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो प्रयास किए गए उसके सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। बेहतर जीवन स्तर के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है, लेकिन ऐसे प्रयास करना चाहिए जिससे लोग स्वयं परिवार नियोजन को अपनाए। इसके लिए कानून जरूरी नहीं है। पहले जब बच्चे अधिक होते थे तब बाल मृत्यु दर भी अधिक थी, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव हुआ। हालांकि, मनसुख मंडाविया ने कहा कि देश के बेहतर विकास के लिए परिवार छोटा होना चाहिए। जनसंख्या स्थिर होनी चाहिए। साथ ही इस बात पर भी भरोसा जताया कि जागरुकता के प्रसार से जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।