Sarkari Naukri 2022 : रेलवे में पिछले 6 सालों में खत्म हुईं 72 हजार नौकरियां, 81 हजार और पदों को बोर्ड ने बताया विभाग पर भार
Sarkari Naukri 2022 : भारतीय रेलवे ने 72 हजार पदों को खत्म कर दिया है और 81 हजार अन्य पदों को विभाग पर बोझ बताया है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक इन पदों को खत्म करने का फैसला रेलवे का संचालन आधुनिक और डिजिटल होने की वजह से लेना प़ड़ा है।
Sarkari Naukri 2022 : भारतीय रेल ( Indian Railway ) में नौकरी पाने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बुरी खबर है। मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे (Indian Railway) में पिछले 6 साल के दौरान ग्रुप-सी (Group-C) और ग्रुप-डी (Group-D) के 72 हजार पदों को समाप्त कर दिया है। इनमें चपरासी, वेटर, स्वीपर, माली और प्राइमरी स्कूल टीचर व अन्य पद शामिल हैं।
इसके अलावा, इंडियन रेलवे ( Indian Railway recruitment ) के 16 जोन ने 2015-16 से 2020-21 के दौरान 81,000 ऐसे पदों को सरेंडर करने का प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजा था। इन पदों को गैर-जरूरी बताया गया है। रेलवे ने बताया कि वर्क कल्चर में बदलाव और टेक्नोलॉजी के आने से अब इनकी कोई जरूरत नहीं रह गई है। यानी अब इन पदों पर आगे कभी भर्ती नहीं होगी। यानि देश के सबसे बड़े नियोक्ता भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने पिछले छह सल में 72 हजार से अधिक पदों को समाप्त करने के साथ 81,000 अन्य पदों को भी समाप्त करने का प्रस्ताव रेलव करने का प्रस्ताव रखा था। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को रेलवे के विभिन्न विभागों में समायोजित किए जाने की संभावना है।
क्यों खत्म की नौकरियां
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि अभी इन पदों पर तैनात कर्मचारियों को विभिन्न विभागों में भेजा जा सकता है। रेलवे ने विभिन्न जोन में कर्मचारियों के प्रदर्शन की स्टडी करने के बाद इन पदों को खत्म करने का फैसला किया है। इन पदों के खत्म होने से रेलवे ( Indian Railway ) को काफी बचत होने की संभावना है। रेलवे बोर्ड का मकसद ऐसे पदों की संख्या कम करना है जो प्रॉडक्टिव नहीं हैं। रेलवे का जोर ज्यादा से ज्यादा टेक्निकल लोगों को लाने पर है जो ग्रोथ और ऑपरेशन में अपना योगदान दे सकें। हम ऐसे लोगों को नहीं चाहते हैं जो पत्र और दस्तावेजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाएं।
रेलवे का आउटसोर्सिंग पर जोर
विभागीय जानकारी के मुताबिक अब भारतीय रेलवे ( Indian Railway ) ऑपरेशन और मेनटेनेंस को छोड़कर बाकी सारे काम आउटसोर्सिंग को देने की तैयारी है। साफ-सफाई, बेडरोल और खानपान का काम निजी हाथों में दिया जा चुका है। भविष्य में टिकटिंग का काम भी निजी हाथों में जा सकता है। दिल्ली मेट्रो में पहले से यह व्यवस्था की जा चुकी है। आउटसोर्सिंग की वजह से भी रेलवे में स्वीकृत पदों की संख्या कम हो रही है। राजधानी, शताब्दी, मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरेटर में इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल तकनीशियन, कोच सहायक, ऑनबोर्ड सफाई कर्मचारी आदि के काम ठेके पर दिए जा चुके हैं।
रेलवे के लिए वेतन और पेंशन सबसे बड़ा बोझ
Sarkari Naukri 2022 : विभागीय जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारियों का एक कार्य-अध्ययन अंतिम चरण में है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद लगभग 9,000 और पदों को खत्म किया जाएगा। रेलवे में आउटसोर्सिंग बढ़ने के कारण भी स्वीकृत पदों की संख्या घट रही है। रेलवे को अपनी कुल आय का एक-तिहाई हिस्सा वेतन एवं पेंशन पर खर्च करना पड़ता है। रेलवे को होने वाली आय का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा इसी पर खर्च होता है।
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