मोदीराज में अब एक और सरकारी कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया बिकी, मार्च 2023 तक हो जायेगा निजीकरण !
Shipping Corporation of India : केंद्रीय मंत्रिमंडल 2016 से 35 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और उनकी इकाइयों/अनुषंगियों के रणनीतिक विनिवेश के लिए सैद्धान्तिक मंजूरी दे चुका है। इनमें से नौ का लेनदेन पूरा हो गया है
Shipping Corporation of India : मोदी सरकार मार्च तिमाही में सरकारी स्वामित्व वाली शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) के निजीकरण के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित कर सकती है। सरकार की तरफ से बताया गया है कि शिपिंग कॉरपोरेशन की नॉन-कोर और लैंड एसेट्स का डिमर्जर एक उन्नत चरण में है। यह प्रक्रिया लगभग तीन महीने में पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।
एक अधिकारी के हवाले से मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक, संभावित निवेशकों से वित्तीय बोलियां जनवरी.मार्च तिमाही में मिलने की उम्मीद है। मई में शिपिंग कॉर्प के बोर्ड ने शिपिंग हाउस, मुंबई और एमटीआई (समुद्री प्रशिक्षण संस्थान) पवई सहित शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लैंड एंड एसेट्स लिमिटेड को एससीआई की गैर प्रमुख संपत्तियों को बंद करने के लिए एक अद्यतन डीमर्जर योजना को मंजूरी दी थी।
एससीआई की बैलेंस शीट के अनुसार, 31 मार्च, 2022 तक डीमर्जर के लिए रखी गई गैर प्रमुख संपत्तियों का मूल्य 2,392 करोड़ रुपये था। मार्च 2021 में, सरकार को शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के निजीकरण के लिए कई बोलियां मिली थीं। हालांकि डीमर्जर प्रक्रिया में देरी हुई। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने दिसंबर 2020 में, प्रबंधन के हस्तांतरण के साथ साथ शिपिंग कॉर्प ऑफ इंडिया में अपनी संपूर्ण 63,75 प्रतिशत हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) आमंत्रित की थी।
कैबिनेट ने नवंबर 2020 में शिपिंग कॉर्प के रणनीतिक विनिवेश के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। सरकार ने चालू 2022-23 वित्तीय वर्ष में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का बजट रखा है। सीपीएसई के विनिवेश के जरिए अब तक 24,544 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं।
इससे पहले जानकारी सामने आई थी कि केंद्र की मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की एक और कंपनी भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) के निजीकरण के लिए दिसंबर तिमाही में वित्तीय बोलियां आमंत्रित कर सकती है। सरकार की रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम बीईएमएल में 54,03 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में बीईएमएल की जमीन और गैर प्रमुख संपत्तियों को अलग कर बीईएमएल लैंड एसेट्स लिमिटेड में शामिल करने को मंजूरी दी थी।
साल 2016 में केंद्रीय कैबिनेट ने कंपनी के प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी। अब तक सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के माध्यम से 65 हजार करोड़ रुपये के पूर्ण वर्ष के बजट लक्ष्य के मुकाबले 24,544 करोड़ रुपये जुटाए हैं। बता दें कि जून में वित्त मंत्रालय ने कहा था कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) की उन इकाइयों की रणनीतिक बिक्री को जल्द पूरा किया जाएगा, जिनके लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि ऐसी इकाइयां जिनके लिए मंत्रिमंडल की हरी झंडी मिल चुकी है, उनकी रणनीतिक बिक्री संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम दीपम द्वारा तय दिशानिर्देशों के तहत करेंगे। वित्त मंत्रालय ने कहा कि जिन इकाइयों की रणनीतिक बिक्री के लिए रुचि पत्र (ईओआई) निकाले जा चुके हैं, उनकी बिक्री निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18 मई को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को इकाइयों/अनुषंगी कंपनियों को बंद करने, रणनीतिक या अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री का अधिकार दिया था। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अधिक स्वायत्तता मिली है। इसके बाद दीपम ने यह कार्यालय ज्ञापन निकाला है। केंद्रीय मंत्रिमंडल 2016 से 35 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और उनकी इकाइयों/अनुषंगियों के रणनीतिक विनिवेश के लिए सैद्धान्तिक मंजूरी दे चुका है। इनमें से नौ का लेनदेन पूरा हो गया है।