सरकार कोई भी योजना नहीं बनाती गरीबों के लिए, उनको छोड़ दिया जाता है गर्मी-सर्दी-बाढ़-रोग और भूख से मरने को

गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित गरीब आबादी होती है। खेतों में काम करते किसान और श्रमिक, खुले में काम करते श्रमिक और सडकों पर रिक्शा चलाकर या फिर सामान बेचकर गुजारा करते लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं....

Update: 2023-05-05 13:10 GMT

file photo (janjwar)

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Extreme and unbearable temperatures are now normal in Asia. हाल में ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 में भारत में अत्यधिक गर्मी के प्रभावों का आकलन किया है। इन वैज्ञानिकों ने गर्मी के प्रभावों से सम्बंधित एक हेल्थ इंडेक्स विकसित किया है, जिसमें तापमान के साथ ही आर्द्रता और वायु प्रदूषण के स्तर को भी शामिल किया गया था। इस आकलन के अनुसार पिछले वर्ष हमारे देश की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी अत्यधिक गर्मी से प्रभावित हुई और इससे पोषण और आय प्रभावित हुई और लोगों की मौतें भी हुईं। इससे खाद्यान्न सुरक्षा और लैंगिक समानता प्रभावित होती है।

वर्ष 1992 के बाद से हमारे देश में केवल अत्यधिक गर्मी के प्रभावों के कारण 24000 से अधिक लोगों की अकाल मृत्यु हो चुकी है। इस आकलन के अनुसार अत्यधिक गर्मी केवल स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करती बल्कि अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है। अनुमान है कि केवल अत्यधिक गर्मी के कारण वर्ष 2050 तक जीडीपी में 2.8 प्रतिशत का और वर्ष 2100 तक 8.7 प्रतिशत का नुकसान होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी वाले वर्षों की आवृत्ति बढ़ती जा रही है। पहले ऐसे वर्ष औसतन 30 वर्ष के अंतराल पर आते थे, पर अब तो हरेक वर्ष तापमान के मामले में पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को ध्वस्त करता जा रहा है। वर्ष 2022 में देश की 90 प्रतिशत आबादी अत्यधिक गर्मी के प्रभावित थी और इस वर्ष अप्रैल के महीने में ही देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी अत्यधिक गर्मी की मार झेल चुकी है।

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इस वर्ष अप्रैल के महीने में तापमान ने एशिया के अनेक देशों में नया रिकॉर्ड कायम किया है। कई जगहों पर गर्मी से लोगों की मृत्यु दर्ज की गयी, कहीं स्कूलों को बंद करना पड़ा तो कहीं बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गयी। थाईलैंड, म्यांमार, लाओस, वियतनाम, चीन और दक्षिण एशिया में अनेक स्थानों पर अप्रैल महीने का रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिक और मौसम के इतिहास विशेषज्ञ मक्सिमिलियनो हेर्रेरा के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में गर्मी का कहर इस कदर है कि हरेक दिन कहीं न कहीं के तापमान से सम्बंधित पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो रहे हैं।

हमारे देश में इस वर्ष हीटवेव यानि अत्यधिक गर्मी का आरम्भ 3 मार्च को कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों से हो गया था। यहाँ ध्यान देने वाले दो तथ्य हैं – कर्नाटक में पिछले 2 वर्षों के दौरान एक भी हीटवेव का दिन नहीं रिकॉर्ड किया गया था और वर्ष 2022 के शुरुआती जानलेवा गर्मी की खूब चर्चा की गयी थी, पर पिछले वर्ष हीटवेव की शुरुआत इस वर्ष की तुलना में 8 दिनों बाद यानि 11 मार्च को गुजरात से हुई थी। भारतीय मौसम विभाग के 19 अप्रैल के बुलेटिन में बताया गया था कि इस वर्ष 18 अप्रैल को देश के 22 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी हीटवेव की चपेट में थी। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 2003 से 2012 के बीच अत्यधिक गर्मी से देश में 4134 मौतें दर्ज की गईं, पर वर्ष 2013 से 2022 के बीच इस आंकड़े में 34 प्रतिशत की बृद्धि, यानि 5541 मौतें दर्ज की गईं।

हाल में ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार तापमान बृद्धि का असर जल्दी ही हमारे देश की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी, कृषि, वन्यजीवों और श्रमिकों पर पड़ने लगेगा। मौसम विभाग ने 12 से 18 अप्रैल के बीच अत्यधिक गर्मी की चेतावनी पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, और पुदुचेरी के लिए जारी की थी। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में स्कूली छात्रों को गर्मी के कहर से बचाने के लिए स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया।

अमेरिका के नेशनल ओसानोग्रफिक एंड एटमोस्फेरेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने पिछले 174 वर्षों के मार्च महीने के वैश्विक औसत तापमान के आंकड़े खंगालने के बाद बताया कि वर्ष 2016 का मार्च सर्वाधिक गर्म था, जबकि मार्च 2023 दूसरा सर्वाधिक गर्म मार्च रहा है। इस वर्ष के जनवरी से मार्च के बीच का औसत तापमान चौथा सर्वाधिक गर्म रहा है, और अनुमान है कि यह वर्ष पांचवां सर्वाधिक गर्म वर्ष रहेगा। मार्च 2023 के दौरान पृथ्वी का औसत सतही तापमान पूरी 20वीं शताब्दी के औसत की तुलना में 1.24 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यह लगातार 47वां वर्ष है जब मार्च के महीने का वैश्विक सतही तापमान सामान्य औसत से अधिक रहा, और इस तरह का लगातार 529वां महीना है। एशिया का औसत तापमान 20वीं शताब्दी के औसत की तुलना में 4.08 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। एशिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका और अंटाकर्टिका में जनवरी से मार्च 2023 के बीच हिम-आवरण सबसे कम आंका गया है।

म्यांमार में इस वर्ष अप्रैल में चार स्थानों पर तापमान के पहले के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो चुके हैं। त्हेंज़येत में तापमान 43 डिग्री और बायो में 42.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में 42 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुँचने के बाद लोगों को घरों के भीतर रहने की चेतावनी जारी कर दी गयी और बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गयी। थाईलैंड के कुछ क्षेत्रों में तापमान 45.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया, इससे पहले थाईलैंड में सर्वाधिक तापमान वर्ष 2016 में 44.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। फिलीपींस में बेतहाशा गर्मी के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया और शिक्षा ऑनलाइन तरीके से दी जाने लगी। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, ऐसा पिछले 58 वर्षों में कभी नहीं हुआ था।

चीन में भी कई स्थानों पर तापमान के नए रिकॉर्ड स्थापित हुए। लाओस में इस वर्ष अप्रैल में इतिहास का सर्वाधिक तापमान 42.7 डिग्री सेल्सियस मापा गया। वियतनाम में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस पार कर गया और यह तापमान किसी भी महीने के रिकॉर्ड की तुलना में अधिक है। जापान में इस वर्ष अप्रैल में कई बार तापमान 30 डिग्री सेल्सियस पार कर गया। कुछ ऐसे ही हालात कज़ाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान में रहे।

हमारे देश में आबादी को अत्यधिक गर्मी से बचाने के उपायों पर सरकारें खूब वाहवाही लूटती हैं, पर सच तो यही है कि यहाँ जनता को गर्मी से मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। इस वर्ष 16 अप्रैल को नवी मुंबई के खारघर में महाराष्ट्र सरकार द्वारा खुले में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार दिए गए। इस कार्यक्रम में देश के गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। बड़े लोगों और पत्रकारों के लिए टेंट लगाए गए थे, पर जनता को 6 घंटे सीधे धूप में खड़ा रहना था। गृह मंत्री को भारी भीड़ का अहसास दिलाने के लिए लोगों को बसों में भरकर दूर-दराज के क्षेत्रों और यहाँ तक कि पड़ोसी राज्यों से भी लाया गया था। उस दिन तापमान 42 डिग्री से अधिक था। इस कार्यक्रम के दौरान लू लगने के कारण 13 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी जिसमें 6 महिलायें थीं। इसके अलावा 600 से अधिक लोगों को इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा।

गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित गरीब आबादी होती है। खेतों में काम करते किसान और श्रमिक, खुले में काम करते श्रमिक और सडकों पर रिक्शा चलाकर या फिर सामान बेचकर गुजारा करते लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। जाहिर है, कोई भी योजना गरीबों के लिए नहीं बनती और उन्हें गर्मी, सर्दी, बाढ़, रोग और भूख से मरने को छोड़ दिया जाता है।

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