India : नवंबर में फिर बढ़ी बेराजगारी, भाजपा शासित राज्य हरियाणा में सबसे ज्यादा युवा बेरोजगार

CMIE report : नवंबर 2022 में बेरोजगारी दर पिछले तीन महीने में सबसे ज्यादा रही लेकिन चुनाव डिबेट में नहीं हुई इस बता पर चर्चा।

Update: 2022-12-03 03:21 GMT

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CMIE report : हिमाचल, गुजरात और दिल्ली एमसीडी चुनाव में हिंदू बनाम मुस्लिम, यूसीसी, जनसंख्या नियंत्रण, लव जिहाद जैसे विषय मुद्दे पर बने पर जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी आजीविका यानि रोजगार और बेरोजगारी ( Unemployment ) मुद्दा नहीं बना। जबकि सीएमआईई रिपोर्ट ( CMIE unemployment report ) में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश ( India ) में बेरोजगारी दर नवंबर में बढ़कर आठ प्रतिशत से ज्यादा हो गई। यह दर पिछले तीन माह में सबसे ज्यादा है।

शहरी क्षेत्र के युवाओं में बेरोजगारी ज्यादा 

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (CMIE report ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर महीने में शहरी भारत में बेरोजगारी ( Unemployment ) ग्रामीण क्षेत्र से कहीं अधिक रही। शहरी ( Urban Unemployment ) क्षेत्र में बेरोजगारी दर 8.96 प्रतिशत आंकी गई जबकि ग्रामीण ( Rural Unemployment ) क्षेत्र में यह 7.55 प्रतिशत रही। एक महीने पहले यानि अक्टूबर में शहरी बेरोजगारी दर 7.21 प्रतिशत थी जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 8.04 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

हरियाणा में बेरोजगादी दर सबसे ज्यादा 

हरियाणा ( Haryana ) में नवंबर के दौरान 30.6 प्रतिशत बेरोजगारी रही। यह पूरे देश में सबसे ज्यादा है। राजस्थान में 24.5 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 23.9 प्रतिशत, बिहार में 17.3 प्रतिशत और त्रिपुरा में 14.5 प्रतिशत बेरोजगारी रही। वहीं सबसे कम बेरोजगारी छत्तीसगढ़ में रही जहां सिर्फ 0.1 प्रतिशत लोग बेरोजगार रहे। उत्तराखंड में यह आंकड़ा 1.2 प्रतिशत, ओडिशा में 1.6 प्रतिशत, कर्नाटक में 1.8 प्रतिशत और मेघालय में 2.1 प्रतिशत बेरोजगारी नवंबर में आंकी गई। सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2022 में भारत की बेरोजगारी दर 7.77 प्रतिशत थी जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 6.43 प्रतिशत था।

CMIE unemployment report : बता दें कि देश में बेरोजगारी ( Unemployment in India ) की वजह से युवाओं में गंभीर असंतोष है। बेरोजगारी ( Unemployment ) की वजह से लगातार आत्महत्या के मामले भी सामने आ रहे हैं, लेकिन न तो केंद्र सरकार ( modi government ) न हीं राज्यों की सरकारों को इस बात की परवाह है। यही वजह है कि पहले की तरह तीन राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान में युवाओं में बेरोजगारी सियासी मुद्दा नहीं बन सका। 

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