UP : आजमगढ़ में प्रशासन ने पायनियर के वरिष्ठ फोटोग्राफर का कार्यालय ढहाया, पत्रकार ने SDM को भेजा लीगल नोटिस
एसके दत्ता ने बताया कि उनके दफ्तर में जो भी सामान पड़ा था, वह भी प्रशासन उठवा ले गया। इसमें कम्यूटर, जनरेटर, कुर्सी-मेज, इनवर्टर-बैटरी जैसे सामान थे। दत्ता कहते हैं जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से उनको लाखों का नुकसान हुआ है...
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जनपगद आजमगढ़ जिला प्रशासन अपने ही बनाए कायदे-कानून भूलकर काम कर रहा है। प्रशासन का कारनामा बीती 24 मार्च को आजमगढ़ शहर में देखने को मिला। यहां के जिला प्रशासन ने एक अखबार के दफ्तर पर दिन-दहाड़े जेसीबी चलवाकर उसे खंडहर में बदल दिया। यह हाल तब है जब जिला प्रशासन ने अखबार के दफ्तर के लिए समय सीमा दी थी। बावजूद इसके दफ्तर को गिराने की इतनी जल्दी थी कि उसने अपनी ही नोटिस में दी गई समय-सीमा तक का पालन करना भी उचित नहीं समझा।
गौरतलब है कि आजमगढ़ के रैदोपुर में 'पायनियर' अखबार का ब्यूरो कार्यालय है, जिसे प्रशासन ने ढ़हा दिया है। दरअसल जहां पर यह कार्यालय था, उस जमीन को आजमगढ नगर पालिका परिषद ने इंदू दत्ता को साल 2000 में किराए पर दी थी। इसके लिए दोनों पक्षों में एक करार हुआ था। जिसके बाद इंदू दत्ता ने 12 गुणा 15 फुट के इस जमीन के टुकड़े पर दुकान का निर्माण करवाया था। इंदू दत्ता इसका किराया भी नगर पालिका परिषद को समय-समय पर देते रहे हैं। इंदू दत्ता के पति एसके दत्ता आजमगढ़ शहर के सबसे वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने उस जमीन पर अपना कार्यालय भी बना रखा है तथा उसी के साथ 'पायनियर' अखबार का दफ्तर भी है।
एसके दत्ता का कहना है कि 23 मार्च को एक कार्यक्रम के सिलसिले में वो लखनऊ गए थे। वहां उन्हें उनकी बेटी ने फोन कर बताया कि कुछ पुलिस वाले नोटिस लेकर आए हैं। इस पर दत्ता ने अपनी बेटी से नोटिस को रीसीव कर लेने को कहा। दत्ता उसी रात आजमगढ़ पहुंचे। उन्होंने नोटिस देखा जो, उनके दफ्तर को लेकर था। एसडीएम सदर की ओर से जारी इस नोटिस में दत्ता को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 25 मार्च तक का समय दिया गया था। एसडीएम ने इस नोटिस में तहसीलदार की आख्या के हवाले से कहा है कि इस निर्माण की वजह से सड़क पर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। इससे आए दिन वहां झगड़ा-फसाद होता रहता है।
दत्ता बताते हैं कि उन्होंने अपने वकील के साथ मिलकर अपना जवाब तैयार करवाया, जिसे वो 25 मार्च को एसडीएम की अदालत में दाखिल करने वाले थे। लेकिन इस बीच 24 मार्च की शाम को पुलिस और कुछ अधिकारियों ने जेसीबी की मदद से उनके दफ्तर को गिरवा दिया। नोटिस में दी गई समय-सीमा के बारे में बताने पर भी अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी। वो बताते हैं कि जब यह कार्रवाई हो रही थी, तो उस समय कोई भी जिम्मेदारी अधिकारी अपने कार्यालय में नहीं था। उन्होंने बताया कि 25 मार्च के तड़के ही नगर पालिका परिषद के कुछ कर्मचारियों ने तोड़े गए दफ्तर का मलबा उठा लिया। उन्होंने बताया कि उनके दफ्तर में जो भी सामान पड़ा था, वह भी प्रशासन उठवा ले गया। इसमें कम्यूटर, जनरेटर, कुर्सी-मेज, इनवर्टर-बैटरी जैसे सामान थे। दत्ता कहते हैं जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से उनको लाखों का नुकसान हुआ है।
दत्ता ने कहा कि एसडीएम सदर गौरव कुमार ने कुछ दिन पहले ही 'पायनियर' के ब्यूरो चीफ रामअवध यादव को दफ्तर हटाने का मौखिक आदेश दिया था। उस समय भी उन्होंने दफ्तर को 3 दिन में खाली करने को कहा था। दत्ता ने बताया कि इसके विरोध में शहर के पत्रकारों ने जिलाधिकारी को सभी दस्तावेजों के साथ ज्ञापन सौंपा था। दत्ता बताते हैं कि प्रशासन ने यह कार्रवाई बिना पूर्व सूचना दिए ही कायदे-कानून को ताक में रखकर की है। उन्होंने बताया कि इस विवाद को लेकर एक मुकदमा भी दाखिल कर रखा है। लेकिन प्रशासन ने उसकी भी परवाह नहीं की। उन्होंने बताया कि 25 मार्च को उन्होंने एसडीएम के नोटिस के क्रम में अपना जवाब उनकी अदालत में अपना जवाब पूरे कागजात के साथ दाखिल कर दिया। वहीं अब दत्ता ने अपने वकील के माध्यम से इस कार्रवाई को लेकर एसडीएम को लीगल नोटिस भी भेजा है।
'पायनियर' अखबार के ब्यूरो चीफ रामअवध यादव पिछले 4 दशक से आजमगढ़ में पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एसडीएम जो आरोप लगा रहे हैं कि अखबार के दफ्तर से जाम लगता है, वह पूरी तरह से निराधार है। उन्होने कहा कि उनका दफ्तर सड़क से थोड़ा अंदर है। जबकी उसके अगल-बगल के निर्माण थोड़ा आगे हैं। वो कहते हैं कि अगर जाम की स्थिति बन रही थी तो अन्य इमारतों को भी नोटिस देना चाहिए था और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन एसडीएम ने ऐसा नहीं किया। वो प्रशासन की इस कार्रवाई को अवैध बताते हैं।