Uttar Pradesh : शाम 5:30 के बाद महिलाएं न जाएं थाने, BJP की पूर्व राज्यपाल के बयान पर पूर्व IAS बोले योगी जी को झन्नाटेदार भेंट

Uttar Pradesh : एक बात जरुर कहूंगी कि शाम में पांच बजे अंधेरा होने के बाद कभी थाने मत जाना। अगले दिन सुबह जाना। अगर जरूरी हो तो अपने भाई, पति या पिता को साथ लेकर जाना...

Update: 2021-10-23 11:02 GMT

(पूर्व राज्यपाल ने खड़े किए यूपी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल)

Uttar Pradesh (जनज्वार) : उत्तरप्रदेश की योगी सरकार अपराध मुक्त प्रदेश वाली छवि का दावा करती हो लेकिन उनकी ही पार्टी की नेत्री व उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कानून व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान खड़ा किया है। साथ ही उन्होंने प्रदेश की महिलाओं को अंधेरा होने के बाद थाने में अकेली न जाने की नसीहत दी है।

उत्तरप्रदेश के वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल व भाजपा नेत्री बेबी रानी मौर्य ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि थानों में एक महिला अधिकारी और सब इंस्पेक्टर जरूर बैठती है। लेकिन एक बात जरुर कहूंगी कि शाम में पांच बजे अंधेरा होने के बाद कभी थाने मत जाना। अगले दिन सुबह जाना। अगर जरूरी हो तो अपने भाई, पति या पिता को साथ लेकर जाना।

पूर्व राज्यपाल व भाजपा नेत्री बेबी रानी मौर्य के इस बयान को लेकर पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर तंज कसा। सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि पूर्व गवर्नर बेबी रानी मौर्य के बेटी वाले दर्द ने योगी सरकार का झबला खोल दिया। गवर्नर मलिक मोदी सरकार की लूंगी खोल ही चुके हैं। साथ ही उन्होंने लिखा कि ओ, बेबी रानी जी! सच बोलने के लिए आभार। योगी जी को झन्नाटेदार भेंट।

00वहीं कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने भी बेबी रानी मौर्य के उस बयान को अपने ट्विटर अकाउंट से साझा करते हुए निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने ट्वीट करते हुए सवाल पूछा कि अगर महिला के साथ कोई घटना शाम 5.30 बजे घटे तो अगली सुबह तक इंतजार करना चाहिए? आप नेता संजय सिंह ने भी पूर्व राज्यपाल के बयान को साझा कर ट्वीट करते हुए लिखा कि बेटी बचाओ।

वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उत्तरप्रदेश में किसानों को खाद न मिलने को लेकर भी प्रशासन को दोषी ठहराया। बेबी रानी मौर्य ने कहा कि अधिकारी सभी को गुमराह करते रहते हैं। मुझे आगरा से एक किसान का फोन आया था। उसे खाद नहीं मिल रही थी तो मैंने अधिकारी को फोन किया। अधिकारी ने खाद देने का आश्वासन दिया लेकिन किसान को बाद में मना कर दिया। इस तरह की बदमाशी निचले स्तर पर होती है।  

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