Yogi Adityanath News : खुद की पीठ ठोंकते CM योगी के ट्वीट पर लोगों ने कहा आपने बेशर्मी की हदें पार कर दीं!
योगी के ट्वीट पर सैंकड़ों ऐसे मैसेज हैं जिनको पढ़ना या छाप पाना मुश्किल है। ये हाल देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का दम भरने वाले सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया का है। उनके आईटी सेल के टट्टू भी इसमें कोई चमत्कार नहीं दिखा पा रहे हैं...
Yogi Adityanath News (जनज्वार) : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोशल मीडिया पर लगातार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। वह अपना बड़प्पन बताते हुए विपक्ष को धूल-धूसरित बता रहे हैं। लेकिन उनके ऐसे ट्वीटों पर लोग जो रिएक्ट करते हैं उन्हें शायद योगी आदित्यनाथ नहीं पढ़ते हों, पढ़ते भी हों तो यकीनन उन्हें फर्क नहीं पड़ता होगा क्योंकि वह संत हैं।
20 सितंबर सोमवार को येगी आदित्यनाथ ने विपक्षी नेताओं को लेकर एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होने कोरोना काल काल के दौरान विपक्ष और अपनी भूमिका के बारे में कहा कि, 'कोरोना कालखंड के दौरान विपक्षी नेता ट्विटर पर खेल रहे थे, चुनाव में भी उन्हें ट्विटर पर ही खेलने के लिए छोड़ देने की आवश्यकता है।'
योगी के इस ट्वीट पर जनता ने ऐसा-ऐसा रिएक्ट किया है जिसे पढ़कर आपकी आंखों में आंसू छलक आएं। रोहित यादव नाम के यूजर ने लिखा, 'आप मुख्यमंत्री आवास में दुबक के बैठे थे, जनता ऑक्सीजन की कमी से जूझ रही थी। सैकड़ों नहीं लाखों लोगों ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। गंगा किनारे रेत में दफन लाशें और उन पर पड़े भगवा कफन सपने देखे हैं। नदी में बहती लाशें सबने देखी थी। आपकी नाकामी और विफलता को जनता ने देखा है।'
संतोष चौरसिया नाम के यूजर ने लिखा है, 'महाराज कोरोना काल के योद्धा आज आपकी सरकार मे भुखमरी के कगार पे हैं जो 2012 से अब तक और दो कोरोना काल मे अपनी जान पे खेलके सरकार का साथ दिये आज उन्ही लोगों को सरकार के ही आदेश पे नौकरी से निकाल दिया गया। गजब का न्याय दिया है आपकी सरकार ने कोरोना योद्धाओं को।'
मोहम्मद राज लिखते हैं, 'और आप लाश को पेट्रोल और टायर डाल के जलवा रहे थे। लोग मर रहे थे, ऑक्सीजन के बिना और आप मजे से सो रहे थे। गंगा में लाशें बह रहीं थीं, और हजारों लाशों को तो लकड़ी नहीं मिली तो घाट पे ही मिट्टी से दबाना पड़ा। जिसे बाद में जानवर नोच रहे थे, लेकिन आप सुकून से थे।'
कवि ललित कुमार दीपक नाम के यूजर ने लिखा, 'महोदय आप लोग बेशर्मी और बहुदेपन की सारी हदें पार कर चुके हैं। तुम्हे आम आदमी या संविदाकर्मियों का दर्द नही दिखता ।बात करते हो कि विकास का ऐसा तीर मारा है कि पूछो मत, अनुदेशकों का मानदेय 8470 से 7000 करने का चमत्कार आप लोग ही कर सकते हो एक महीना 7000 में परिवार चला के दिखा सकते हो।'
कोमल राज नामक यूजर लिख रहे हैं, 'क्या बेहूदगी है! सरकार ने सामाजिक संगठनों के प्रयासों पर प्रतिबंध लगाए थे। ऑक्सीजन सिलेंडर के घरेलू सप्लाई पर रोक लगाई। आम जन के लिए दवाई की उपलब्धता पे नियंत्रण रखा था। बहुत लोगों ने अनैतिक तरीक़ों से पैसे कमाए!नदियों में शव बह रहे थे। गाँव गाँव में लोग मर रहे थे। आप कहाँ थे महाराज?'
तस्दीक हुसैन लिख रहे, 'इन्हें किसने CM बना दिया है इन्हें गंगा में बहते शव नहीं दिखे। इन्हें ऑक्सिजन के लिए मरते लोग नहीं दिखे। मुँह से ऑक्सिजन देती महिला नहीं दिखी। बिस्तर के अभाव में अस्पतालों के बाहर तड़पते मरीज़ नहीं दिखे। जब सब कुछ विपक्ष को ही करना है, तो आप क्या घंटारी बजाने के लिए हो केवल।'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस एक ट्वीट पर सैंकड़ों ऐसे मैसेज हैं जिनको पढ़ना या छाप पाना मुश्किल है। ये हाल देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का दम भरने वाले सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया का है। उनके आईटी सेल के टट्टू भी इसमें कोई चमत्कार नहीं दिखा पा रहे हैं। ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। कुल मिलाकर एक बात तो तय है, जो भी होगा वह देखना बेहद रोचकता भरा रहने वाला है।