लोकगायिका नेहा सिंह राठौर की चुनौती, सड़कछाप गीत गाने वाले दलालों के चंगुल से आज़ाद करवाउंगी भोजपुरी को

नेहा कहती हैं, अपनी पवित्र भाषा भोजपुरी को हमने अपने घर के आंगन से उठाकर चौराहे की पान की दुकानों पर ले जाकर बिठा दिया है, जहाँ रोज उसकी इज्जत उतारी जा रही है...

Update: 2021-07-03 06:47 GMT

(नेहा सिंह राठौर बोलीं पवित्र भोजपुरी भाषा को घर के आंगन से उठाकर चौराहे की पान की दुकानों पर ले जाकर बिठा दिया है, जहाँ रोज उसकी इज्जत उतारी जा रही)

जनज्वार डेस्क। भोजपुरी के विकृत स्वरूप खासकर भोजपुरी सिनेमा में उसे जिस फूहड़ता से पेश किया जाता है, उसे लेकर तमाम लोग आवाज उठाने लगे हैं। हालांकि इन आवाजों में कुछ ऐसी आवाजें भी शामिल हैं, जो घाघरा-चोली या फिर उससे भी आगे ऐसे गाने गाते हैं, जिसने अश्लीलता को भोजपुरी को अश्लीलता का पर्याय बना दिया है। तमाम विमर्शों के ​बीच भोजपुरी की उभरती लोकगायिका नेहा सिंह राठौर भी खुलकर सामने आयी हैं, और वो कहती हैं कि वह सड़कछाप गीत गाने वाले दलालों के चंगुल से भोजपुरी को किसी भी हाल में मुक्त कराके दम लेंगी। आइये पढ़ते हैं क्या कहती हैं नेहा—

किसी आदमी को उसके मोहल्ले में उतनी ही इज्जत मिलती है, जितनी इज्जत उसे उसके घर में मिलती है। इसका और कोई पैमाना नहीं है। एकदम यही दशा भाषा की भी है। बोलने वाले अपनी भाषा का जितना सम्मान करेंगे, उसी हिसाब से उस भाषा की इमेज बनेगी, और उसी अनुपात में वो भाषा और उस भाषा को बोलने वाले लोग देश के बाकी हिस्सों में सम्मान पाएंगे।

अब चूंकि मैं भोजपुरी के क्षेत्र से हूँ और भोजपुरी में ही गाती हूँ, तो मैं भोजपुरी की बात करूंगी।

भोजपुरी की आज देशभर में क्या इमेज है, वो किसी से छिपी नहीं है। साउथ इंडिया का आदमी भी भोजपुरी नाम सुनकर मुस्करा देता है; पर असल में हमारी भोजपुरी कितनी प्यारी, मीठी और पवित्र भाषा है, ये बात देश में कम लोग ही जानते हैं।

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मैं ज्यादा लेक्चर देने नहीं आयी हूँ, पर इतना जरूर कहूंगी कि अपनी पवित्र भाषा को हमने अपने घर के आंगन से उठाकर चौराहे की पान की दुकानों पर ले जाकर बिठा दिया है, जहाँ रोज उसकी इज्जत उतारी जा रही है।

भोजपुरी की इस हालत के जितने जिम्मेदार वो लोग हैं जिन्होंने ऐसा किया, उससे ज्यादा जिम्मेदार वो लोग हैं जिन्होंने ऐसा होने दिया। मैं वादा करती हूँ कि अब ऐसा नहीं होने दूंगी, और अपनी पूरी ताकत से भोजपुरी की इज्जत उतारने वालों को बेनकाब करूंगी।

ध्यान से सुनिये, हमें इस बात को समझना ही होगा कि किस तरह से हमारी उदारता का फायदा उठाकर कुछ लोगों ने मनमानी की है और अपनी तिजोरियां भरने के लिए भोजपुरी को सड़कों पर नीलाम किया है... हमें इन लोगों का बहिष्कार करना होगा।

उत्तर प्रदेश और बिहार के जिन इलाकों में भोजपुरी बोली जाती है, वो इलाके पूरे देश ही नहीं बल्कि मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया तक लेबर सप्लाई करते हैं, यानी भोजपुरी बोलने वाले देश-विदेश हर जगह मौजूद हैं। ये लोग जहाँ भी जाते हैं, भोजपुरी साथ ले जाते हैं।

तो सवाल अब ये है कि ये लोग कैसी भोजपुरी अपने साथ ले जाएंगे? सड़े-गले छिछोरे गीतों वाली भोजपुरी या भिखारी ठाकुर और शारदा सिन्हा वाली भोजपुरी! सवाल मेरा है, जवाब आप दीजिये।

रही बात मेरी, तो मैं अब अपनी भोजपुरी को इन सड़कछाप गीत गाने वाले भोजपुरी के दलालों के चंगुल से आज़ाद करवाकर रहूंगी।

आप साथ देंगे, तो अच्छा रहेगा; साथ नहीं देंगे और हमेशा की तरह मेरा विरोध ही करेंगे, तो भी मुझे फर्क नहीं पड़ता. मेरा संघर्ष जारी रहेगा... जय राम जी की।

#भोजपुरी_ज़िन्दाबाद #अश्लीलता_मुर्दाबाद

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