किसान आंदोलन : भारत बंद के समर्थन में माले और किसान महासभा के कार्यकर्ता उतरे सड़कों पर

आजमगढ़ में भारत बंद के समर्थन में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया गया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया। मऊ और गाजीपुर में मार्च निकाला गया। लखीमपुर खीरी के पलिया में भारत बंद को लागू कराने के लिए जुलूस की शक्ल में कार्यकर्ताओं ने भ्रमण किया...;

Update: 2021-03-26 13:18 GMT
किसान आंदोलन : भारत बंद के समर्थन में माले और किसान महासभा के कार्यकर्ता उतरे सड़कों पर
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लखनऊ, जनज्वार। भाकपा (माले) व अखिल भारतीय किसान महासभा के कार्यकर्ता तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे (एसकेएम) द्वारा शुक्रवार को बुलाये गए भारत बंद के समर्थन में आज 26 मार्च को यूपी के विभिन्न जिलों में सड़कों पर उतरे।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि बलिया जिले के सिकंदरपुर में दोनों संगठनों ने बंद की कामयाबी के लिए जुलूस निकाला और गिरफ्तार हुए। पुलिस ने सभी को थाना परिसर में लाकर बैठा दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को योगी सरकार की अलोकतांत्रिक कार्रवाई बताया और निंदा की। मिर्जापुर में भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद कार्यकर्ताओं ने मार्च किया और बाद में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा।

आजमगढ़ में भारत बंद के समर्थन में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया गया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया। मऊ और गाजीपुर में मार्च निकाला गया। लखीमपुर खीरी के पलिया में भारत बंद को लागू कराने के लिए जुलूस की शक्ल में कार्यकर्ताओं ने भ्रमण किया।

प्रयागराज में संयुक्त ट्रेड यूनियनों के मंच के नेतृत्व में भारत बंद के समर्थन में प्रदर्शन हुआ, जिसमें अधिवक्ता भी शामिल हुए। सीतापुर के कई तहसील क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। रायबरेली जिले के मेजरगंज में बंद के समर्थन में किसान महासभा द्वारा किसान पंचायत का आयोजन किया गया। चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, जालौन, मुरादाबाद, मथुरा, देवरिया आदि जिलों में भी बंद को लेकर मार्च और प्रदर्शन हुए।

माले राज्य सचिव ने आंदोलनकारी किसानों संगठनों की मांगों को समर्थन देने व भारत बंद की सफलता के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की हठ व किसान आंदोलन के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अख्तियार करने के बावजूद किसान आंदोलन का लगातार विस्तार हो रहा है। सरकार को अन्नदाताओं की आवाज सुननी होगी और तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेना होगा।

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