किसानों का देशव्यापी प्रदर्शन, सांसदों-विधायकों के आवास के सामने जलाई गई कृषि कानूनों की प्रतियाँ

प्रदर्शनकारियों ने कहा कोरोना लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार ने आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए गैर संवैधानिक तरीके से जबरन 3 कृषि काले कानून एक अध्यादेश के जरिये देश के किसानों पर थोप दिए थे...

Update: 2021-06-05 09:44 GMT

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल आंदोलनकारी महिलायें

जनज्वार। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले, भारी पुलिस बल के बीच, किसानों तथा विभिन्न जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड के रामनगर क्षेत्र के विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय का घेराव कर तीन कृषि काले कानूनों की प्रतियों को जलाकर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।

विधायक कार्यालय के बाहर हुई सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता ललित उप्रेती ने कहा कि 5 जून, 2020, को कोरोना लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार ने आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए गैर संवैधानिक तरीके से जबरन तीन कृषि काले कानून एक अध्यादेश के जरिये देश के किसानों पर थोप दिए थे।

किसान नेता परमजोत सिंह उर्फ पम्मा ने कहा कि ये 3 कृषि कानून देश के किसानों के ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के खिलाफ हैं, जो देश में अन्न खाकर जिंदा है। इन कानूनों द्वारा मोदी सरकार ने देश के कॉर्पोरेट घरानों तथा बहुराष्ट्रीय निगमों को  कृषि उत्पाद, दूध, मांस-मछली आदि की जमाखोरी तथा कालाबाजारी करने की खुली छूट दे दी है।

तीन कृषि काले कानूनों की प्रतियों को जलाकर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलनकारियों ने व्यक्त किया आक्रोश

महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर कटाक्ष किया कि हम विधायक और सांसद इसलिए चुनते हैं कि वे संसद और विधानसभाओं में जाकर जनता के हित में कानून और नीतियां बनायेंगे, परन्तु भाजपा के सांसद और विधायक बेशर्मी के साथ किसानों और आम जनता के खिलाफ नीतियां बना रहे है।

किसान आन्दोलन एकजुटता मंच के तत्वाधान में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जिले के दोनों सांसदों डॉ रीता बहुगुणा जोशी और केशरी देवी पटेल के आवास के सामने किसान विरोधी कृषि कानूनों की प्रतियाँ जलाई गईं। उक्त कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा सम्पूर्ण क्रान्ति दिवस एवं विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर देश भर में भाजपा सांसदों के आवास के बाहर कृषि कानूनों की प्रतियाँ जलाने का आह्वान के अनुरूप किया गया है।

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को बैठे हुए 6 माह से अधिक हो गया है। सैकड़ों किसान इस आन्दोलन में अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा की इन कृषि कानूनों का असर केवल किसानों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि देश के हर तबके पर पड़ेगा। खेती चौपट होने से देश में बेरोज़गारी बेहद अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाएगी और राशन की व्यवस्था और चरमरा जायेगी। जमाखोरी के कानून के चलते खाद्य वस्तुओं की कीमतें इतनी बढ़ जायेंगी कि मध्यम वर्ग के लिए भी दो वक्त की रोटी दुष्कर हो जायेगी।

वहीं प्रतीकात्मक रूप से आज तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाए जाने के ऐलान पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गांव चकिया मे आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय को नजरबंद कर दिया गया।

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