Farmers Lockdown : 27 को 'किसान लॉकडाउन', टिकैत की अपील- अन्न खानेवाला हर आदमी एक दिन अन्नदाताओं के नाम कर दे

Farmers Lockdown : 'किसान लॉकडाउन' को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा हैकि 27 सितंबर को किसान लॉकडाउन है जो लोग भी अन्न खाते हैं वो एक दिन किसानों के नाम कर दें..

Update: 2021-09-19 03:54 GMT
लखीमपुर खीरी कांड के विरुद्ध 18 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने रेल रोको आंदोलन की घोषणा की है (image/janjwar)

Farmers Lockdown : तीन नए कृषि कानूनों (Three new farm laws) को लेकर विगत कई महीनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि किसान लगातार विरोध प्रदर्शन (Farmers protest) कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार द्वारा उनकी मांगों को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है। पिछले दिनों हरियाणा के करनाल (Karnal) में हुए लाठीचार्ज की घटना के बाद गतिरोध और बढ़ गया था और किसानों ने वहां मिनी सचिवालय के पास ही तंबू ठोक कर प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

हालांकि वहां की मांग मान लिए जाने के बाद करनाल का आंदोलन तो खत्म हो चुका है लेकिन कृषि कानूनों की वापसी की मुख्य मांग पूरी न होने के कारण 'किसान आंदोलन' लगातार चल रहा है। इस बीच किसानों (Farmers) ने आगामी 27 सितंबर को 'किसान लॉकडाउन' का एलान किया है, जो देशभर में चलेगा।

'किसान लॉकडाउन' (Farmers Lockdown) को लेकर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 27 सितंबर को 'किसान लॉकडाउन' है जो लोग भी अन्न खाते हैं वो एक दिन किसानों के नाम कर दें। उस दिन कोई भी सड़क पर न उतरे जो भी निकलेगा वो फंसा रह जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को पीछे हटा कर सरकार जीतना चाहती है क्या? हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''आज भी कारपोरेट घरानों (Corporate Houses) और केंद्र सरकार की सांठगांठ से किसानों व मजदूरों के हकों पर डाका डाला जा रहा है, ऐसे में फिर से समय आ गया है कि साधु संतों के सानिध्य में खाप पंचायतों से निकले किसान योद्धा सरकार की जड़ें हिला कर रख दें। वहीं, जब तक काला कानून (Black Law) वापस नहीं ले लिया जाता है, किसान दिल्ली की सीमाओं पर ही डटे रहेंगे।''

बता दें कि केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी गतिरोध बना हुआ है। एक ओर सरकार जहां नए कानूनों को वापस लिए जाने से साफ तौर ओर इंकार कर रही है तो वहीं, दूसरी तरफ किसान संगठनों (Farmers organization) का कहना है कि तीनों नए कृषि कानूनों को जबतक पूरी तरह से वापस नहीं लिया जाता, उनका आंदोलन चलता रहेगा। लिहाजा, गतिरोध बरकरार है।

टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन फसलों (crops) और नस्लों को बचाने का आंदोलन है तथा किसानों पर थोपे गए काले कृषि कानूनों को केंद्र सरकार जब तक वापस नहीं ले लेती है, वह किसानों के सहयोग से दिल्ली की सीमा पर डटे रहेंगे।

उन्होंने शाहजहांपुर (Shahjahanpur) में किसानों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आंदोलनों में धर्म स्थानों का विशेष योगदान है और गुरु गोविंद सिंह (Guru Govind Singh) ने भ्रमण के दौरान खाप पंचायतों से संपर्क किया था तथा इसके बाद पीड़ित लोगों से धैर्य रखने को कहा था। उन्होंने बताया कि इसके बाद सिंह ने बंदा सिंह बहादुर को सर नारी गांव भेजा, जहां के लोगों ने फौज बनाकर सरहद का किला फतह किया था।

वहीं, सभा को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (Gurunam Singh Chadhuni) ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को ''धर्म युद्ध'' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह धर्मयुद्ध किसानों के हकों के लिए लड़ा जा रहा है, जबकि सरकार की मंशा भारत के किसान-मजदूरों को गुलाम बनाने की है, जो किसी भी दशा में पूरी नहीं होने दी जाएगी।

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