वनग्राम पूछड़ी के लोगों की बेदखली के खिलाफ आंदोलन के लिए आयोजित बैठक में पुलिस ने डाला खलल, आंदोलनकारियों ने धामी सरकार पर जड़े गंभीर आरोप
संयुक्त संघर्ष समिति ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज करते हुए कहा कि भाजपा ने उत्तराखंड को पुलिस स्टेट में तब्दील कर दिया है, लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी को भी छीना जा रहा है। बेघर हुए लोगों को गांव में बैठक भी नहीं करने दी जा रही है....
रामनगर। वन ग्राम पूछड़ी में 7 दिसंबर को वन विभाग द्वारा विस्थापित किए गए लोगों को पुनर्वासित करने तथा वन विभाग द्वारा जारी बेदखली के नोटिस के जवाब देने व आंदोलन की आगामी रणनीति को लेकर संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा आयोजित बैठक स्थल को पुलिस ने घेर लिया तथा ग्रामीणों को बैठक नहीं करने दी।
संयुक्त संघर्ष समिति ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज करते हुए कहा कि भाजपा ने उत्तराखंड को पुलिस स्टेट में तब्दील कर दिया है, लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी को भी छीना जा रहा है। बेघर हुए लोगों को गांव में बैठक भी नहीं करने दी जा रही है।
स्थान परिवर्तन कर व्यापार भवन में आयोजित की गई। बैठक में पूछड़ी में वन विभाग द्वारा 7 दिसंबर को विस्थापित किए गए सभी लोगों को पुनर्वासित करने, ग्राम पूछड़ी समेत सभी वन ग्रामों, गोठ व खत्तों को राजस्व ग्राम घोषित करने, न्यायालय की अवमानना के लिए उत्तरदायी डीएफओ प्रकाश चन्द्र व अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने तथा बुल्डोजर पर रोक लगाने की मांग 16 दिसंबर को वन परिसर में विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में वक्ताओं ने बिजली विभाग व जल संस्थान द्वारा पूछडी में बिजली, पानी बंद किए जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए इसे न्यायालय के आदेश व जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया तथा जुलूस निकाल कर बिजली विभाग व जल संस्थान के कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया, जिसके बाद अधिकारियों द्वारा तत्काल बिजली पानी की आपूर्ति शुरू करने का आश्वासन दिया गया।
बैठक में रमेश आर्य, साहिस्ता, उपपा नेता प्रभात ध्यानी, ठेका मजदूर कल्याण समिति के अध्यक्ष किशन शर्मा, इंकलाबी मजदूर केंद्र के भुवन चंद्र, महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी, रेनु सैनी, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार,प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंबाल मोहन सिंह, बालादत्त कांडपाल, अंजलि रावत, किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती,गणेश, नरेंद्र सिंह समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।