जरूरी सामानों के दाम नहीं बढ़े अचानक, पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए सरकार द्वारा लायी गयी नीतियों का परिणाम
खाद्य तेल, दाल, पेट्रोल, डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम आकस्मिक रूप से नहीं बढ़ रहे हैं, बल्कि सरकारों द्वारा पूंजीपतियों के मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए एक के बाद एक लाई गई नीतियों का परिणाम है...
इंदौर। दैनिक जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि के खिलाफ सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया और सोशलिस्ट पार्टी इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से आज 19 जून को कलेक्टर कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया तथा नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया। कार्यकर्ता महंगाई के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां हाथों में लिए हुए थे।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि जब देश की जनता महामारी की मार और लॉकडाउन के कारण भयावह बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से जूझ रही है,जब अखबारों में परिवार सहित आत्महत्याओं की खबरें दर्ज हो रही हैं, महामारी से लाखों परिवार अपने परिजनों को खोकर निराधार हो गए हैं।
ऐसी विपत्ति के समय आवश्यकता इस बात की थी कि केंद्र व राज्य सरकार जनता की तकलीफों को कम करने के लिए राहत पहुंचाने के कदम उठाती, अधिक से अधिक लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करती और हर जरूरतमंद परिवार को सभी आवश्यक वस्तुएं कम दामों में सुलभ कराती, ताकि आम जनता को महामारी से मिले घावों पर मलहम लग पाता और गरीब जनता को भुखमरी से बचाना संभव हो पाता, किंतु इसके विपरीत केंद्र व राज्य सरकार जनता की पूरी तरह अनदेखी कर पूंजीपतियों के अधिकतम मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए जनता की लूट की खुली छूट पूंजी पतियों को दे रही है।
खाद्य तेल, दाल, पेट्रोल, डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम आकस्मिक रूप से नहीं बढ़ रहे हैं, बल्कि सरकारों द्वारा पूंजीपतियों के मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए एक के बाद एक लाई गई नीतियों का परिणाम है।
प्रदर्शनकारियों को अर्शी खान, रामस्वरूप मंत्री, प्रमोद निदेश, सोनू शर्मा आदि ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल डीजल के दाम तय करने का पूर्ण अधिकार सरकार ने निजी कंपनियों को दे दिया है, परिणाम स्वरूप अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल बहुत सस्ता होने पर भी लाभ जनता तक नहीं पहुंच रहा है। पूंजीपति अकूत मुनाफा लूटने के लिए मनमाने दाम बढा रहे हैं, इसको रोकने के बजाय केंद्र सरकार स्वयं ₹32 प्रति लीटर और राज्य सरकार ₹13 प्रति लीटर टैक्स वसूल रही है और लगभग इतना ही मुनाफा निजी कंपनी हर लीटर पेट्रोल पर ले रही है, परिणामस्वरूप आम जनता असहाय अवस्था में लूटी जा रही है।
मुख्यमंत्री के नाम दिये गये ज्ञापन में मांग की गई है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में किए गए संशोधन रद्द करे और पेटोल, डीजल, खाद्य तेल सहित सभी आवश्यक वस्तुएं तार्किक मूल्य पर मिलना सुनिश्चित करे। सभी जरूरतमंदों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली से सस्ता और पर्याप्त राशन मिलना सुनिश्चित करे।