योगीराज में मजदूरों की हालत बहुत खराब, रोजी-रोटी के लिए बड़े पैमाने पर पलायन जारी

Lucknow news : उत्तर प्रदेश में मजदूरों की हालत बेहद खराब है। प्रदेश में इन्वेस्टर सबमिट के जरिए रोजगार सृजन की चाहे जितनी बात की जाए, असलियत यह है कि मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है और प्रदेश से मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है...

Update: 2023-09-15 15:59 GMT

लखनऊ। संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि सरकार का यह दायित्व है कि वह मजदूरों के गरिमापूर्ण जीवन के लिए सामाजिक सुरक्षा के उपाय करे। उनके पेंशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार को सुनिश्चित करें। 2008 में बना केंद्रीय कानून भी असंगठित मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करता है। बावजूद इसके सरकारें मजदूरों को उनके अधिकार देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में आज असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के साझा मंच ने पूरे प्रदेश में मांग दिवस मनाया और मुख्यमंत्री को जिला प्रशासन के माध्यम से पत्रक भेजा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की गई कि ई-श्रम पोर्टल में पंजीकृत मजदूरों के लिए आयुष्मान कार्ड, आवास, बीमा, पेंशन, मुफ्त शिक्षा, कौशल विकास और पुत्री विवाह अनुदान जैसी योजनाओं को तत्काल लागू किया जाए। लखनऊ में इस मांग दिवस के अवसर पर श्रम कार्यालय में एक दिवसीय धरना दिया गया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अपर श्रमायुक्त के माध्यम से भेजा गया।

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इस अवसर पर हुई सभा में नेताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मजदूरों की हालत बेहद खराब है। प्रदेश में इन्वेस्टर सबमिट के जरिए रोजगार सृजन की चाहे जितनी बात की जाए, असलियत यह है कि मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है और प्रदेश से मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। निर्माण मजदूर महीने में 15-20 दिन काम करने के लिए मजबूर है। न्यूनतम वेतन का पिछले 5 साल से वेज रिवीजन न करने के कारण प्रदेश में मजदूरी दर बेहद कम है और इस महंगाई में मजदूरों को अपने परिवार का जीवन चलाना बेहद कठिन होता जा रहा है।

निर्माण मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए जो योजनाएं चल रही थीं, उनमें से ज्यादातर को बंद कर दिया गया। यहां तक कि उनके पेंशन के अधिकार को भी छीन लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद घरेलू कामगार के लिए कानून नहीं बनाया जा रहा है। यही हालत सूचना क्रांति के दौर में नए पैदा हुए प्लेटफार्म और गिग वर्कर्स की भी है उन्हें बुनियादी अधिकार भी नहीं मिला हुआ। आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे-मील रसोईया को तो मनरेगा से भी कम मानदेय दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8 करोड़ 30 लाख मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करनी चाहिए। यदि सरकार इसे नहीं करती है तो प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

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धरने को एटक के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, टीयूसीसी के महामंत्री प्रमोद पटेल, एचएमएस के जिला मंत्री अरविन्द सिंह राठौर, एचएमकेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओंकार सिंह, निर्माण मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष नौमी लाल, घरेलू कामगार यूनियन अध्यक्ष ललिता राजपूत, सुषमा लोधी, रमेश कश्यप, राम स्नेही मिश्रा, किशोरी लाल, मुकुल शर्मा, जगदीश, आरपी शर्मा, अमरकेश आदि ने संबोधित किया। लखनऊ के अलावा सोनभद्र, चंदौली, मऊ, आगरा, सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर, गोंडा, प्रयागराज, फतेहपुर, बांदा, वाराणसी, अयोध्या, प्रतापगढ़, गोरखपुर आदि जिलों में कार्यक्रम कर सीएम को पत्रक भेजा गया।

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