आदिवासी महिला राजकली उरांव हत्याकांड के दो माह बाद भी खुलेआम घूम रहे हत्यारोपी, भगत सिंह के शहादत दिवस पर निकला आक्रोश मार्च

आज सिर्फ़ कैमूर पठार ही नहीं जहाँ भी आदिवासी हैं, वहाँ हमला किया जा रहा है। और ये हमला कहीं बाघ अभयारण्य के नाम पर तो कहीं पर्यावरण बचाने के नाम पर तो कहीं लोहा, कोयला आदि खनिज निकालने के नाम पर किया जा रहा है...

Update: 2023-03-24 09:40 GMT

Tribal live matter : 23 मार्च 2023 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर पर कैमूर मुक्ति मोर्चा ने राजकली उरांव को न्याय दिलाने तथा कैमूर पठार को बाघ अभ्यारण्य बनाने के केंद्र और राज्य सरकार के योजना के विरोध में सासाराम में आक्रोश मार्च और सभा का आयोजन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत शेरशाह के मकबरा से जुलूस निकाल कर किया गया, जो वन विभाग के कार्यालय होते हुए जिला मुख्यालय पहुँचा। वहाँ पहुँच कर सभा में तब्दील हो गया। जब तक एसडीएम ने ज्ञापन नहीं ले लिया, तब तक सभा चलती रही। जुलूस में वन विभाग और सरकार के जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई।

मुख्य रूप से राजकली उरांव के हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार कर के कठोर से कठोर सजा दोव, वन विभाग कैमूर पठार को छोड़ो, बाघ अभयारण्य और वन सेंचुरी को तत्काल खत्म करो, कैमूर पठार को 5वीं अनुसूची क्षेत्र घोषित करो, पेशा कानून और वन अधिकार कानून 2006 को तत्काल लागू करो, पुलिस-प्रशासन वन विभाग के साथ मिलकर हत्यारों को बचाना बंद करो, पूरे देश में आदिवासियो के जल-जंगल-जमीन पर हमला करना बंद करो आदि नारे लगाते हुए जब जुलूस वन विभाग के कार्यकाल पहुँचा, तो वहाँ जुलूस को 5 मिनट के लिए रोक कर साथी राजालाल ने वन विभाग को चेतावनी देते हुए कहा  वन विभाग अपनी औकात में रहे और आदिवासियों को डराना धमकाना बंद करे। जंगल सदियों से हमारा था है और रहेगा, इसलिए वन विभाग उस पर अपना मालिकाना हक जताना बंद करे। हमारी बहन राजकली उरांव के बलात्कारियों और हत्यारों को बचाना बंद करे, नहीं तो उसे इसके गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।

इसके बाद जुलूस आगे बढ़ चला और सीधे जिला मुख्यालय पर जाकर रुका। वहां सभा को कैमूर मुक्ति के पूर्व सचिव सिपाही सिंह खरवार, नेपाली चेरो, चंदौली से आये मेहनतकश मुक्ति मोर्चा के साथी कन्हैया जी, रितेश विद्यार्थी और कैमूर मुक्ति मोर्चा के सचिव राजालाल सिंह खरवार ने सम्बोधित किया।

सभा में अपनी बात रखते हुए सिपाही सिंह ने कहा कि हम 150 किलोमीटर से चलकर यहाँ राजकली उरांव को न्याय दिलाने के लिए आए हैं। घटना के दो महीने बीत जाने के बाद भी हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं। हम रोहतास पुलिस से जवाब चाहते हैं कि वो अब तक क्या कर रही है? हमारी माँग है कि बलात्कारियों-हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। जब तक राजकली उरांव को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक हम चुप नहीं बैठेंगे।


इसके बाद मेहनतकश मुक्ति मोर्चा के साथी कन्हैया जी ने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा की साथियों आज का दिन भगत सिंहए राजगुरु और सुखदेव के शहादत का दिन है। क्या उन्होंने ऐसे ही समाज और देश बनाने के लिए अपनी शहादत दी जिसमें हमारी बहन-बेटियाँ सुरक्षित नहीं है। आज पूरे देश के आदिवासी इलाके में अमेरिकी साम्राज्यवादियों के निर्देशन में पूंजीपतियों और सामन्तों की सरकार आदिवासियो के जल-जंगल-जमीन के साथ.साथ उनकी बहन.बेटियों के मान-सम्मान पर भी हमला कर रही है, जिसका हमें हर हाल में विरोध करना होगा, क्योंकि आज आदिवासी सिर्फ़ अपने लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए लड़ रहे हैं। जल-जंगल-जमीन बचाने की लड़ाई पूरी धरती को बचाने की लड़ाई है।

इसके बाद मेहनतकश मुक्ति मोर्चा के ही साथी रितेश विद्यार्थी ने अपनी बात रखते हुए विस्तार से बताया की आज सिर्फ़ कैमूर पठार ही नहीं जहाँ भी आदिवासी हैं, वहाँ हमला किया जा रहा है। और ये हमला कहीं बाघ अभयारण्य के नाम पर तो कहीं पर्यावरण बचाने के नाम पर तो कहीं लोहा, कोयला आदि खनिज निकालने के नाम पर किया जा रहा है। कैमूर पठार को बाघों के संरक्षण के नाम पर देश का सबसे बड़ा बाघ अभ्यारण्य सरकार बनाने जा रही है। सवाल है जिन्हें इंसानो से प्यार नहीं है उन्हें भला बाघों से क्या प्यार होगा? बाघ के संरक्षण के नाम पर ये सब आपकी जल-जंगल-जमीन छीनने की साजिश है, जिसे हम सबको मिल कर विरोध करना चाहिए। भारतीय राज्यसत्ता की सारी नीतियाँ अमेरिका व अन्य साम्राज्यवादी देशों के निर्देशन में, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, देश के बड़े पूंजीपतियों.जमींदारों के फायदे के लिए बन रही हैं, जिसकी वजह से मजदूरों, किसानों, छात्रों, महिलाओंए दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों यानी देश की बहुसंख्यक जनता पर ब्राह्मणवादी-हिंदुत्ववादी भाजपा-आरएसएस द्वारा क्रूर युद्ध थोपा जा रहा है। हमें अवश्य ही इस युद्ध में सबको गोलबंद कर विजय हासिल करनी है और एक जनवादी-समाजवादी भारत का निर्माण है, तभी हम सच्चे अर्थों में आज़ादी, बराबरी और मुक्ति हासिल कर सकते हैं।

अंत में साथी राजालाल सिंह खरवार ने अपनी बात रखते हुए पुलिस.प्रशासन को चेतावनी दिया की अगर जल्द से जल्द राजकली उरांव के हत्यारों को गिरफ्तार नही किया गया तो हम बड़ा जन आन्दोलन करने को बाध्य होंगे और कैमूर पठार पर वन विभाग के साथ.साथ पुलिस-प्रशासन को भी घुसने पर रोक लगा देंगे। जो हमारी माँ-बहनों की सुरक्षा नहीं कर सकता और हत्यारों के साथ मिलकर उन्हें बचाने में लगा है। ऐसे पुलिस.प्रशासन की हमें जरुरत नहीं है।

सभा की अध्यक्षता कैमूर मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य पारीखा सिंह ने किया। सभा का संचालन साथी विनोद शंकर ने किया। इस आक्रोश मार्च में कैमूर पठार के दोनों जिलों यानी कैमूर और रोहतास से बहुत से आदिवासी तथा गैर आदिवासी महिलाओं और पुरुषों ने हिस्सा लिया।

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