UP में जो पुलिसिया उत्पीड़न पहले अवैध रूप से था, उसे अब स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स बना कर दिया है वैध : रिहाई मंच

ये स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स की आड़ में कानून है जिसे संवैधानिक नागरिक अधिकारों का दमन करने के लिए लाया गया है....

Update: 2020-09-16 13:34 GMT

file photo

लखनऊ। सामाजिक-राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन को अलोकतांत्रिक कदम बताते हुए कहा कि इसे जिस प्रकार के अधिकार दिए गए हैं, उससे जाहिर होता है कि इसका प्रयोग राजनीतिक विरोध को कुचलने पूंजीपतियों द्वारा जन साधारण के शोषण का कानूनी अधिकार देने जैसा है।

मंच ने दिल्ली स्पेशल द्वारा संविधानवादी युवा नेता उमर खालिद को दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड बताते हुए यूएपीए जैसे क्रूर कानून प्रावधान के तहत गिरफ्तारी की निंदा करते हुए तत्काल रिहाई की मांग की। 

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बिना किसी वारंट के यूपी एसएसएफ (Spacial Security force) के पास किसी को भी गिरफ्तार करने या किसी की भी तलाशी लेने का अधिकार देने का मतलब ही होता है कि जनता के नागरिक अधिकारों में उसी अनुपात में कटौती करना। इससे पहले भी पुलिस बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी जैसे गैर कानूनी गतिविधियां अंजाम देती रही है और इसका सबसे अधिक शिकार वैचारिक और राजनीतिक विरोधियों और वंचित समाज को बनाया जाता रहा है। यूपी एसएसएफ के गठन को उसे वैधानिक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।

यूपी एसएसएफ का इस्तेमाल उद्योगपति, पूंजीपति वर्ग अपने प्रतिष्ठानों और निजी सुरक्षा के नाम पर श्रमिक आंदोलनों, ट्रेड यूनियन नेताओं और गरीबों की जमीन पर कब्जा करने के लिए गुंडों के स्थान पर विशेषाधिकार प्राप्त बल के माध्यम से कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि इसे बड़े पैमाने पर बेरोज़गार हुए मज़दूरों के किसी संभावित आंदोलन और प्रदेश सरकार द्वारा ग्रुप ख और ग की नई भर्तियों को पांच साल तक संविदा पर रखने के प्रस्ताव से भी जोड़कर देखा जा सकता है। बेरोज़गार जनता अगर सड़कों पर उतरती है या प्रस्तावित कानून के तहत नियमित भर्तियों के सभी लाभ से वंचित पांच साल तक संविदा पर रखने वाली भर्तियों के खिलाफ अधिकारों को लेकर कोई प्रतिरोध किया जाता है तो उसे कुचलने के लिए यूपी एसएसएफ का प्रयोग किए जाने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।  

रिहाई मंच ने बयान जारी कर कहा, ऐसे समय में जब सरकार की नीतियों और कोरोना महामारी के कारण सबसे अधिक मार मजदूर और गरीब जनता को झेलनी पड़ रही है उस पर मरहम रखने के लिए जन कल्याण की कोई योजना तैयार करने में ऊर्जा खर्च करने के बजाए सरकार द्वारा दमनकारी शक्तियों के साथ विशेष फोर्स गठन किया जाना दुर्भग्यपूर्ण है।

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