आंदोलन से पीछे हटने की न्यूज को साक्षी मलिक ने बताया फेक, ट्वीटर पर उठी आज तक पर मुकदमा दर्ज करने की मांग

हमारे मेडलों को 15-15 रुपए के बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गये हैं. हमारी ज़िंदगी दांव पर लगी हुई है, उसके आगे नौकरी तो बहुत छोटी चीज़ है. अगर नौकरी इंसाफ़ के रास्ते में बाधा बनती दिखी तो उसको त्यागने में हम दस सेकेंड का वक्त भी नहीं लगाएँगे. नौकरी का डर मत दिखाइए...

Update: 2023-06-05 12:44 GMT

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आज 5 जून को सोशल मीडिया और मीडिया के एक धड़े ने सुबह से लंबे समय से भाजपाई सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कमर कसकर आंदोलन में खड़ी रहीं साक्षी मलिक के आंदोलन से हटने की खबरें वायरल थीं। समाचार चैनल आज तक ने इस खबर को बढ़—चढ़कर ​ब्रेकिंग के तौर पर दिखाया था, जिसका साक्षा ने कड़ा विरोध किया है।

आज तक की खबर का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए साक्षी लिखती हैं, 'ये खबर बिलकुल ग़लत है। इंसाफ़ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी ज़िम्मेदारी को साथ निभा रही हूँ। इंसाफ़ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई ग़लत खबर ना चलाई जाए।'

गौरतलब है कि 2021 टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण को लेकर चल रहे आंदोलन के स्टार हैं। खबरों के मुताबिक यह तीनों रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गये,जिसके बाद यह खबर फैलनी शुरू हो गयी कि इन तीनों ने आंदोलन से पैर पीछे कर लिये हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि साक्षी समेत बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में सबसे पहले साक्षी का नाम आया तो उन्होंने ट्वीट करके विरोध जताया कि यह खबर गलत इसके बाद साक्षी ने ट्वीट कर खबरों का खंडन किया। साक्षी ने कहा कि इंसाफ की लड़ाई जारी रहेगी, बस वह अपनी जिम्मेदारी यानी काम पर वापस लौट गई हैं। पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।

साक्षी के बाद बजरंग पुनिया ने भी ट्वीट कर उनके आंदोलन से पीछे हटने की खबरों को गलत और निराधार बताया है। बजरंग ने ट्वीट किया है, 'आंदोलन वापस लेने की खबरें कोरी अफवाह हैं। ये खबरें हमें नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाई जा रही हैं। हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवानों की एफआईआर उठाने की खबर भी झूठी है। इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।

बजरंग पुनिया एक अन्य ट्वीट में लिखते हैं, 'हमारे मेडलों को 15-15 रुपए के बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गये हैं. हमारी ज़िंदगी दांव पर लगी हुई है, उसके आगे नौकरी तो बहुत छोटी चीज़ है. अगर नौकरी इंसाफ़ के रास्ते में बाधा बनती दिखी तो उसको त्यागने में हम दस सेकेंड का वक्त भी नहीं लगाएँगे. नौकरी का डर मत दिखाइए.'

हालांकि पहलवानों के ट्वीट से यह साफ है कि साक्षी, बजरंग और विनेश रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौटे हैं, मगर उन्होंने आंदोलन से पीछे हटने का फैसला नहीं किया है।

साक्षी के इस ट्वीट पर जनता ने तरह तरह की टिप्पणियां की हैं। अश्विनी सोनी मांग करते हैं, 'साक्षी तो फिर आजतक पर झूठी खबर चलाने का केस भी कर दो।'

सैयद नासिर हुसैन ने ट्वीट​ किया है, "इंसाफ की लड़ाई में ना हममें से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा" यह सब झूठ है। लेकिन कुछ तो हुआ है? याद रखना,अगर जनसमर्थन को धोखा दिया तो आगे कोई विश्वास नहीं करेगा आप लोग पे।

अफसर खान ने ट्वीट किया है, 'अगर आपने ये आंदोलन छोड़ दिया बिना न्याय मिले, तो भविष्य में कोई आवाज़ नहीं उठाएगा। लोगों के साथ ग़लत होता जाएगा। प्लीज लड़ाई पूरा लड़ना। इंसाफ़ के लिए आप लड़ रही हो, देश आपके साथ है। नहीं तो ये बीजेपी वाले और अति कर देंगे।

मुहम्मद असीम अली ने ट्वीट किया है, 'आज तक चैनल की बदमाशी देखलो देशवासियो किस तरह बिना किसी आधार के फेक न्यूज़ से लोगो को विचिलित कर रहा है। इससे पता चलता है देश का मीडिया मोदी के पास बिक चुका है। आवाज दो हम एक हैं। यह लड़ाई जारी रहेगी जब तक बेटियों को इंसाफ नहीं मिल जाता।'

भाजपाई सांसद और डब्ल्यूएफआई चीफ बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगने पर पहलवान बजरंग, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने अन्य खिलाड़ियों के साथ इस साल 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहली बार धरना दिया था। धरने के दौरान इस मामले में खेल मंत्रालय द्वारा उचित कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन समाप्त किया गया था। मगर कई महीने तक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर पहलवान 23 अप्रैल को दोबारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गये। इस बीच बृजभूषण शरण सिंह ने बयान दिया ​कि अगर यौन उत्पीड़न के आरोप सही साबित होते हैं तो वह आत्महत्या कर लेंगे, मगर पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज होने और खिलाड़ियों के आंदोलन के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।

इस बीच यह जरूर हुआ कि दिल्ली पुलिस भी खिलाड़ियों पर आक्रामक हुयी। 28 मई को पहलवानों के नए संसद भवन की तरफ कूच करने पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इस दौरान भी कई आरोप—प्रत्यारोप लगे और जंतर-मंतर पर धरने-प्रदर्शन को भी बंद करा दिया गया था और उनके टेंट हटा दिए गए थे।

विरोधस्वरूप 30 मई को पहलवान हरिद्वार अपने ओलंपिक समेत कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते हुए पदकों को गंगा में बहाने के लिए गये, मगर किसान नेता नरेश टिकैत की मांग पर पहलवानों ने गंगा में पदक बहाने के फैसले को टाल दिया दिया था। 

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