India China Border News: पूर्वी लद्दाख के बाद अब उत्तराखंड में चीन के 100 सैनिकों ने की घुसपैठ, पुल तोड़कर भागे
India China Border News: तीन वर्ष पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी में हुई चीनी सेना की घुसपैठ और घुसपैठ के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चर्चित बयान "न कोई आया था, न कोई घुसपैठ हुई है" कि बाद एक बार फिर चीन की तरफ से भारतीय सीमा में घुसपैठ की खबर सामने आ रही है।
India China Border News: तीन वर्ष पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी में हुई चीनी सेना की घुसपैठ और घुसपैठ के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चर्चित बयान "न कोई आया था, न कोई घुसपैठ हुई है" कि बाद एक बार फिर चीन की तरफ से भारतीय सीमा में घुसपैठ की खबर सामने आ रही है। हालांकि चीन की पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) की यह ताज़ा घुसपैठ एक महीना पहले की बताई जा रही है, लेकिन इसको लेकर मीडिया के एक बड़े हिस्से में शान्ति बनी हुई है।
दरअसल देश में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के सांस्कृतिक ढांचे में आई तब्दीली के परिणामस्वरूप "सरकार" हर प्रकार के सवालों से परे हो चली है। घरेलू मोर्चे पर महंगाई से लेकर विदेश नीति तक के मोर्चे पर विपक्ष के मुंह में जबरन माइक ठूंस-ठूंसकर उससे सवाल पूछने की जो संस्कृति प्रकट हुई है, उसके चलते सरकार पर सवाल उठाती हर खबर से अधिकांश मीडिया खुद ही बचने की कोशिश करता है। सरकार के लिए मुश्किल सवाल खड़े करती ऐसी खबरों से कौन कब अर्बन नक्सल बन जाये या किसको कब पाकिस्तान जाने को बोल दिया जाए, कहा नहीं जा सकता। इसलिए जब तक समस्या पराकाष्ठा के स्तर पर न पहुंच जाए तब तक सब "फीलगुड" करते रहो वाली स्थिति में चीन की ओर से भारत में हुई घुसपैठ की यह ताजा घटना भले ही मीडिया में सुर्खियों में न हो, लेकिन चिंताजनक कम नहीं है।
उत्तराखण्ड के चमोली जिले के रास्ते चीन की पीएलए घुड़सवार दस्ते के इन सैनिकों की भारत में घुसपैठ एक महीना पहले 30 अगस्त को हुई बताई जा रही है। जब पीएलए के 100 सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर पिछले माह उत्तराखंड के बाराहोती सैक्टर में घुस आए थे। चीनी सैनिक कुछ घंटे बाद वापस लौट गए, बाद में जवाबी रणनीति के तहत भारतीय सैनिकों ने क्षेत्र में गश्त की।
सुरक्षा सूत्रों ने अग्रेंजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के हवाले से बताया कि 100 से ज्यादा चीनी सैनिक तुन-जुन-ला पास पार कर 55 घोड़े के साथ भारतीय इलाके में 5 किमी से ज्यादा बाराहोती के करीब चारागाह पर आ गए थे। चीनी सैनिकों का यह ग्रुप करीब तीन घंटे तक रहा। इस इलाके में चीनी सैनिकों ने सिगरेट पीते हुए चहलकदमी की। तीन घण्टे तक घूमने-फिरने के बाद चीनी सामानों के रैपर को मौके पर फेंकते हुए वापस चले गए। पीएलए के सैनिकों ने इस इलाके में एक पुल को भी नष्ट कर दिया है। लेकिन इस पल को उन्होंने आने के दौरान नष्ट किया या जाने के दौरान, इसका कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं हो सका है।
स्थानीय लोगों द्वारा घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद भारतीय सेना और बीएसएफ की टीम मौके पर इलाके पर पहुंचे। लेकिन भारतीय सेना के इस इलाके में पहुंचने से पहले ही चीनी सैनिक वहां से चले गए थे। चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा में आने को लेकर सेना ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बताते चलें कि यह घटना ऐसे समय में सामने आयी है जब पूर्वी लद्दाख के कई बिंदुओं पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है। हालांकि भारतीय अधिकारियों को 30 अगस्त की घटना के दिन सीमा पार आने वाले चीनी सैनिकों की संख्या को लेकर आश्चर्य ज़रूर हुआ है। इतने बड़े दस्ते के साथ सामान्य परिस्थिति में पीएलए की चहलकदमी कम ही देखने को मिलती है।
उत्तराखंड के इस इलाके पर चीनी सैनिकों की यह ताज़ा घुसपैठ एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारतीय इलाके पर घुसपैठ करने की कोशिश की है, इससे पहले भी बाराहोती इलाके में चीन की ओर से घुसपैठ किया गया है। तीन साल पहले 2018 में चीनी सैनिकों द्वारा 3 बार भारतीय इलाकों पर घुसपैठ करने की असफल कोशिश की गई थी। उसी समय गलवान घाटी की पूरे देश को चिंता में डाल देने वाली वह चर्चित घुसपैठ भी हुई थी, जिसके बाद "न कोई हमारी सीमा में घुसा, न कोई घुसपैठ हुई" जैसी प्रसिद्ध उक्ति वजूद में आई थी।
बहरहाल, ताज़ा घुसपैठ प्रकरण के फौरी प्रभाव भले ही सामने न दिख रहे हों। लेकिन हर क्षेत्र में चीन की दीर्घकालीन रणनीति के तहत होने वाली हलचलों चाहे वह उसके घरेलू मोर्चों पर हों या फिर विदेशी मोर्चों पर, नज़र दौड़ाई जाए तो इस क्षेत्र में खतरे के बीज बो दिए गए हैं। इसकी तत्काल सफाई न केवल पहली ज़रूरत है बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अहम भी। "न कोई आया, न कोई घुसपैठ हुई" सुनने में मधुर भले ही लगे, लेकिन सच्चाई पर निर्ममता से नज़र होनी चाहिए।
रिपोर्ट: सलीम मलिक