150 CISF जवानों ने सम्हाली RSS मुख्यालय की सुरक्षा, मोहन भागवत को मिली Z प्लस सिक्योरिटी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरएसएस ( RSS ) मुख्यालय और मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) पर खतरे की आशंका के कारण जेड प्लस ( Z plus ) सुरक्षा देने का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली। हमले की आंशका को देखते हुए एक सितंबर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) के मुख्यालय की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ( CISF ) को सौंपी गई थी। इसके अलावा, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) को भी जेड प्लस सुरक्षा ( Z plus security ) दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरएसएस मुख्यालय ( RSS headquarter ) और मोहन भागवत पर खतरे की आशंका ( security threat ) के कारण जेड प्लस सुरक्षा देने का निर्णय लिया है।
ताजा खबर यह है कि 7 सितंबर की शाम से 150 सीआईएसएफ ने जवानों ने नागपुर ( Nagpur ) स्थित आरएसएस मुख्यालय ( RSS Headquarter Security ) के सुरक्षा की कमांड पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली है। लगभग 15 वर्षों से राज्य रिजर्व पुलिस बल ( SRPF ) एसआरपीएफ और नागपुर पुलिस ( Nagpur Police ) संघ मुख्यालय को सुरक्षा मुहैया करा रही थी। सीआईएसएफ ( CISF ) की टीम का नेतृत्व उपायुक्त रैंक के अधिकारी करेंगे। सुरक्षाकर्मियों को फिलहाल मुख्यालय के पास एक स्कूल में ठहरने की व्यवस्था है।
मई 2022 में जैश का आतंकी हुआ था गिरफ्तार
बता दें कि जून 2006 को लश्कर ए तैयबा ( Lashkar-e-Taiba ) के तीन आतंकियों को पुलिस ने तब मार गिराया था, जब उन्होंने आरएसएस मुख्यालय ( RSS headquarter ) में प्रवेश की कोशिश की थी। इसी साल मई माह में पुलिस ने आरएसएस मुख्यालय की रेकी के मामले में कश्मीर से जैश ए मोहम्मद ( Jaish e mohammad ) के आतंकी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आतंकी ने आरएसएस मुख्यालाय की रेकी कर उसका वीडियो तैयार किया था। इसके बाद उसे पाकिस्तान में बैठे अपने एक हैंडलर को भेज दिया था। आतंकी ने इसके अलावा डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर की भी रेकी की थी। पुलिस की पूछताछ में उसने नागपुर में रेकी की बात स्वीकार की थी। इसके बाद उस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधीनियम के तहत विभन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
ये है आरएसएस का इतिहास
आरएसएस ( RSS ) की स्थापना विजयादशमी के दिन यानि 27 सितम्बर 1925 को नागपुर में हुई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार थे। संघ शुरू करने का केवल एक ही मकसद था कि ब्रिटिश भारत में हिंदुओं को संगठित करना। आज इस संगठन की अपनी अलग पहचान है। हिंदू राष्ट्र की स्थापना इसका मुख्य ध्येय है।