देश के 57 पूर्व नौकरशाहों ने केजरीवाल के खिलाफ खोला मोर्चा, इससे खतरे में पड़ सकती है AAP की मान्यता
रिटायर्ड नौकरशाहों ( Former Bureaucrats ) ने चुनाव आयोग ( Election commission ) से अपील की है कि वो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 6ए, 123 और चुनाव चिह्न आरक्षण और आवंटन, आदेश 1968 के 16ए के तहत आम आदमी पार्टी ( AAP ) की मान्यता रदृद करे।
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ( AAP ) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Arvind kejriwal ) हमेशा अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। अपने बयानों की वजह से वो कई बार विवादों में आ चुके हैं। कुछ मौके तो ऐसे आये जब उन्हें अपने बयानों को लेकर अफसोस भी जाहिर करना पड़ा। इन दिनों वो गुजरात ( Gujrat )विधानसभा के चुनावी समर व्यस्त हैं। गुजरात में अरविंद केजरीवाल ने एक ऐसा बयान दिया जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी ( AAP ) की मान्यता और चुनाव चिन्ह रद्द हो सकता है। ऐसा इसलिए कि आप के राष्ट्रीय संयोजक की इस अपील के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए पूर्व नौकरशाहों ( Former bureaucrats India ) ने आप की मान्यता और चिन्ह रद्द करने की मांग चुनाव आयोग से की है।
केजरीवाल ने नौकरशाहों से की थी इस बात की अपील
आम आदमी पार्टी ( ( Arvind kejriwal ) ) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ( Arvind kejriwal ) गुजरात ( Gujrat ) राज्य के सिविल सर्वेंट्स ( Public servant Gujrat ) को आप का सहयोग देने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं। वह खुलेआम पुलिस के अधिकारियों, होमगार्ड्स, आंगनबाड़ी, बस कंडक्टर्स वगैरह को पार्टी की मदद के लिए अपील कर रहे हैं।
हालांंकि, चुनाव चिन्ह रद्द होगा या नहीं, यह तो चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर है, लेकिन देश के 56 पूर्व नौकरशाहों ने ईसी को एक पत्र लिखकर आप की मान्यता आर चिन्ह रद्द करने की मांग की है। यानि गुजरात के नौकरशाहों से साथ देने की अपील करने का दांव केजरीवाल के लिए उल्टा पड़ गया है। देश के 57 आईएएस और आईपीएस ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 6ए, 123 और चुनाव चिह्न आरक्षण और आवंटन, आदेश 1968 के 16ए के तहत आम आदमी पार्टी की मान्यता रदृद करे। पत्र में आरोप लगाया गया है कि आप ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है। वह लगातार चुनाव को प्रभावित करने के साथ गलत प्रैक्टिस को बढ़ावा दे रहे हैं।
गुजरात के नौकरशाहों को लालच दे रहे हैं केजरीवाल
कर्नाटक के पूर्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एम मदन गोपाल के नेतृत्व में पत्र लिखने वाले पूर्व आईएएस अधिकारियों ने कहा है कि हम लोगों का मानना है कि गुजरात में कार्यरत सरकारी अधिकारी या कर्मचारी किसी भी दल से जुड़ नहीं सकते हैं। न ही वह अपनी राजनीतिक मंशा सरेआम जाहिर कर सकते हैं। इसके बावजूद गुजरात में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल सरकारी नौकरीपेशा लोगों को लगातार राजनीतिक भागीदारी के लिए उकसा रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों से आम आदमी पार्टी से जुड़कर वोटिंग कराने व प्रचार करने की बात कह रहे हैं। 3 सितंबर को गुजरात के राजकोट में उन्होंने ऐसे ही विवादित बयान दिए थे जिसका हम सब कड़ाई से अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं।
सरकारी कर्मचारियों कर रहे हैं गलत काम करने की अपील
पूर्व नौकरशाहों ( Former Bureaucrats India ) की शिकायत है कि अरविंद केजरीवाल गुजरात में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक पक्ष बनाने में लगे हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने बूथ वर्कर्स से कहा कि बूथ लेवल पर जाकर लोगों से आप के लिए वोट करने की अपील की हैं। बस कंडक्टर्स से कहा कि बस में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स को आम आदमी पार्टी को वोट करने के लिए झाड़ू पर बटन दबाने के लिए कहें। पुलिस वालों व होमगार्ड्स को भी पार्टी के लिए सहयोग की अपील करते हुए कहा कि पुलिसवाले राज्य सरकार के आदेशों को न मानें, दो महीने बाद उनकी सरकार बनने वाली है।
चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन
रिटायर्ड नौकरशाहों ने चुनाव आयोग से अपील किया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के चुनाव चिह्न आरक्षण और आवंटन, आदेश 1968 के 16 ए के तहत आम आदमी पार्टी की मान्यता वापस लेना चाहिए। पत्र में आरोप लगाया गया है कि आप ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है। वह लगातार चुनाव को प्रभावित करने के साथ गलत प्रैक्टिस को बढ़ावा दे रहे हैं।
पत्र पर इन नौकरशाहों के हैं हस्ताक्षर
केरल के पूर्व चीफ सेक्रेटरी आनंद बोस, पूर्व आईएएस आरडी कपूर, पूर्व आईएएस अभिक घोष, पूर्व आईएएस सीएस खैरवाल, पूर्व आईआरएस एसके गोयल, पूर्व आईएएस सौरभ चंद्र, पूर्व आईएएस के श्रीधर राव, पूर्व आईएफएस निरंजन देसाई, पूर्व आईएफएस सतीश मेहता, पूर्व आईएफएस भसवती मुखर्जी, विद्यासागर, बाला शेट्टी, पूर्व आइपीएस उमेश कुमार, एम मोहन राज, निर्मल कौर, महेश सिंघला, शीला प्रिया, जी प्रसन्ना कुमार, संजय दीक्षित, पीबी राममूर्ति सहित 57 पूर्व अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं।