69 पूर्व नौकरशाहों ने 'सेंट्रल विस्ता परियोजना' पर जताई आपत्ति, पीएम मोदी को लिखा खुला खत
सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने सवाल किया है कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं की जगह बेकार और अनावश्यक परियोजना को प्रमुखता क्यों दी जा रही है?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि सेंट्रल विस्ता पुनर्विकास परियोजना तब तक कोई काम नहीं होगा जब तक आदेश नहीं जारी किया जाता। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास कर दिया। वहीं इस बीच 69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस परियोजना को लेकर खुला खत लिखकर चिंता जाहिर की है।
कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले पूर्व नौकरशाहों ने आरोप लगाया कि इस परियोजना को लेकर सरकार का रवैया शुरुआत से ही गैर जिम्मेदाराना रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि लोक स्वास्थ्य ढांचा निवेश का इंतजार कर रहा है। इन सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने सवाल किया है कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं की जगह बेकार और अनावश्यक परियोजना को प्रमुखता क्यों दी जा रही है?
इस खुले खत में पूर्व आईएएस अधिकारी जवाहर सरकार, जावेद उस्मानी, एन.सी. सक्सेना, अरूणा रॉय, हर्ष मंदर, राहुल खुल्लर और आईपीएस अधिकारी ए.एस.दुलत, अमिताभ माथुर और जुलियों रिबेरों ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन के लिए कोई खास वजह नहीं होने के बावजूद यह बेहद चिंता की बात है कि जब देश में अर्थव्यवस्था गिरावट का सामना कर रही है, जिसने लाखों लोगों की बदहाली को सामने ला दिया है, सरकार ने धूमधाम से इस पर निवेश करने का विकल्प चुना है।
राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद के नए परिसर, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए सरकारी इमारतों, उपराष्ट्रपति के लिए नए इनक्लेव, प्रधानमंत्री के कार्यालय और आवास समेत अन्य निर्माण किए जाने हैं। परियोजना का काम कर रहे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने अनुमानित लागत को 11,794 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 13,450 करोड़ रुपये कर दिया है।
सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने पत्र में आरोप लगाया गया है कि हम अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए आपको यह पत्र आज इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि सरकार और इसके प्रमुख के तौर पर आपने केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना के मामले में कानून के शासन का अनादर किया। शुरुआत से ही इस परियोजना में गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया गया, जो शायद ही इससे पहले कभी दिखा हो।
पत्र में आरोप लगाया कि खासकर चिंता की बात है कि जिस तरीके से योजना के लिए पर्यावरण मंजूरी हासिल की गई, उसमें सेंट्रल विस्टा के हरित स्थानों और विरासत भवनों को महात्वाकांक्षा से प्रेरित लक्ष्यों की उपलब्धि में अनावश्यक अड़चन माना गया है।
पूर्व नौकरशाहों ने हैरानी जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं, विधायिका के नहीं। उस भवन में जिसमें संसद के दोनों सदन होंगे, नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति को इसकी आधारशिला रखनी चाहिए थी।
पीएम मोदी ने 10 दिसंबर को संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था। पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने मामला अदालत में होने के बावजूद संसद के नए भवन के निर्माण की दिशा में 'अनुचित तरीके' से आगे बढ़ने के आरोप लगाए हैं।