पत्रकार की हत्या को हादसा बताने वाले ABP न्यूज को जवाब देना चाहिए की हादसे में हत्या की रिपोर्ट आखिर कैसे दर्ज हुई?

जिस एबीपी न्यूज के लिए पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव काम कर रहे थे, उस चैनल ने भी इसे हादसा बताया था। यह बेहद चौंकाने वाली बात है। बताया जा रहा है कि पत्रकार लगातार शराब माफियाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग कर रहे थे। जाहिर सी बात है कि यह रिपोर्टें एबीपी में ही चल रही होंगी...

Update: 2021-06-15 04:20 GMT

पुलिस से पहले एबीपी न्यूज ने ही अपने पत्रकार की मौत को हादसा बता दिया था.

जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एबीपी न्यूज के पत्रकार की हुई हत्या में पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। इससे पहले पुलिस ने मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया था। बाद में जब कुछ मीडिया संस्थानो में खबर चली तो दबाव बना फिर मुकदमा लिखना पड़ा। 

इस बीच एक बात और, वह यह कि जिस एबीपी न्यूज के लिए पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव काम कर रहे थे, उस चैनल ने भी इसे हादसा बताया था। यह बेहद चौंकाने वाली बात है। बताया जा रहा है कि पत्रकार लगातार शराब माफियाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग कर रहे थे। जाहिर सी बात है कि यह रिपोर्टें एबीपी में ही चल रही होंगी। लेकिन चैनल ने सीधा मुँह उठाया और हत्या को हादसा बता दिया।


एबीपी चैनल जिसमें पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव काम कर रहे थे, के दो स्क्रीनशॉट हैं इन्हें देखिए कि क्या लिखा है। ये आलम तब है जब हर तरफ से शराब माफिया द्वारा पत्रकार की हत्या किए जाने की आवाजें उठ रहीं है, तब चैनल का यह रवैया है। और तो खुद पत्रकार सुलभ ने हत्या से एक दिन पहले ही एडीजी जोन को पत्र लिखकर हत्या किए जाने का अंदेशा जताया था, क्या चैनल को इस बात की जानकारी नहीं थी, या ली नहीं।

एबीपी न्यूज के एस रवैये पर विकास एस हूड लिखते हैं कि 'जो चैनल अपने पत्रकार की हत्या को दुर्घटना बता दे उन चैनलो से आप अपेक्षा करते हैं कि वो आपके मुद्दों पर आवाज़ उठाएँगे? वैसे सुलभ श्रीवास्तव के मामले में हत्या का मुक़दमा दर्ज हो चुका है। अब ABP न्यूज़ को बताना चाहिए कि सड़क दुर्घटना के मामले में हत्या का मुक़दमा कैसे दर्ज हो गया। डूब मरो दलालों।'


चैनल को इस बात का जवाब देना बनता है कि उसने जब सुलभ की मौत बाईक फिसलने, सिर में गंभीर चोंट आने से मौत बताकर पल्ला झाड़ लिया था, उस मामले में पुलिस ने हत्या की धारा 302 व 506 में आखिर मुकदमा कैसे दर्ज कर लिया। इसमें या तो पुलिस झूठ बोल रही है या फिर चैनल अपने पत्रकार की मौत के बाद जिम्मेदारी से हाथ खींचना चाहता है।

जनज्वार ने पत्रकार की हत्या पर लगातार खबर का फॉलोअप किया है। जिसमें पुलिस से पहले एबीपी न्यूज पर सवाल खड़े हुए हैं। पत्रकार सुलभ की पत्नी रेणुका ने भी एबीपी न्यूज के रवैये पर आपत्ति जताई है। पत्नी की तहरीर पर अज्ञात शराब माफियाओं पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। लेकिन पत्रकार की हत्या के बाद एबीपी न्यूज जैसे तमाम चैनलों की नैतिकता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। 


लखनऊ के कटरा में रहने वाले पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के परिवार में पत्नी सहित दो बच्चे भी हैं। परिवार गरीब है और उनकी माली हालत ठीक नहीं है। एबीपी न्यूज में अगर जरा सी भी नैतिकता और इंसानियत नाम की चीज जिंदा है तो परिवार की आर्थिक मदद के साथ ही शराब माफियाओं से लोहा लेना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसा स्टंट उनके पत्रकारों ने हाथरस में किया था।

इस धटना में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बयान जारी करते हुए कहा कि ' वह प्रतापगढ़ में टीवी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की रहस्यमयी मौत मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के अमानवीय तरीके से स्तब्ध है। गिल्ड ने आगे लिखा कि सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और कार्टूनिस्टों को भी सोशल मीडिया पर निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि सरकार द्वारा इन प्लेटफार्मों पर ऐसे आलोचनात्मक पत्रकारों को हटाने के लिए दबाव डाला जा रहा है कि वे देश के कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। यह सब उन प्रतिबद्धताओं के विपरीत है जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जी -7 शिखर सम्मेलन में लोकतंत्र, खुलेपन और सत्तावाद के खिलाफ की थी।'

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