Adani Port और JNPT विवाद केस सुप्रीम कोर्ट ने किया बंद, नवी मुंबई में बंदरगाह के लिए बोली नहीं लगा सकेगा अडानी ग्रुप
Adani Group News : अडानी पोर्ट और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) के बीच विवाद के केस को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने की अनुमति दी है, क्योंकि अडानी ग्रुप की इस कंपनी ने दायर याचिका को वापस लेने की सहमति जताई है...
Adani Group News : अडानी पोर्ट और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) के बीच विवाद के केस को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने की अनुमति दी है, क्योंकि अडानी ग्रुप की इस कंपनी ने दायर याचिका को वापस लेने की सहमति जताई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों तरफ से हुए समझौते के बाद इस केस को बंद करने का फैसला किया है। अडानी ग्रुप के इस फैसले के बाद अडानी पोर्ट कंपनी नवी मुंबई में बंदरगाह के लिए बोली नहीं लगा सकेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अडानी की कंपनी के लिए राहत भरी बात भी कही है।
अडानी पोर्ट्स का बंदरगाह की बोली प्रक्रिया में कोई दावा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अडानी पोर्ट्स का नवी मुंबई में बंदरगाह के लिए बोली प्रक्रिया में कोई दावा नहीं होगा। साथ ही अदालत ने यह भी रिकॉर्ड में लिया कि विशाखापत्तनम बंदरगाह के लिए अपनी बोली में अडानी की अयोग्यता को 'भविष्य के टेंडर के लिए अयोग्यता की वजह के रूप में नहीं माना जाएगा।' बता दें कि यह अडानी पोर्ट्स के लिए राहत हो सकता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
आपको जानकारी के लिए बता दें कि नवी मुंबई के लिए जवाहर लाल नेहरू पोर्ट (JNPT) से विवाद के बाद अडानी ग्रुप ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद अब अडानी ग्रुप ने अपनी याचिका वापस लेने की सहमति जाहिर की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार याचिका के वापस लेने के बाद अब अडानी ग्रुप बोली प्रक्रिया में दावा नहीं कर सकता है।
जानिए क्या है अडानी पोर्ट और JNPT विवाद
बता दें कि JNPT ने बंदरगाह के संचालन और रखरखाव के लिए अडानी पोर्ट्स की बोली को अयोग्य घोषित कर दिया था। हालांकि अडानी पोर्ट्स ने इसे बोली में भाग लेने की अनुमति देने के लिए दबाव नहीं डाला, लेकिन इसने इसकी अयोग्यता को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने पोर्ट अथॉरिटी के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद अडानी पोर्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अडानी पोर्ट्स के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि कंपनी को अयोग्य ठहराने के जेएनपीए के फैसले का उसकी अन्य बोलियों पर असर पड़ा है। साथ ही उन्होंने कहा कि अयोग्यता घोषित करने पर रोक लगाई जानी चाहिए।