ADR Report 2019-20 : बीजेपी को अज्ञात सोर्स मिलने वाले चंदे में 71 % का इजाफा, 785 करोड़ के दानदाताओं का अता-पता नहीं

ADR Report 2019-20 : एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को लेकर पारदर्शिता बनाने के लिए सरकार की तरफ से 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत हुई थी। उम्मीद की जा रही थी कि इससे सियासी फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा।

Update: 2021-11-12 05:51 GMT

ADR Report 2019-20 : नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी को साल 2019-20 में व्यक्तिगत और कंपनियों की तरफ से दान सहित इलेक्टोरल ट्रस्ट से कुल 785 करोड़ रुपए का चंदा मिला। बीजेपी को लगातार सातवें साल सबसे ज्यादा सियासी चंदा मिला है। बीजेपी को चंदा किसने दिया, इस बात का अता-पता नहीं है। बीजेपी को मिला चंदा मुख्य विपक्षी कांग्रेस को मिले कुल राशि से करीब पांच गुना ज्यादा है। कांग्रेस को 139 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। क्षेत्रीय दलों में दक्षिण भारतीय पार्टियों को अज्ञात स्रोतों से सबसे ज्यादा चंदा मिला है।

वहीं राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( एडीआर ) की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों को जो चंदा मिला, उनमें 55 फीसदी से अधिक का स्त्रोत 'अज्ञात' है। अज्ञात स्रोतों से लगभग 95 फीसदी चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का योगदान था। अधिकांश इलेक्टोरल बॉन्ड में भी लोग अपनी पहचान नहीं बताते।

बीजेपी चंदे में सबसे अधिक योगदान इलेक्टोरल ट्रस्ट, उद्योगों और पार्टी के अपने नेताओं ने किया है। बीजेपी को सबसे अधिक चंदा देने वाले नेताओं में पीयूष गोयल, पेमा खांडू, किरण खेर और रमन सिंह शामिल हैं। इसके अलावा आईटीसी, कल्याण ज्वेलर्स, रेयर इंटरप्राइजेस, अंबुजा सीमेंट, लोढा डिवेलपर्स और मोतीलाल ओसवाल कुछ प्रमुख उद्योग समूह हैं जिन्होंने बीजेपी को ज्यादा चंदा दिया। न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट, जलकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट, ट्रिम्फ इलेक्टोरल ने भी बीजेपी के फंड में योगदान दिया।

वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो उसे इसी अविध में कुल 139 करोड़ का चंदा मिला। तृणमूल कांग्रेस को 8 करोड़ रुपए, सीपीआई को 1.3 करोड़ रुपए और सीपीएम को 19.7 करोड़ रुपए का चंदा मिला।

25 क्षेत्रीय दलों को मिला 803 करोड़ चंदा

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को लेकर जारी ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019-20 में क्षेत्रीय दलों को जो चंदा मिला उनमें 55 फीसदी से अधिक का स्त्रोत 'अज्ञात' है। अज्ञात स्रोतों से लगभग 95 फीसदी चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का योगदान था। 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को कुल 803.24 करोड़ रुपए चंदा मिला था। जबकि 445.7 करोड़ रुपये मिलने के सोर्स की कोई जानकारी नहीं है। अज्ञात स्रोतों से मिले चंदे में से 426.233 करोड़ रुपए यानि 95.616% चुनावी बांड से और 4.976 करोड़ रुपए स्वैच्छिक योगदान से मिले। राष्ट्रीय दलों को "अज्ञात" सोर्स से मिले चंदे की वजह से उनकी आय का 70.98% तक का इजाफा हुआ है।

अज्ञात स्रोत से दक्षिण भरतीय क्षेत्रीय पार्टियां सबसे आगे

अज्ञात स्रोतों से सबसे अधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों की सूची में दक्षिण भारत की पार्टियां जिसमें टीआरएस, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, डीएमके और जद (एस) सबसे ऊपर हैं। इस सूची में ओडिशा की सत्तारूढ़ बीजेडी भी शामिल है। टीआरएस को 89.158 करोड़ रुपए, टीडीपी को 81.694 करोड़ रुपए, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 74.75 करोड़ रुपए, बीजेडी को 50.586 करोड़ रुपए और डीएमके 45.50 करोड़ रुपए का अज्ञात सोर्स दान घोषित किया गया है।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दलों की आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा देने वाले मूल दाता को ट्रैक नहीं किया जा सकता। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों को दान देने वालों का पूरा विवरण आरटीआई के तहत सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

टीएमसी ने बंगाल चुनाव में बीजेपी से ज्यादा पैसा खर्चे

टीएमसी द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए विवरण के मुताबिक पार्टी ने इस साल असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में हुए चुनावों में 252 करोड़ रुपए खर्च किए। इनमें से 151.18 करोड़ रुपए पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार के लिए खर्च किए गए। टीएमसी की तरफ से कहा गया कि उसकी तरफ से पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में 154.28 करोड़ रुपए खर्च किए। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में अधिक पारदर्शिता रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना शुरू की गई थी। इसमें हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपए के बॉन्ड की श्रेणी तय किए गए हैं। लेकिन अहम बात यह है कि चंदा देने वाले लोग अपनी पहचान का खुलासा नहीं करते हैं।

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