गलती का अहसास होने के बाद अखिल भारतीय सेवा में लौटे IAS शाह फैसल, कहा - 'राजनेताओं के लिए शर्तें तय नहीं कर सकते नौकरशाह'
पिछले 3 साल में उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि उन्होंने 2019 में जो फैसला लिया वो गलत था। इस बात को स्वीकार किया कि अति आदर्शवाद ने मुझे निराश किया।
नई दिल्ली। नौकरशाह से राजनेता बने आईएएस शाह फैसल खुद का फैसला गलत साबित होने के 3 साल बाद फिर से अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में लौट आये हैं। साल 2019 में फैसल ने जम्मू-कश्मीर में 'नई तरह की राजनीति' शुरू करने के मकसद से आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया था लेकिन अगस्त 2020 में नजरबंदी से रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति से तौबा कर लिया।
इस बीच शाह फैसल का इस्तीफा केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया। गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्हें सिविल सेवाओं में फिर से बहाल कर दिया गया है।
जनवरी, 2019 में आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देने के बाद कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने दावा किया कि उन्होंने यह निर्णय एक मकसद से लिया है। हालांकि, बाद में उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि उन्होंने ऐसा कर गलत किया। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ लोगों के उकसावे में आकर यह फैसला लिया जो गलत साबित हुआ।
जब उन्होंने इस्तीफा देकर राजनीति में उतरने का फैसला लिया तो कहा था कि मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति केंद्र सरकार को उसकी जिम्मेदारियों की याद दिलाने के लिए ऐसा कर रहा हूं।
इससे पहले आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने नौकरशाही में अपनी वापसी के संकेत देते हुए ट्वीट किया था कि एक कल्पना का पीछा करते हुए, मैंने लगभग वह सब कुछ खो दिया जो मैंने वर्षों में बनाया था। अपना काम, अपना मित्र, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक सद्भावना आदि। इसके बावजूद मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई। ये बात सही है कि मेरे आदर्शवाद ने मुझे निराश किया था।
शाह फैसल ने कहा कि मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं अपने द्वारा की गई गलतियों को पूर्ववत करूंगा। वह जीवन मुझे एक और मौका देगा। मेरा एक हिस्सा उन 8 महीनों की याद से थक गया है। मैं, अपनी पुरानी विरासत को मिटाना चाहता हूं। मेरा बहुत नुकसान हो चुका है। मेरा यह फैसला पुरानी यादों को मिटा देगा। मुझे विश्वास है... मैं फिर से शुरू करने के लिए वास्तव में उत्साहित हूं।
उन्होंने जेल में बिताये आठ महीनों का जिक्र करते हुए कहा कि वो इस्तीफे के बाद के महीने थे जो उन्होंने अपनी पार्टी, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट को लॉन्च करने के बाद बिताए थे। उस समय द इंडियन एक्सप्रेस से एक साक्षात्कार में फैसल ने कहा था कि नौकरशाही अपने ही स्थान पर संचालित होती है। नौकरशाही राजनेताओं के लिए शर्तें तय नहीं कर सकती। राजनेता लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने हुर्रियत को जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं का संरक्षक समझने की भूल की।
बता दें कि शाह फैसल उत्तरी कश्मीर के सोगम से हैं। 2010 में सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी बनने के बाद प्रमुखता से उभरे। वह एक प्रशिक्षित डॉक्टर भी रहे हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर कैडर आवंटित किया गया और शिक्षा और बिजली विकास विभागों सहित विभिन्न क्षमताओं में पूर्व राज्य की सेवा की।
मार्च 2019 में, जैसा कि उन्होंने पारंपरिक सलवार-कमीज़ और ब्लेज़र पहने अपनी पार्टी की शुरुआत की थी। फैसल ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के उदाहरण पर प्रकाश डाला और कहा कि इतिहास इस तथ्य का गवाह है कि जब भी कोई नया विचार या नई क्रांति होती है तो उसे पहले खारिज कर दिया जाता है। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी उस क्षेत्र को "नई राजनीति" प्रदान करेगी, जिसने 70 वर्षों तक "विश्वासघात" देखा था।