Agnipath Scheme : देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है अग्निपथ योजना, सेना को भी करेगी कमजोर
Agnipath Scheme : आनन्द महिन्द्रा जैसे लोग अग्निवीर योजना की तारीफों के यूं ही पुल नहीं बाध रहे, इसके पीछे उनके स्वार्थ छुपे हुए हैं। पहली बात कि महिन्द्रा जैसे लोगों के परिवार के युवा किसी भी शर्त पर अग्निवीर बनकर देश की सेवा नहीं करने वाले हैं, इस सेवा में जो भी युवा जाएंगे वे आम मजदूर किसान परिवारों के बेटे-बेटियां ही होंगे...
स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मुनीष कुमार की टिप्पणी
Agnipath Scheme: भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना में नौजवानों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की विगत 20 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार अब भरतीय सेना के तीनों अंगों (जल-थल-वायु) में सैनिकों, क्लर्क, तकनीशियनों व कारीगरों आदि के लिए सभी प्रकार नियुक्तियां अब इस अग्निपथ योजना के तहत ही की जाएंगी।
सरकार, सेना के अधिकारी व देश के पूंजीपति वर्ग के लोग इस अग्निपथ योजना को लाकर बेहद प्रफुल्लित हैं। वहीं दूसरी ओर वे नौजवान जो पिछले लंबे समय से सेना में जाने का सपना संजोकर दिनरात मेहनत कर रहे युवाओं को गहरा झटका लगा है।
इस अग्निवीर योजना के अंतर्गत 17 से 23 वर्ष के बीच के युवा सेना में जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। सेना के मानकों एवं परीक्षा पास करने के बाद इन युवाओं को 4 वर्ष के लिए ही सेना में नौकरी मिलेगी, जिसमें ट्रेनिंग का समय भी शामिल है।
अग्निवीर को क्या मिलेगा, क्या नहीं
इन युवाओं को पहले वर्ष 30,000 रुपये, दूसरे वर्ष 33000 रुपये, तीसरे वर्ष 36500 व चौथे वर्ष 40000 रुपये वेतन प्रतिमाह का भुगतान किया जाएगा। इस वेतन में से 30 प्रतिशत राशि (चार वर्षाें में कुल 502200 रु) काटकर सेवा निधि में जमा की जाएगी। इतनी ही राशि अग्निवीर की सेवा निधि में सरकार भी जमा करेगी। 4 वर्ष बाद अग्निवीर के सेवानिवृत होने पर उसे कुल 10,04,400 रुपये का भुगतान दिया जाएगा, जिसमें कुछ राशि ब्याज की भी जोड़ी जाएगी।
सरकार सेवा काल के 4 वर्षों के दौरान अग्निवीरों को 48 लाख रुपये का बीमा कवर देगी। सेवा के कारण मृत्यु होने पर 44 लाख रुपये का अग्निवीर को अतिरिक्त कवर मिलेगा। सेवा काल के दौरान 100 प्रतिशत विकलांगता होने पर 44 लाख रु., 75 प्रतिशत विकलांगता पर 25 लाख, व 50 प्रतिशत विकलांगता पर 15 लाख रुपये सेवाकाल के दौरा विकलांग हुए अग्निवीर को भुगतान किए जाएंगे। सेवानिवृत होने पर अग्निवीर को सेना में सेवा देने का एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा। अग्निवीर की भर्ती यदि हाईस्कूल पास करके हुयी है तो उसे उसके सेवाकाल का एक और प्रमाणपत्र दिया जाएगा जिसकी मान्यता इंटरमीडिएट के बराबर होगी।
अग्निवीर को पेंशन व ग्रेच्युटी देने का इस योजना में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है। 22-25 वर्ष की युवावस्था में ही रिटायर होने वाले इस अग्निवीर को सेवानिवृत होने के बाद सैनिकों को मिलने वाले एक्स सर्विसमैन हैल्थ स्कीम व कैंटीन स्टोर डिर्पाटमेंट लाभ से भी वंचित रखा गया है। मतलब साफ है कि न ही अग्निवीर को और ना ही उसके किसी परिवार के सदस्य का सरकार ईलाज कराएगी।
सेना में दिन-रात की नौकरी करने के बाद भी अग्निवीर को वर्ष भर में मात्र 30 दिन का अवकाश ही दिया जाएगा। चार साल की सेवा के बाद इन अग्निवीरों में से मात्र एक चौथाई अग्निवीर ही सेना की नियमित नौकरी में लिए जाएंगे। शेष तीन चौथाई अग्निवीरों को बाहर कर दिया जाएगा बिल्कुल वैसे ही जैसे दूध में से मक्खी निकालकर बाहर कर दी जाती है।
सेना कमजोर होगी
सरकार का कहना है कि सेना की औसत उम्र जो इस वक्त 32 वर्ष है, जिसे अग्निवीर योजना के माध्यम से घटाकर कम किया जाएगा। सरकार का ये तर्क बेहद हास्यास्पद है। इस वक्त भी देश की सेना में 25 वर्ष से कम युवाओं की संख्या 19 प्रतिशत है। 26 से 30 वर्ष के युवाओं की संख्या 27 प्रतिशत है।
अग्निपथ योजना से सेना में नियमित सैनिकों की औसत उम्र घटेगी नहीं बल्कि और अधिक बढ़ जाएगी। इस योजना से पहले 18-20 वर्ष की उम्र के नौजवान सेना की नियमित नौकरी में चले जाते थे। अब अग्निपथ योजना के अंतर्गत 4 वर्ष काम करने के बादे जो युवा सेना की नियमित नौकरी में जाएंगे, उनकी उम्र लगभग 25 वर्ष होगी।
किसी भी सेना की ताकत उसके नियमित सैनिक होते हैं न कि ठेके पर रखे गये लोग। सरकार यदि ये सोचती है कि देश प्रेम व देश के लिए त्याग व सर्मपण के लिए कम उम्र जरुरी है तो ये सरकार की मूर्खता है। देश प्रेम व देश की खातिर प्राण न्यौछावर करने का जज्बा लोगों में उम्र से पैदा नहीं होता, ये इस बात से पैदा होता है कि जिस देश के लिए कोई व्यक्ति लड़ने जा रहे है उस देश व उस देश की सरकार का लड़ने वाले व्यक्ति के साथ क्या रिश्ता है।
यदि देश की सरकार अपने ही सैनिक के जीवन को सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा प्रदान नहीं करती है और उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करती है। तो उसके भीतर देश प्रेम का जज्बा कमजोर हो जाएगा। और मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर यही काम किया है। अग्निपथ योजना लाकर सरकार पैसा तो बचा लेगी परन्तु इससे सेना के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ेगा। अग्निपथ योजना से सैनिकों के अफसरों व सरकार के साथ पहले से ही मौजूद अंतरविरोध और अधिक तीखे होंगे।
सेना के वेतन और पेंशन का सरकारी खजाने पर कितना बोझ
देश का रक्षा बजट के कुल 5.25 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है। रक्षा बजट का 48.4 प्रतिशत पेंशन व भत्तों पर खर्च हो जाता है। सरकार का तर्क है कि इस खर्च को कम करके हथियार व अन्य साजो सामान में खर्च बढ़ाने के लिए अग्निपथ योजना लायी गयी है। इस वर्ष देश का कुल बजट 39.44 लाख करोड़ का है। इसमें रक्षा पेंशन पर सालाना खर्च लगभग 1.20 लाख करोड़ का है। देश के इस 39.44 लाख करोड़ के बजट का लगभग एक चौथाई 9.40 लाख करोड़ रुपये सरकार देशी-विदेशी कर्ज के ब्याज की अदायगी में खर्च कर देती है। सरकार और अग्निपथ योजना के पैरोकारों को पेंशन के 1.20 लाख करोड़ खटक रहे हैं परन्तु देश के खजाने से प्रतिवर्ष 9.40 लाख करोड़ ब्याज देने पर खर्च हो रहा है इस पर कोई भी बात नहीं कर रहा है।
सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन स्कीम लाकर स्वयं अपनी पीठ ठोंकने वाली मोदी सरकार अब सैनिकों को पेंशन व सामाजिक सुरक्षा देने को लेकर अपने वादे से पीछे हट रही है और कुतर्क की हद तक उतर आयी है।
दूसरे देशों की बात की जाए तो इटली के रक्षा बजट का 65 प्रतिशत, कनाडा के बजट का 49.4 प्रतिशत, तुर्की का 46.8 प्रतिशत, फ्रांस का 45.8 प्रतिशत व जर्मनी के कुल रक्षा बजट का 44 प्रतिशत पेंशन और वेतन पर खर्च कर दिया जाता है तो भारत के रक्षा बजट का पेंशन व वेतन पर हो रहे 48.4 प्रतिशत खर्च पर ऐतराज क्यों है।
हमारे देश में कोई व्यक्ति एक बार विधायक या सांसद बनने पर जीवन भर पेंशन व तमाम तरीके के भत्ते प्राप्त करता रहता है तो ऐसे में सैनिकों की पेंशन का खर्च इन सत्ता की मलाई चाटने वाले मंत्रियों की आंखों में क्यों खटक रहा है। सेना के जो अधिकारी अग्निपथ योजना का समर्थन कर रहे हैं क्या वे देश के लिए अपनी पेंशन छोड़ने के लिए तैयार हैं। सही तो यह है कि पेंशन पाने का अधिकार देश के सभी काम करने वाले मेहनतकश लोगों को मिलना चाहिए परंतु सरकार इसे उल्टा खत्म करने के लिए आमादा है।
आनन्द महिन्द्रा के परिवार के लोग नहीं बनेंगे अग्निवीर
आनन्द महिन्द्रा जैसे लोग अग्निवीर योजना की तारीफों के यूं ही पुल नहीं बाध रहे हैं। इसके पीछे उनके स्वार्थ छुपे हुए हैं। पहली बात तो यह है कि आनन्द महिन्द्रा जैसे लोगों के परिवार के युवा किसी भी शर्त पर अग्निवीर बनकर देश की सेवा नहीं करने वाले हैं। इस सेवा में जो भी युवा जाएंगे वे आम मजदूर किसान परिवारों के बेटे-बेटियां ही होंगे।
दूसरी बात ये है कि आनन्द महिन्द्रा जानते हैं कि सेनानिवृत्त अग्निवीरों की एक बड़ी युवा बेरोजगारों की फौज रोजगार के बाजार में उपलब्ध होगी, उनके भी सस्ते श्रम का शोषण करके वे अपने लिए और अधिक मुनाफा अर्जित करेंगे। आनन्द महिन्द्रा को इस बात का जबाब देना चाहिए कि क्या वे सेवानिवृत सभी अग्निवीरों को नियमित नौकरी की गारंटी देंगे। क्या वे उन्हें पेंशन व अन्य सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे।
दरअसल देश के पूंजीपति चाहते हैं कि सेना का भी निजीकरण कर दिया जाए। वे चाहते हैं कि रक्षा बजट का और बड़ा हिस्सा हथियार व अन्य साजों सामान खरीदने पर खर्च किया जाए ताकि वे रक्षा उपकरण व अन्य साजो-सामान सेना को बेचकर और अधिक मुनाफा अर्जित कर सकें। इसीलिये वे इस अग्निपथ योजना का हर्षाेल्लास के साथ स्वागत कर रहे हैं।
अंधकारमय भविष्य
भारत सरकार की ये अग्निपथ योजना देश के युवाओं का भविष्य अंधकारमय बनाने वाली योजना है। बेरोजगारी देश में विकराल रुप धारण कर चुकी है। इसलिए तमाम विरोधों के बावजूद भी अग्निपथ योजना के अंतर्गत होने वाली भर्ती में युवाओं की भीड़ कम होने वाली नहीं है।
सवाल उठना स्वभाविक है कि अपने जीवन के सबसे बेहतरीन दिनों को देश की सेना के लिए देने के बाद रिटायर होकर लौटे इन अग्निवीर युवकों का भविष्य क्या होगा। जो 10-11 लाख रुपये उसे सेवा निधि से मिलेंगे उससे रिटायर अग्निवीर क्या करेगा? क्या वह इस राशि से अपने रहने के लिए आवास बनाएगा या इस पैसे से कोई रोजगार करेगा। उसके पास तो उच्च शिक्षा की कोई डिग्री भी नहीं होगी तो क्या वह अच्छी नौकरी पाने के लिए सेवा निधि से मिलने वाले धन से किसी उच्च संस्थान में कोई डिग्री कोर्स करेगा। ये ऐसे सवाल हैं जो किसी भी अग्निवीर को हर क्षण परेशान करते रहेंगे।
अग्निपथ के पैरोकारों का कहना है कि अग्निवीरों को सेवानिवृति के बाद रोजगार के दूसरे अवसर मिलेंगे, भारत सरकार ने अग्निवीरों के लिए अर्धसैनिक बलों में 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा भी की है।
4 वर्ष बाद देश के अर्ध सैनिक बलों में कुल कितने पद सृजित होंगे और उनमें कितने सेवानिवृत्त अग्निवीर नौकरी करेंगे इसको लेकर कोई स्पस्ट बात सरकार की ओर से नहीं आयी है।
राज्य सैनिक बोर्ड द्वारा दिसम्बर 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार एक्स सर्विस मैन ने उत्तर प्रदेश में 86192, बिहार में 43845, पंजाब में 60772, हरियाणा में 29275 व राजस्थान में 53373 लोगों ने नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें से उत्तर प्रदेश में मात्र 1.8 प्रतिशत (मात्र 1616 लोग) बिहार में मात्र .01 प्रतिशत (मात्र 6 लोग) पंजाब में 1.8 प्रतिशत (मात्र 1150 लोग) हरियाणा में भी मात्र 1.8 प्रतिशत (मात्र 534 लोग) और राजस्थान में मात्र 2.6 प्रतिशत (मात्र 1415 लोग) को ही रोजगार मिल पाया।
अग्निवीरों को सेवानिवृत होने के बाद नौकरी के जितने भी आश्वासन दिये जा रहे हैं वह उनके गुस्से को शांत करने के लिए दिये गये झूठे आश्वसन से ज्यादा कुछ नहीं है।
(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के संयोजक हैं।)