Agnipath Scheme Protest : अग्निपथ आंदोलन पर लग सकता है लगाम, सरकार 50% तक बढ़ा सकती है अग्निवीरों की स्थायी नौकरी का कोटा
Agnipath Scheme Protest : अग्निवीरों को स्थाई नौकरी देने की सीमा में चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया जाएगा, पहले 2 साल में सैन्य एनरोलमेंट के लिए आए अग्निवीरो के प्रदर्शन को देखते हुए इस कोटे को हर साल बढ़ाया जाएगा और 50% तक ले जाया जा सकता है...
Agnipath Scheme Protest : अगर आप भी भर्ती की अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर बनने की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 25% अग्निवीरों को स्थाई नौकरी देने की सीमा में चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया जाएगा। पहले 2 साल में सैन्य एनरोलमेंट के लिए आए अग्निवीरो के प्रदर्शन को देखते हुए इस कोटे को हर साल बढ़ाया जाएगा और 50% तक ले जाया जा सकता है। थल सेना ने प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। वायुसेना और नौसेना की मंजूरी बाकी है।
योजना के फायदे में विस्तार की जानकारी
इन दोनों सेनाओ में तकनीकी रूप से दक्ष मैन पावर की जरूरत है। वायु योद्धा और नौसेनिकों का स्थाई प्रतिशत बढ़ाने को लेकर ऊहापोह है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को सैन्य भर्ती प्रक्रिया के फायदों में विस्तार की जानकारी सार्वजनिक कर सकते हैं। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को तीनों सैन्य प्रमुखों को बुलाकर योजना से जुड़े पहलुओं पर विचार विमर्श किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 25% को ही सेना में स्थाई भर्ती देने का अंतिम निर्णय नहीं है और ऐसा कोई कारण नहीं है कि सैन्य कौशल में बेहतरीन पाए गए युवाओं को खारिज कर दिया जाएगा।
हरियाणा सरकार 75% अग्निवीरों को देगी गांरंटी के साथ नौकरी
बता दें की हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने ऐलान किया है कि अग्निपथ योजना के तहत सेना में 4 साल देश सेवा कर के वापस आने वाले 75% अग्निवीरों को हरियाणा सरकार गारंटी के साथ नौकरी देगी। ग्रुप सी या पुलिस में नौकरी के अवसर दिए जाएंगे। हरियाणा ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीएम मनोहर लाल खट्टर ने नौकरी की गारंटी सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही दी है। इस पर जल्द पॉलिसी लाई जा सकती है। एक्स सर्विसमैन का अलग से कोटा बनाया जा सकता है। जो जातियों के आरक्षण में शामिल किया जा सकता है।
अग्निपथ योजना की हो रही आलोचना
सबसे बड़ी आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि अग्निपथ योजना जल्दबाजी में घोषित की गई है। इसके लिए पर्याप्त विचार विमर्श नहीं हुआ है। इस पर रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस मुद्दे पर सेना और रक्षा मंत्रालय और सरकार के दूसरे विभागों में 250 बैठके हुईं और करीब 750 घंटे तक विचार-विमर्श के दौर चले। सेना में 150 बैठक हुईं। 500 घंटे मंथन हुआ। रक्षा मंत्रालय में 60 बैठके की गई और 150 घंटे विचार-विमर्श चला। अन्य सरकारी विभागों की 44 बैठकें हुई और 10 घंटे मंथन हुआ।