Modi's New India: भुखमरी में आगे तो रोजगार में पीछे हो रहा मोदी का न्यू इंडिया, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े?
इस समय भी लोग हर-हर मोदी कर रहे जबकि मोदीजी का न्यू इंडिया महंगाई में आगे है, लेकिन व्यापार में पीछे है। मोदीजी का न्यू इंडिया धर्म की राजनीति में आगे है, मगर विकास में पीछे है...
Modi's New India : देश में एक तरफ महंगाई की मार है, तो दूसरी तरफ बेरोज़गारी से जनता त्राहीमाम कर रही। तेल-टमाटर के बढ़ते दामों के बीच लाखों-लाख लोगों की नौकरियां जा रही हैं। आलम ये है कि देश के प्रधानमंत्री के जन्मदिन को पिछले कुछ सालों से 'बेरोज़गारी दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है।
सेण्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ,यानी CMIE ने नए आंकड़ें जारी कर बताया है कि नवंबर महीने में ही 60 लाख से ज़्यादा सैलरीड नौकरियां खत्म हो गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न्यू इंडिया' में विकास की उलटी गंगा बह रही है। कुल मिलाकर मोदी का 'न्यू इंडिया' बेरोजगार है!
कहने को तो नवंबर महीने में 112 लाख श्रमिकों और छोटे व्यापारियों की नौकरियां बढ़ी हैं, जिसे सत्तापक्ष के लोग एक बड़ी जीत के रूप में दर्शा रहे हैं। लेकिन वो जनता से एक ज़रूरी बात छुपा रहे हैं। वो ये कि इसी महीने में 68 लाख सैलरीड लोगों की नौकरियां छिन गई हैं।
इन आंकड़ों का खेल ही कुछ ऐसा है कि सरकार इनको भी अपने पक्ष में गिनवा लेती है। ध्यान से देखा जाए तो साफ़ पता चलता है कि रोज़गार की क्वालिटी में गिरावट आई है। ज़्यादातर लोगों को दिहाड़ी मज़दूर बनना पड़ रहा है, वहीं अम्बानी-अडानी की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो रही। पिछले साल के नवंबर महीने मुकाबले इस साल 9.7 प्रतिशत कम सैलरीड नौकरियां हैं।
रोज़गार की लिस्ट में दिहाड़ी मजदूरों की संख्या बढ़ रही। 'न्यू इंडिया' में बढ़ती बेरोज़गारी का असर देखने के लिए श्रमिकों की हालत के बारे में जानना चाहिए। CMIE की रिपोर्ट में बताया गया है कि श्रमिकों की भागीदारी दर 40 प्रतिशत है, जबकि यही कोरोना महामारी से पहले 43 प्रतिशत थी। अंतराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने वर्ष 2020 में श्रमिकों की भागीदारी दर का आंकड़ा 58.6 प्रतिशत पर रखा है। इसका मतलब दुनिया के मुकाबले भारत में श्रमिकों की रोज़गार में कम भागीदारी है।
मोदीजी का न्यू इंडिया भुकमरी में आगे है, लेकिन रोज़गार में पीछे है। मोदीजी का न्यू इंडिया महंगाई में आगे है, लेकिन व्यापार में पीछे है। मोदीजी का न्यू इंडिया धर्म की राजनीति में आगे है, मगर विकास में पीछे है।