Ahmedabad blast case : UP के 2 आरोपी को भी मिली फांसी की सजा, तनवीर की कुंडली खंगाल रही पुलिस तो मोंटू का कोई अता-पता नहीं
Ahmedabad blast case 2008 : जांच टीम के ऊपर जल्द से जल्द पूरा केस खोलने का दबाव था। दबाव की वजह से टीम में शामिल लोग कई महीने तक घर भी नहीं गए। उनकी हालत ऐसी थी कि सुबह नौ बजे खाने के बाद दिन और रात इसी काम में लगे रहते थे।
Ahmedabad blast case 2008 : शुक्रवार को 12 साल पहले के अहमदाबाद बम ब्लास्ट केस में विशेष अदालत का ऐतिहासिक फैसला आते ही उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) में चुनावी माहौल के बीच पुलिस महकमे में सरगर्मी बढ़ गई। ऐसा इसलिए कि विशेष अदालत ( Special Court ) ने जिन 38 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है उनमें से दो उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। इनमें एक मेरठ ( Meerut ) का तो दूसरा बिजनौर ( Bijnor ) जिले का निवासी है। अब दोनों की कुंडली खंगालने में पुलिस जुट गई है।
इस मामले में ताजा अपडेट के मुताबिक मेरठ ( Meerut ) निवासी जियाउर्रहमान उर्फ मोंटू ( Ziaur Rahman alias Montu ) पुत्र अब्दुल रहमान का अभी कोई अता-पता नहीं है। मेरठ पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। एसपी सिटी और सीओ एलआईयू का कहना है कि जियाउर्रहमान की कोई जानकारी उनके पास अभी तक नहीं आई है। अपने स्तर पर सभी पहलुओं पर जांच कराई जा रही है। ताकि उसके बारे में सूचना मिल सके।
वहीं बिजनौर ( Bijnor ) के पठानपुरा निवासी मोहम्मद तनवीर ( Mohd Tanveer ) भी अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट में दोषी पाया गया है। अहमदाबाद की विशेष अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई है। फैसला आने के बाद जब गांव के लोगों से तनवीर को लेकर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार किया। 2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में फांसी की सजा पाये मोहम्मद तनवीर बिजनौर के पठानपुरा मोहल्ला का रहने वाला है। उसकी कुंडली खंगालने में पुलिस और खुफिया शाखा के अधिकारी जुट गए हैं। तनवीर के परिवार के बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। फिलहाल, मेरठ की तरह तनवीर के परिवार तक भी लोकल पुलिस नहीं पहुंच पाई है। न ही उसका कोई रिकॉर्ड पुलिस को अभी मिला है।
खास बात यह है कि अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट 2008 ( Ahmedabad Serial Bomb Blast Case 2008 ) मामले में फांसी की सजा पाने वाले दोषी मोहम्मद तनवीर को बिजनौर के नजीबाबाद में कोई नहीं जानता है। 2008 में भी नाम सुर्खियों में आने के बाद तनवीर और उसके परिजनों का पता नहीं चल सका था। पुलिस रजिस्टर में भी तनवीर नाम से अहमदाबाद बम ब्लास्ट संबंधित कोई अपराधिक रिकॉर्ड दर्ज नहीं है।
ये है ब्लास्ट की इनसाइड स्टोरी ( inside story )
26 जुलाई, 2008 को अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपियों को आज सजा मिल गई। अहमदाबाद कोर्ट ने 49 आरोपियों में से 38 को फांसी तो 11 आजीवन जेल में रहेंगे। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि ब्लास्ट की जांच के लिए टीम के लीडर और सदस्यों को क्या-क्या खाक छानने पडें।
जांच टीम में शामिल अहमदाबाद के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आरवी असारी (JCP) का कहना है कि घटना के बाद पूरे देश से आतंकियों को तलाश करने के बाद पकड़ा गया। जब अहमदाबाद में सीरियल बम विस्फोट हुआ था, तब मैं गोधरा में ड्यूटी पर था। मुझे अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को तत्काल रिपोर्ट करने को कहा गया। अगले दिन 27 तारीख को मैं अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में मौजूद था। हमारी जांच टीम को यह पता लगाने का टास्क दिया गया कि इस हमले के पीछे कौन हैं और उन्हें दंडित कराया जाए। मेरे वरिष्ठ अधिकारी अभय चुडासमा ने मुझे यह पता लगाने का काम सौंपा कि आतंकवादियों ने ब्लास्ट्स में यूज सामग्री कहां तैयार की थी और बम कहां बनाए गए थे।
जिम्मेदारी मिलते ही हम धीरे-धीरे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि RDX को रखने की जगह और इससे जुड़ी संदिग्ध सामग्री कहां मिल सकती है। जांच के क्रम में एक लिंक मिला, जिससे पता चला कि आतंकवादियों ने दाणीलीमड़ा इलाके के एक घर में बम रखा था। हम वहां पहुंच गए और वहां से हमें जो टिप्स मिले थे उनसे आतंकवादी गतिविधि के पक्के सबूत हासिल करने में सफलता मिली।
टीम के ऊपर जल्द से जल्द पूरा केस खोलने का दबाव था। दबाव की वजह से हमने चार महीने तक दिन-रात काम करते रहे। घर भी नहीं गए। हालत ऐसी थी कि हम सुबह नौ बजे खाना खा लेते थे और फिर पूरा दिन और रात ऐसे ही लगे रहते थे। पूरे देश में छिपे ब्लास्ट्स से जुड़े आतंकियों का पता लगाया और उन्हें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच लाया। इस जांच में एक आरोपी को लेने कर्नाटक पहुंचे। हमें कहा गया था कि आरोपी को ले जाते समय इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आप पर हमला कर सकते हैं। आपको पीने के पानी के लिए भी वाहन रोकना नहीं है। हमने वही किया कर्नाटक से चलने के बाद वाहन 1163 किलोमीटर दूर आकर अहमदाबाद में ही रोका। उज्जैन से भी एक आतंकवादी को इसी अंदाल में लाना पड़ा।
Ahmedabad blast case 2008 : आरवी असारी के मुताबिक बम बनाने में अमोनियम नाइट्रेट, वुडन फ्रेम, बैटरी, अजंता वॉच जैसे सामान का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले हमने कभी भी बम बनाने में इस तरह के सामानों का यूज होते नहीं देखा था। गुजरात पुलिस के सामने बम विस्फोट की गुत्थी को सुलझाना सबसे बेस्ट इंवेस्टिगेशन में से एक है। गुजरात पुलिस के लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज था जिसे हमने अपनी टेक्निकल नेटवर्क टीम और इंटेलिजेंस के दम पर पूरा किया। इस काम में करीब 350 पुलिस अफसरों की टीम लगाई गई थी। जांच टीम ने अपना बेस्ट दिया और हम गुनहगारों को सजा दिलाने में आज कामयाब हुए।